वो पारदर्शी परीक्षा (The Transparent Test) जो हमने ली, जिसे सबने सराहा!

वो पारदर्शी परीक्षा (The Transparent Test) जो हमने ली, जिसे सबने सराहा!

शासकीय नौकरी के लिये प्रतियोगी परीक्षाओं के आयोजन और उसकी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता हमेशा से चुनौती का विषय रहे हैं । चाहे अनचाहे तमाम सिफारिशों से जूझना , उम्मीदवारों के विश्वास और शंकाओं का ध्यान रखना और बिना भेदभाव योग्य उम्मीदवारों का चयन करना ये कुल मिला कर बड़ा जटिल काम माना जाता है । इस सिलसिले से जुड़ा एक पुराना वाक़या साझा करता हूँ । ये बात तब की है जब मैं राजगढ़ ज़िले में कलेक्टर था । लोकसेवा प्रबंधन विभाग के अंतर्गत मध्यप्रदेश के विभिन्न ज़िलों में , उन ज़िलों की तहसीलों और अनुविभागों की संख्या के मान से कंप्यूटर आपरेटर सह कार्यालय सहायक के कुछ पद संविदा आधार भर्ती करने को दिए गए थे , और कलेक्टरों पर ये जवाबदारी थी शासन से प्राप्त इन पदों पर भर्ती जिले स्तर पर की जावे । ये वैसे तो बड़ी उत्साह जनक योजना थी क्योंकि तहसीलों में स्टाफ की कमी ख़ास कर कम्प्यूटर जानने वाले स्टाफ़ कमी उन दिनों बहुत महसूस की जाती थी और इस समस्या के निवारण के लिये ये बड़ा मददगार आदेश था , पर बात वही थी कि इसे कैसे साफ सुथरे ढंग से संपन्न किया जाये |

मैंने मुख्यालय के एस.डी.एम. श्री रामप्रकाश और अन्य अधिकारियों के साथ इसे सलीके और पारदर्शिता से संपन्न करने की योजना बनाई । निर्धारित पदों के विरुद्ध प्राप्त हुए सभी आवेदनों की स्क्रूटनी एक दल के द्वारा कराई गयी और आवेदनों में यदि कोई कमी थी , जिसके आधार पर आवेदन निरस्त हो सकता था , तो उन्हें रिजेक्ट न कर के वेबसाइट में अपलोड कर ऐसे आवेदकों को सूचित किया कि वे आकर कमी पूरी कर दें । कुछ आवेदक ऐसी सूचना पाकर आये और उनके फॉर्म दुरुस्त किये गए |

इसके बाद स्क्रूटनी में योग्य पाए गए आवेदनों को मेरिट के आधार पर एक के विरुद्ध दस के अनुपात में चयन कर उनकी सूचि भी वेबसाइट पर डाल दी और समस्त आवेदकों को कहा गया कि इस कट ऑफ लिस्ट के सम्बंध में किसी को कोई किसी आपत्ति हो तो निर्धारित दिवस में ऑनलाइन दर्ज करा दे । कुछ अभ्यर्थी इस सूची के विरुद्ध भी अपनी बात कहने आये और उन्हें सुन कर उनकी आपत्तियों को निराकृत किया गया । इसके बाद नम्बर आया मुख्य परीक्षा का , इसे तीन भागों में बाँटा गया । पहला लिखित परीक्षा , फिर कंप्यूटर योग्यता परीक्षण और फिर साक्षात्कार । सबसे पहले तो लिखित परीक्षा के लिए बनाये गए परीक्षा-पत्रों के गोपनीय लिफ़ाफ़े सुबह खोल कर प्रिंट आउट लिये गए और सभी अभ्यर्थियों को रोल नम्बर के अनुसार कक्षा-वार बिठा कर परीक्षा सम्पन्न कराई ।

परीक्षा पूर्ण होने के बाद परीक्षार्थियों को वहीँ कक्षा में रुकने को कहा गया और वस्तु निष्ठ प्रश्न पत्र के उत्तर कक्षा में लगे ब्लैक बोर्ड पर लिख दिए गए और उनके सामने ही टीचर की डेस्क पर दो-दो परीक्षकों ने कापियां जांचने का काम शुरू किया । दो इसलिए कि एक जांचे और दूसरा परखे । इसके बाद कक्षा में बैठे परीक्षार्थियों को बताया गया कि उनके लिखित परीक्षा में कितने अंक आए हैं । जिन्होंने कुछ पूछने या अपनी कापी देखने की आकाँक्षा जताई उन्हें वहीँ कापी भी दिखा दी । इसके बाद कम्प्यूटर योग्यता की परीक्षा कंप्यूटर लेब में ली गयी और ऐसी ही प्रक्रिया से पुनः सबके समक्ष ही उसे भी जांचा और शाम होते होते उसी दिन इसके परिणाम , एक के विरुद्ध तीन के अनुपात में सक्षात्कार के लिए योग्य पाए परीक्षार्थियों के मान से परीक्षा स्थल और कलेक्ट्रेट में चस्पा कर वेबसाइट पे अपलोड कर दिए गए । दुसरे दिन दस बजे से साक्षात्कार शुरू हो गया और दिन भर साक्षात्कार के बाद इसके परिणाम यानि चयनित उम्मीदवारों की सूचि शाम को पुनः नोटिस बोर्ड पर चस्पा कर दी गयी और वेबसाइट पर भी अपलोड कर दी गयी । इस तरह 48 घंटे के अन्दर परीक्षा आयोजित कर परिणाम भी घोषित कर दिए गए । दिलचस्प ये था कि जिनका चयन हुआ वे तो खुश थे ही , जिनका नहीं हुआ वे भी कह रहे थे कि बढ़िया चयन हुआ है |