Patanjali’s Hard Blow : इलाहाबाद हाईकोर्ट में ‘पतंजलि’ की ₹273.5 करोड़ के GST नोटिस के खिलाफ याचिका खारिज!

कोर्ट ने कहा 'टैक्स अथॉरिटीज की ओर से GST एक्ट के सेक्शन 122 के तहत पेनल्टी लगाना गलत नहीं!'

728

Patanjali’s Hard Blow : इलाहाबाद हाईकोर्ट में ‘पतंजलि’ की ₹273.5 करोड़ के GST नोटिस के खिलाफ याचिका खारिज!

मीडियावाला के स्टेटहेड विक्रम सेन की रिपोर्ट

Prayagraj : बाबा रामदेव की कंपनी पंतजलि आयुर्वेद को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तगड़ा झटका दिया। कंपनी की ओर से हाईकोर्ट में ₹273.5 करोड़ के जीएसटी नोटिस के खिलाफ याचिका दाखिल की थी, जिसे हाई कोर्ट ने सोमवार को खारिज कर दिया। कोर्ट ने पंतजलि की उस दलील को मानने से इनकार कर दिया, जिसमें कंपनी ने कहा कि क्रिमिनल ट्रायल होने के बाद ही ऐसी पेनल्टी लगनी चाहिए। याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि टैक्स अथॉरिटीज की ओर से जीएसटी एक्ट के सेक्शन 122 के तहत पेनल्टी लगाई जा सकती है। इसके लिए ट्रायल की जरूर नहीं है।

हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर बी सर्राफ और जस्टिस विपिन चंद्र दीक्षित की बेंच ने सोमवार को दायर याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि जीएसटी की पेनल्टी का मामला सिविल प्रकृति का है। इसमें क्रिमिनल ट्रायल की कोई जरूर नहीं। जीएसटी अधिकारी कार्रवाई को आगे बढ़ सकते हैं, इसके लिए मुकदमे की जरूरत नहीं । उत्तराखंड के हरिद्वार, हरियाणा के सोनीपत और महाराष्ट्र के अहमदनगर में पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की तीन यूनिट्स हैं। जहां संदिग्ध लेने-देने की जानकारी मिली थी। इनपुट ट्रैक्स क्रेडिट (आईटीसी) की उपयोगिता तो अधिक थी, लेकिन उनके पास कोई आयकर दस्तावेज नहीं थे।

पतंजलि आयुर्वेद कंपनी को डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (डीजीजीएसटी) इंटेलिजेंस ने 19 अप्रैल 2014 को कारण बताओ नोटिस दिया था, जिसमें ₹273.5 करोड़ की पेनल्टी लगाई थी। 10 जनवरी को नोटिस को वापस ले लिया गया था। जीएसटी ने पाया कि सभी वस्तुओं के मामले में आपूर्तिकर्ताओं से खरीदी गई मात्राओं की तुलना में बेची गई मात्रा हमेशा अधिक थी।

विवादित वस्तुओं पर प्राप्त की गई आईटीसी को याचिकाकर्ता की ओर से आगे स्थानांतरित कर दिया गया था। इसके बाद जीएसटी अधिकारियों ने धारा 122 के तहत दंडात्मक कार्रवाई जारी रखने का निर्णय लिया। जिसे पतंजलि आयुर्वेद कंपनी की ओर से हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी।

हाई कोर्ट की पीठ ने याचिका खारिज करते हुए निष्कर्ष निकाला कि दंड लगाने के पीछे मुख्य विषय या उद्देश्य निवारण है। इसलिए यह कहना संभव नहीं है कि वर्तमान मामले में धारा 10 (3) का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 14 और 19 (1) (जी) का उल्लंघन करता है। सीजीएसटी का प्रतिनिधित्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एन वेंकटरमन ने अधिवक्ता पर्व अग्रवाल, एनसी गुप्ता और गौरव महाजन के साथ किया।

IMG 20250603 WA0011

कौनसी कंपनी है पतंजलि आयुर्वेद

पतंजलि आयुर्वेद हरिद्वार स्थित एक भारतीय बहुराष्ट्रीय समूह होल्डिंग कंपनी है। इसकी स्थापना रामदेव और बालकृष्ण ने 2006 में की थी। इसका कार्यालय दिल्ली में है, जिसकी विनिर्माण इकाइयाँ और मुख्यालय हरिद्वार के औद्योगिक क्षेत्र सहित अन्य स्थानों पर हैं। कंपनी सौंदर्य प्रसाधन, आयुर्वेदिक दवा, व्यक्तिगत देखभाल और खाद्य उत्पाद बनाती है। 94% शेयर होल्ड वाली कंपनी के सीईओ बालकृष्ण हैं। रामदेव कंपनी का प्रतिनिधित्व करते हैं और रणनीतिक निर्णय लेते हैं।

‘पतंजलि’ विवाद, मुकदमों और शिकायतों से जूझती रही 

कंपनी को अपने भ्रामक प्रचार और कोविड-19 उपचार के झूठे दावों को लेकर विभिन्न विवादों का सामना करना पड़ा है। जानकारी के अनुसार उत्तराखंड सरकार ने रामदेव के खिलाफ कई अपराधों के लिए 100 मामले दर्ज किए हैं। इनमें से, पतंजलि योगपीठ और हरिद्वार में उसकी सहयोगी संस्थाओं के खिलाफ 81 मामले जमींदारी उन्मूलन और भूमि सुधार (जेडएएलआर) अधिनियम और भारतीय स्टाम्प अधिनियम के उल्लंघन के लिए दर्ज किए गए थे। कंपनी पर अपने उत्पादों के बारे में भ्रामक विज्ञापन के बारे में पचासों शिकायत हुई हैं।

कई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बाबा रामदेव और उनकी टीम के खिलाफ इसी तरह के मामले कोझीकोड और उत्तराखंड के उनके गृह क्षेत्र हरिद्वार में लंबित हैं। प्राप्त जानकारी अनुसार अकेले केरल में रामदेव और पतंजलि के खिलाफ अलग-अलग अदालतों में ऐसे 26 केस चल रहे हैं।

केरल हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अभय ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान ने ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट, ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम जैसे कानूनों को लागू करने के महत्व को रेखांकित किया और भ्रामक विज्ञापनों से निपटने में ढिलाई की आलोचना की हैं।