Amin Sayani: आवाज़ की दुनिया के दोस्त का सफ़र पूरा

429

Amin Sayani: आवाज़ की दुनिया के दोस्त का सफ़र पूरा

आनंद शर्मा

आवाज़ की दुनिया के जादूगर अमीन सयानी अब हमारे बीच नहीं रहे । 91 वर्ष की उम्र में कल रात उनका हृदयघात से निधन हो गया और इसके साथ ही हिंदुस्तानी फ़िल्मी गीतों को श्रोताओं के दिलों में पिरोने वाले पुरोधा के एक काल का अवसान हो गया । दुनिया में बहुत कम उत्पाद ऐसे होंगे जो किसी एक आवाज़ से पैवस्त हो गये हों , बिनाका टूथपेस्ट ( जो बाद में सिबाका हो गया ) और अमीन सयानी ऐसे ही नाम हैं । अमीन सयानी रेडियो की दुनिया में आये अपने बड़े भाई हमीद सयानी के कारण और रेडियो सीलोन के प्रसारित होने वाले गीत-संगीत के कार्यक्रम , जो सीबा गायगी कंपनी के टूथपेस्ट बिनाका के प्रचार के लिए रचा गया था , के साथ इस तरह जुड़े कि “भाइयों और बहनों” के प्रचलित संबोधन को उन्होंने “बहनों और भाइयों” में बदल दिया । उन दिनों जब दातुन का चलन था , तो दांत साफ करने के लिए आम आदमी को टूथपेस्ट के लिए राज़ी करने के लिए ऐसे ही धमाकेदार प्रचार की ज़रूरत थी जो बिनाका गीतमाला ने दी । फ़िल्मी गाने हमेशा से भारतीयों के दिलों की धड़कन रहे हैं , पर उन्हें लोकप्रियता के क्रम में पिरोने का खेल नया और दिलचस्प था , अमीन सयानी की आवाज के जादू ने ये कमाल कर दिखाया कि आठ बजते ही पूरे परिवार के कान रेडियो से इस कार्यक्रम के लिए चिपक जाते और बैचैनी से इंतिज़ार करते कि उनकी पसंद का नगमा लोकप्रियता की किस पायदान पर आ गया है । बिनाका टूथपेस्ट बनाने वाली कंपनी सीबा ने इस ब्रांड नेम को आर्थिक तंगी के चलते रेकिट कॉलमैन को बेच दिया और बिनाका की जगह इस टूथपेस्ट का नाम सिबाका हो गया और कार्यक्रम का नाम सिबाका गीतमाला हो गया । रेडियो सीलोन से कार्यक्रम भी विविध भारती पर आ गया पर सारे बदलावों के बावजूद “आवाज़ की दुनिया के दोस्तों”के लिए अमीन सयानी की आवाज़ का जादू गीतमाला के इस कार्यक्रम के रूप में ऐसा चला कि पचास हज़ार से ज़्यादा रेडियो प्रोग्राम उनके नाम से बंध गये और लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स में दर्ज हो गये । अ। मीन सयानी की लोकप्रियता का आलम ये था कि बॉलीवुड की भूत बँगला और तीन देवियाँ जैसी कई हिट फ़िल्मों में भी उन्होंने किरदार निभाये और शायद इसी वजह से ना केवल भारत बल्कि दुनिया के कई देशों जैसे अमरीका , ब्रिटेन और स्विट्ज़रलैंड में उन्होंने कई लोकप्रिय रेडियो प्रोग्राम किए । कहते हैं कि महात्मा गांधी के कहने पर उन्होंने एक पाक्षिक पत्रिका “रहबर “ का भी संपादन किया था ।
बिनाका गीतमाला का सफ़र 42 साल जारी रहने के बाद कुछ अंतराल से दो साल के लिए फिर आया , और इस बार इसका नाम था कोलगेट सिबाका गीत माला । एस कुमार्स के फ़िल्मी मुक़दमे और बॉर्नविटा क्विज जैसे कुछ और कार्यक्रम हैं जो आज भी अमीन सयानी की मनमोहक अवाज के कारण आज भी याद किए जाते हैं । अमीन सयानी जी ने इसके बाद बिनाका और सिबाका गीतमाला के इस सफ़र का खूबसूरत कलेक्शन “ गीतमाला की छाँव में “ नाम से सारेगामा प्रोग्राम के नाम से जारी किया जो इतना लोकप्रिय हुआ कि मेरे बच्चों ने भी मेरे एक जन्मदिवस पर “ सारेगामा कारवाँ “ को उपहार के रूप में दिया ।
अमीन सयानी का स्थान शायद ही कोई भर पाए , पर लाखों दिलों को छूने वाली आवाज़ सालों-साल हमारे दिल ओ दिमाग़ पर छाई रहेगी इसमें कोई शक नहीं । विनम्र श्रद्धांजलि ।