चुनावी साल में आदिवासियों को साधने के लिए सरकार का एक और दांव

अब आदिवासियों के बेटों का हेल्थ कार्ड भी बनेगा

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आदिवासियों को साधने के लिए सरकार

चुनावी साल में आदिवासियों को साधने के लिए सरकार का एक और दांव

भोपाल
चुनावी साल में आदिवासियों को साधने के लिए बीजेपी सरकार ने एक और दांव चला है। अब प्रदेश के 47 विधानसभा क्षेत्रों के 89 विकासखंडों में आदिवासियों के बच्चों का अलग से हेल्थ कार्ड बनाया जाएगा। यह आदिवासियों को बीमार होने पर आयुष्मान योजना के अंतर्गत बनाए गए कार्ड से अलग होगा।
यह हेल्थकार्ड बनाने की जिम्मेदारी स्कूलों में प्राचार्यों को सौंपी गई है। आयुष्मान योजना के अंतर्गत ही सरकार ने अब हेल्थ अकाउंट आईडी के नाम पर अलग से कार्ड बनाने की प्रक्रिया शुरू कराई है।
जनजातीय कार्य विभाग द्वारा इसको लेकर सभी जिलों के सहायक आयुक्तों को निर्देश भी जारी किए जा चुके हैं। इसमें कहा गया है कि जनजातीय कार्य विभाग के अंतर्गत जनजातीय वर्ग के विद्यार्थियों के आयुष्मान भारत हेल्थ कार्ड आईडी (एबीएचए आईडी) विकसित किया जाना है। प्रदेश के सभी 89 विकासखंडों में संचालित जनजातीय विद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों का स्वास्थ्य परीक्षण कराए जाने के लिए यह योजना शुरू की जा रही है। इसलिए प्राचार्यों की बैठक लेकर इस योजना की प्रक्रिया से उन्हें अवगत कराकर सौ फीसदी आईडी बनवाने का काम करना है।

ऐसे बनेंगे कार्ड
सभी विकासखंड अधिकारियों को भी इसको लेकर निर्देश देते हुए कहा गया है कि सम्पूर्ण स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत यह काम किया जाए। इसके लिए हेल्थ आईडी.एडीवीएम.जीवोवी.इन के जरिये आईडी जनरेट की जा सकेगी। इसके लिए हर विद्यार्थी का आधार नम्बर डालने के बाद उनके अभिभावक का मोबाइल नम्बर ओटीपी के लिए डालना जरूरी होगा। आधार नम्बर क्लियर होने के बाद ईमेल आईडी से इसे जोड़ना होगा। इसके बाद एबीएचए आईडी बनाई जा सकेगी।
आदिवासियों के लिए दो साल में शुरू हुए ये काम
-आदिवासी समाज के क्रांतिकारी नेताओं की स्मृति में टंट्या मामा योजना, बिरसा मुंडा जयंती पर अवकाश शुरू किए गए।
-राशन आपके द्वार योजना के माध्यम से आदिवासियों को उनके गांव में राशन वितरण की जिम्मेदारी सौंपी गई और वाहन से राशन पहुंचाने के लिए लोन दिलाकर स्वरोजगार भी दिया गया।
-आजादी की लड़ाई में क्रांतिकारी रहे योद्धाओं को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की सूची में शामिल कराने का काम किया गया।
-आदिवासियों की पारम्परिक मान्यता को देखते हुए उनके द्वारा बनाई जाने वाली शराब को मान्यता देते हुए समूहों के जरिये हेरिटेज शराब बनाने का काम कराया जा रहा है।
-पेसा एक्ट लागू होने के बाद आदिवासियों के जीवन में बडे बदलाव लाने की तैयारी में सरकार जुटी है।