
Aniruddhacharya on Semi-nudity: अनिरुद्धाचार्य की बेबाक राय- खुलकर अपनी सोच रखी
Mathura: Aniruddhacharya on Semi-nudity: अनिरुद्धाचार्य की बेबाक राय-खुलकर अपनी सोच रखी,कथावाचक अनिरुद्धाचार्य समाज और संस्कृति के मसलों पर खुलकर अपनी सोच रखने वाले चर्चित वक्ता हैं। उनके विचार अक्सर विवादों के साथ-साथ चर्चा का विषय भी बनते हैं। हाल ही में एक टीवी चैनल के बातचीत कार्यक्रम में उन्होंने “अर्धनग्नता” के मुद्दे पर अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत किया, जो सोशल मीडिया पर भी काफी चर्चा में है।
मथुरा के कथावाचक अनिरुद्धाचार्य ने हाल ही में एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में अर्धनग्नता की समस्या पर खुलकर बात की। जब उनसे पूछा गया कि आखिर अर्धनग्नता क्या है, तो उन्होंने बॉलीवुड के गानों और फिल्मों का उदाहरण देते हुए बताया कि ‘ब्लू है पानी-पानी’ जैसे लोकप्रिय गानों में महिलाएं पूरी तरह कपड़ों में नहीं होतीं, और यह हमारी भाषा में अर्धनग्नता कहलाती है। उनका कहना था कि आज की फिल्मों में कई ऐसी चीजें होती हैं, जिन्हें घर के बड़े बुजुर्ग अपनी बेटी के साथ देखकर सहज महसूस नहीं कर पाते, क्योंकि उनमें अश्लीलता का तत्व मौजूद होता है।
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चैनल पर उनसे पूछा गया कि पीवी सिंधु, सायना नेहवाल जैसे एथलीट स्कर्ट पहनकर खेलती हैं, क्या इसे भी अर्धनग्नता माना जाना चाहिए? इस पर अनिरुद्धाचार्य ने स्पष्ट किया कि यह खिलाड़ियों की मजबूरी होती है, और कपड़े के साथ-साथ बोलने का तरीका भी मायने रखता है। यानी अर्धनग्नता केवल कपड़ों तक सीमित नहीं, बल्कि भाषा और व्यवहार दोनों से जुड़ी है।अनिरुद्धाचार्य ने यह भी कहा कि संतों से हमेशा कोमल और मधुर भाषा की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। जब समाज में सुधार की आवश्यकता हो, तो संत कड़वे शब्द भी बोल सकते हैं ताकि लोगों को सच्चाई समझ आए।
सोशल मीडिया पर अनिरुद्धाचार्य का खासा प्रभाव है। उनके यूट्यूब चैनल के लाखों सब्सक्राइबर्स हैं, जो उनके विचारों को उत्सुकता से सुनते और देखते हैं। कुछ समय पहले उन्होंने लड़कियों की शादी 18 वर्ष से पहले कराने का बयान दिया था, जिसे लेकर काफी विवाद भी हुआ। उनके समर्थकों का मानना है कि वे ईमानदारी से समाज को सही राह दिखाने की कोशिश करते हैं, जबकि आलोचक कहते हैं कि उनके कई बयान विवाद पैदा करते हैं और गलत संदेश देते हैं।
अनिरुद्धाचार्य की यह बेबाकी और सीधी भाषा देश-विदेश में उनके लाखों भक्तों को प्रेरित करती है। फिर चाहे आप उनके विचारों से सहमत हों या न हों, वे हमेशा चर्चा का विषय जरूर बने रहते हैं।
परिचर्चा -Narrator Aniruddhacharya’s Statement on Girls: क्या कहना है लेखकों का ,आइये जानते हैं !





