Analysis Before Election 2024: Part 8 – विकास के वादे और विपक्ष के हमले

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Analysis Before Election 2024: Part 8 – विकास के वादे और विपक्ष के हमले

 

भारत जैसे एशियाई और विकासशील मुल्क की बात तो छोड़ दीजिये,अब तो यूरोप,अमेरिका,आस्ट्रेलिया जैसे पश्चिमी,आधुनिक देशों में भी पूरी तरह विकास आधारित चुनाव नहीं लड़े जाते। नेताओं पर निजी हमले और मतदाताओं को सीधे तौर पर लाभ पहुंचाने जैसे मसले वहां भी हावी रहते हैं। लोकतांत्रिक कहलाने वाली इस प्रक्रिया का कबाड़ा करने की जैसे होड़ मची है। ऐसे में भारत में तो यह आशा करना ही फिजूल है कि 2024 के चुनाव विकास,सकारात्मक वादों और वास्तविक मुद्द‌ों पर केंद्रित रहेगा। बस,देखना इतना भर रहेगा कि कौन, कितना स्तरहीन होकर पेश आता है। यह भी कि आम मतदाता इस खेल में कितना उलझता है या अपनी पूरी जिम्मेदारी समझते हुए किसे अपना समर्थन देता है।

अभी तो राज्यों के स्तर पर मतदाताओं को ललचाने का अभियान प्रारंभ हो चुका है। ये नजारे फिलहाल उन राज्यों में सामने आ रहे हैं, जहां इस वर्ष के आखिर में विधानसभा चुनाव हैं। मप्र,छत्तीसगढ़,राजस्थान,तेलंगाना में ये खेल उफान पर है। चुनाव आयोग की नकेल कसने में अभी देर है। वैसे तो चुनाव के एक साल पहले से इस तरह की योजनायें घोषित करने पर रोक लगा दी जाना् चाहिये, लेकिन कोई राजनीतिक दल इस तरह की पहल करने का प्रयास नहीं करने वाला। इस खेल को सत्तारूढ़ दल पूरे जोर-शोर से खेलता है तो विपक्षी राजनीतिक दल भी पीछे नहीं रहते। वे राज्य सरकारों की घोषणाओं के मद्दे‌नजर बढ़-चढ़ कर ही योजनायें पेश करते हैं।

मध्यप्रदेश में यह खेल अभी शिवराज सिंह चौहन और कमलनाथ के बीच चल ही रहा था कि इसमें 12 जून को कांग्रेस नेता प्रियंका वाड्रा भी शामिल हो गई। उन्होंने कर्नाटक की तर्ज पर ही महिलाओं को हर माह 1500 रुपये,गैस सिलेंडर 500 रुपये में,पहले सौ यूनिट तक बिजली बिल माफ व 200 यूनिट है तो आधा बिल देय, शासकीय कर्मचारी पेंशन योजना की बहाली व किसान कर्ज माफी योजना फिर प्रारंभ करने जैसे वादे किये। प्रियंका ने ये घोषणायें जबलपुर की एक सभा में की, जिसे चुनाव प्रचार का प्रारंभ कहा जा रहा है। हालांकि इसमें एक तकनीकी पेंच जरूर है। प्रियंका वाड्रा यूं तो राष्ट्रीय महामंत्री हैं, लेकिन उनके पास मध्यप्रदेश का प्रभार नहीं है। वे राष्ट्रीय अध्यक्ष भी नहीं है कि कहीं भी, कोई भी घोषणा कर सकती है। सवाल यह भी है कि क्या कोई अन्य राष्ट्रीय पदाधिकारी ऐसी कोई घोषणा कर सकता है? शायद राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी ऐसा न कर पायें, क्योंकि ऐसा तो केवल गांधई परिवार ही कर सकता है। प्रियंका मध्यप्रदेश में ऐसा कर रही हैं तो राहुल गांधी अमेरिका में चाहे जो बोल रहे हैं। जबकि वे न तो कांग्रेस पदाधिकारी हैं, न सांसद । बहरहाल।
शिवराज और कमलनाथ में लाड़ली बहना और नारी सम्मान को लेकर जबानी जंग चल ही रही है। राजस्थान में कांग्रेस थोड़ी संशय में इसलिये है कि सचिन पायलट का रूख अभी तक स्पष्ट नहीं हो पा रहा है। छत्तीसगढ़ में भाजपा अभी करंट नहीं पकड़ पाई है। देश के अन्य राज्यों में विपक्ष की थोड़ी बहुत हलचल शुरू हो चुकी है तो भाजपा संगठन को सक्रिय कर चुकी है। इसमें तेजी तो संभवत: जुलाई से आ पायें, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जून के तीसरे हफ्ते में अमेरिका के दौरे पर जाने के बाद जब लौट आयेंगे। तब अमेरिका दौरे की उपलब्धियां भी गिनाई जा सकेंगी। वहां मोदी का सम्मान तो होगा ही, वे अनेक ऐसे समझौते भी करने जा रहे हैं, जो देश के लिये बड़ी सौगात होंगी। भाजपा इनका डंका बजायेगी ही।

ऐसा लग रहा है कि जुलाई के बाद ही देश में भाजपा व गैर भाजपा के बीच 2024 की जंग का शंखनाद हो जायेगा। भले ही इनकी सेनायें आमने-सामने मैदान न संभाले, लेकिन वे पैदल सेना से लेकर तो सशस्त्र सेनाओं की तैनाती की व्यूह रचना तो प्रारंभ कर ही देगी। चुनाव तो जबानी हमलों से भरे रहते हैं तो वह सिलसिला प्रारंभ हो सकता है। यह युग संचार क्रांति का है,तकनीक और सोशल मीडिया का है,नैतिक-अनैतिक की बहस से परे का है,हर हाल में जीत का है तो तमाम गतविधियां भी उसी अंदाज में देखने को मिलेंगी।

