Amendment In Pension Rules: न्यायिक कार्यवाही समाप्त होने और अंतिम आदेश जारी होने से पहले नहीं मिलेगी Gratuity
भोपाल : राज्य सरकार ने सिविल सेवा पेंशन नियमों में संशोधन कर दिया है।अब विभागीय या न्यायिक कार्यवाहियों समाप्त होंने और उन पर अंतिम आदेश जारी होंने तक किसी भी शासकीय कर्मचारी को किसी उपादान(Gratuity) का भुगतान नहीं किया जाएगा।
जो बदलाव किए गए है उसके तहत अंतिम पेंशन स्थापना वेतन देयक पर आहरित की जाएगी और कार्यालय प्रमुख द्वारा सेवानिवृत्ति की तारीख से आरंभ होकर उस तारीक तक तथा उस तारीख को शामिल करते हुए जिसको विभागीय या न्यायिक कार्यवाहियां समाप्त होने के बाद सक्षत अधिकारी द्वारा अंतिम आदेश पारित किए गए ,सेवानिवृत्त शासकीय सेवक को भुगतान की जाएगी।
कार्यालय प्रमुख शासकीय सेवक की सेवानिवृत्ति की तारीख तक या यदि वह सेवानिवृत्ति की तारीख को निलंबन के अधीन था तो उस तारीख तक जो उस निलंबन के ठीक पूर्व थी इसके आधार पर सेवा की गणना कर अधिकतम पेंशन के बराबर आखिरी पेंशन तय करेगा।
जिन मामलों में विभागीय कार्यवाहियां सिविल सेवा नियमों के अधीन तय दंड अधिरोपित करने के लिए शुरु की गई है वहां शासकीय सेवक को नियमों के अधीन 90 प्रतिशत तक Gratuity का भुगतान किया जा सकेगा।
अंतिम वेतन देने के बाद कार्यालय प्रमुख लेखा संपरीक्षा कार्यालय को सूचित करते हुए नियम साठ में उल्लेखित बकायों को समायोजित कर सेवानिवृत्त शासकीय सेवक को भुगतान करेगा। अनंतिम पेंशन, Gratuity के भुगतान ऐसी कार्यवाही के समापन पर ऐसे शासकीय सेवक को अंतिम सेवानिवृत्ति लाभ के विरुद्ध समायोजित किए जाएंगे। लेकिन जहां अंतिम रुप से स्वीकृत पेंशन, Gratuity पेंशन, Gratuaty से कम है या पेंशन, ग्रेच्युइटी को कम किया जाता है अथवा स्थायी रुप से तय अवधि के लिए रोक लगाई जाती है तो वहां यह वसूली नहीं की जाएगी।