Amaranthus Cruentus or Red Bhaji :जितनी सुंदर यह दिखती है,उससे कहीं अधिक स्वादिष्ट होती है!

409
Amaranthus Cruentus or Red Bhaji

हमारी रसोई 

Amaranthus Cruentus or Red Bhaji :जितनी सुंदर यह दिखती है,उससे कहीं अधिक स्वादिष्ट होती है!

डॉ. विकास शर्मा

आइये जानते हैं, Amaranthus cruentus या लाल भाजी के विषय मे। इसे कहीं कहीं राजगिरा भाजी के नाम से भी जाना जाता है। राजगिरा शब्द एमेरेन्थस जीनस के ही 3 पौधों के लिए प्रयोग किया जाता है। एक तो Amaranthus cruentus, दूसरा Amaranthus hypochondriacus और तीसरा Amaranthus caudatus ये तीनो ही लगभग एक जैसे ही दिखाई देते हैं। पत्तियों के आकार और पौधे की ऊँचाई से इनके अंतर को पहचाना जा सकता है, किन्तु अलग अलग वातावरण में यह तरीका भी धोखा दे जाता है। इस मामले में पुष्पक्रम के आधार पर पहचान और वर्षों का अनुभव ही सटीक पहचान की कुंजी है। इन तीनो को समानता के कारण लालभाजी या राजगिरा के नाम से ही जाना जाता है।
#Amaranthus_cruentus को साग के रूप में भोजन के लिये हमारे क्षेत्र में उगाया जाता है, जिसे पत्तियों के लाल रंग के कारण बोलचाल की भाषा मे लाल भाजी के कहा जाता जाता है। इसमे विटामिन C, आयरन, फॉस्फोरस, तथा कैल्शियम आदि प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं।
467842047 27619290174352047 3026095930005447161 n
जितनी सुंदर यह दिखती है न, उससे कहीं अधिक स्वादिष्ट होती है। गाँव के एनसाइक्लोपीडिया याने हमारे बड़े बुजुर्गों की माने तो इसको खाने से खून बढ़ता है। गाँव मे रंगों के आधार पर भी सब्जी – भाजी और फलों के गुणों को परखने का रिवाज है। ठंड के समय मे लाल भाजी का साग शरीर मे गर्मी पैदा करता है, छोटे मोटे रोग तो इसे भोजन के रूप में प्रयोग करने से ही भाग जाते हैं। इसे सुखाकर भविष्य के लिये भी रखा जा सकता है। सर्दियों के मौसम में काम से कम एक बार इसका सेवन अवश्य करना चाहिये।
लाल भाजी साग बनाना बहुत आसान है। कोमल पत्तियों को तोड़कर धो लें व बारीक काट लें। कढ़ाई में तेल डालकर मीठानीम, जीरा, प्याज व मिर्च से बघार लगा दें। प्याज सुनहरी हो जाये तब कटी हुई भाजी छोड़ दें। कुछ देर ढ़क्कन ढक कर धीमी आंच पर पकायें। ऐसा भाजी के पक जाने तक दोहरायें। अंत मे स्वादानुसार लहसन, मिर्च, अदरख व जीरे का पावडर  या फिर सूखे मसाले हल्दी के साथ डाल दें। पुनः एक बार पकने दें। स्वादिष्ट लाल भाजी साग तैयार हो जायेगा।
Deepak Acharya जी ने राजगिरा के लड्डुओं के बारे में लिखा है…

Rajgira Gud Laddu – Khaochatpata – Indori Namkeen

“राजगिरा के लड्डू मिल जाएं तो वहीं खड़े-खड़े पेल दीजिएगा। कैल्शियम खूब होता है जो हड्डी मज़बूत बनाता है। लाइसीन और सिस्टीन भी पाए जाते हैं जो बालों की सेहत दुरुस्त करते हैं। कुल मिलाकर कैल्शियम, फ़ायटोस्टेरॉल, आयरन, मैग्नीशियम, पोटेशियम और फोलिक एसिड से भी भरा पूरा है। बस, दो दिन इसी का जलवा है।”
लड्डू आए हैं गाँव से,
पीपल की छांव से…
अरे कहाँ पड़े हो चक्कर में
कोई नहीं है टक्कर में…
फ़ोटो के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है.
डॉ. विकास शर्मा
वनस्पति शास्त्र विभाग
शासकीय महाविद्यालय चौरई
जिला- छिंदवाड़ा (म.प्र.)