2024 के आम चुनाव में जहां विपक्ष का जोर इस बात पर रहेगा कि वे अधिकतम विरोदी दलों को एक कर मैदान संभालें तो भाजपा अपने सहयोगी दलों को साथ रखने के बावजूद उन पर ज्यादा निर्भरता शायद न दिखाये। वह प्रयास कर सकती है कि पिछली बार जिस तरह से भाजपा को 303 सीटें मिलीं थीं, इस बार वह उससे अधिक के लिये प्रयास करे। वह नये दलों का साथ लेने की बजाय जो दल पिछले चुनाव में उससे दूर छिटक गये थे, उन्हें फिर से साधने का प्रयास कर सकती है। तेलुगु देशम ऐसा ही दल है। महाराष्ट्र में कहने को भले ही शिवसेना-भाजपा साथ है, लेकिन आम चुनाव ये भी तय करेंगे कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना का प्रभाव राज्य में है या नहीं ? शिंदे के साथ सीटों का बंटवारा भी बडा पहलू रह सकता है।

(क्रमश:)

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रमण रावल

 

संपादक - वीकेंड पोस्ट

स्थानीय संपादक - पीपुल्स समाचार,इंदौर                               

संपादक - चौथासंसार, इंदौर

प्रधान संपादक - भास्कर टीवी(बीटीवी), इंदौर

शहर संपादक - नईदुनिया, इंदौर

समाचार संपादक - दैनिक भास्कर, इंदौर

कार्यकारी संपादक  - चौथा संसार, इंदौर

उप संपादक - नवभारत, इंदौर

साहित्य संपादक - चौथासंसार, इंदौर                                                             

समाचार संपादक - प्रभातकिरण, इंदौर      

                                                 

1979 से 1981 तक साप्ताहिक अखबार युग प्रभात,स्पूतनिक और दैनिक अखबार इंदौर समाचार में उप संपादक और नगर प्रतिनिधि के दायित्व का निर्वाह किया ।

शिक्षा - वाणिज्य स्नातक (1976), विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन

उल्लेखनीय-

० 1990 में  दैनिक नवभारत के लिये इंदौर के 50 से अधिक उद्योगपतियों , कारोबारियों से साक्षात्कार लेकर उनके उत्थान की दास्तान का प्रकाशन । इंदौर के इतिहास में पहली बार कॉर्पोरेट प्रोफाइल दिया गया।

० अनेक विख्यात हस्तियों का साक्षात्कार-बाबा आमटे,अटल बिहारी वाजपेयी,चंद्रशेखर,चौधरी चरणसिंह,संत लोंगोवाल,हरिवंश राय बच्चन,गुलाम अली,श्रीराम लागू,सदाशिवराव अमरापुरकर,सुनील दत्त,जगदगुरु शंकाराचार्य,दिग्विजयसिंह,कैलाश जोशी,वीरेंद्र कुमार सखलेचा,सुब्रमण्यम स्वामी, लोकमान्य टिळक के प्रपोत्र दीपक टिळक।

० 1984 के आम चुनाव का कवरेज करने उ.प्र. का दौरा,जहां अमेठी,रायबरेली,इलाहाबाद के राजनीतिक समीकरण का जायजा लिया।

० अमिताभ बच्चन से साक्षात्कार, 1985।

० 2011 से नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने की संभावना वाले अनेक लेखों का विभिन्न अखबारों में प्रकाशन, जिसके संकलन की किताब मोदी युग का विमोचन जुलाई 2014 में किया गया। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को भी किताब भेंट की गयी। 2019 में केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के एक माह के भीतर किताब युग-युग मोदी का प्रकाशन 23 जून 2019 को।

सम्मान- मध्यप्रदेश शासन के जनसंपर्क विभाग द्वारा स्थापित राहुल बारपुते आंचलिक पत्रकारिता सम्मान-2016 से सम्मानित।

विशेष-  भारत सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा 18 से 20 अगस्त तक मॉरीशस में आयोजित 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन में सरकारी प्रतिनिधिमंडल में बतौर सदस्य शरीक।

मनोनयन- म.प्र. शासन के जनसंपर्क विभाग की राज्य स्तरीय पत्रकार अधिमान्यता समिति के दो बार सदस्य मनोनीत।

किताबें-इंदौर के सितारे(2014),इंदौर के सितारे भाग-2(2015),इंदौर के सितारे भाग 3(2018), मोदी युग(2014), अंगदान(2016) , युग-युग मोदी(2019) सहित 8 किताबें प्रकाशित ।

भाषा-हिंदी,मराठी,गुजराती,सामान्य अंग्रेजी।

रुचि-मानवीय,सामाजिक,राजनीतिक मुद्दों पर लेखन,साक्षात्कार ।

संप्रति- 2014 से बतौर स्वतंत्र पत्रकार भास्कर, नईदुनिया,प्रभातकिरण,अग्निबाण, चौथा संसार,दबंग दुनिया,पीपुल्स समाचार,आचरण , लोकमत समाचार , राज एक्सप्रेस, वेबदुनिया , मीडियावाला डॉट इन  आदि में लेखन।