राजनीति में वैसे तो नौकरशाह आते रहे हैं। किसी ने वीआरएस लेकर तो किसी ने पूरी नौकरी कर राजनीति में किस्मत आजमाई है। कोई सफल हुआ है तो किसी को निराशा हाथ लगी है। तो कोई सफल होने के बाद निराशा के घनघोर अंधेरों में डूबा है। पर हर दिन नई उम्मीद के साथ उदय होता है। वैसे ही हर व्यक्ति अपने सपनों में रंग भरने के लिए नई राह भी चुनता है। चूंकि बात नौकरशाहों की हो रही है, तो एक और पूर्व आईएएस वरदमूर्ति मिश्रा ने हाल ही में वीआरएस लिया था। अब उन्होंने औपचारिक तौर पर यह ऐलान कर दिया है कि वह राजनीति के जरिए जनता की सेवा की राह पर आगे बढ़ेंगे। उनका विजन क्लियर है। कांग्रेस और भाजपा दोनों से जनता ऊब चुकी है।
मतदाता तीसरे विकल्प की तलाश में है। आम आदमी पार्टी के हाईकमान दिल्ली से कमांड करते हैं, इसलिए मध्यप्रदेश में उनका भी कोई स्थान नहीं है। अब डॉ. मिश्रा को भरोसा है कि वह नए दल का गठन कर 2023 में सभी 230 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार खड़े कर मध्यप्रदेश के मतदाताओं की उम्मीदों पर खरे उतरेंगे। उनका यह विजन भी है कि कांग्रेस ने मध्यप्रदेश की प्रारंभिक पारी ठीक से खेली, तो भाजपा में जितनी क्षमता थी वह मध्यप्रदेश का उतना विकास कर चुकी है। प्रदेश को अब नई ऊंचाईयों पर लेकर जाने के लिए तीसरा विकल्प ही कारगर साबित होगा। उनकी हिम्मत यही है कि प्रशासनिक सेवा में रहते हुए उन्होंने करीब चौदह जिलों में तो काम किया है और यहां के पुराने संबंध भी उनके काम आएंगे। बाकी जिलों में भी वह जल्द ही अपना दौरा कर लोगों को जोड़ने में सफल होंगे। हालांकि राजनीति में मुकाम हासिल करना बहुत आसान नहीं होता, लेकिन डॉ. मिश्रा के हौसलों की उड़ान खुद को आसमान छूने के अरमान के करीब ही पा रही है। असली इम्तिहान 2023 में है, सो करीब पंद्रह माह में परीक्षा के पहले की तैयारी भी सबके सामने होगी और परीक्षा के बाद के परिणाम भी सबके सामने होंगे।
फिलहाल तो पूर्व आईएएस डॉ. वरदमूर्ति मिश्रा ने प्रदेश में एक और राजनैतिक दल के गठन का ऐलान कर दिया है। हाल ही में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के पश्चात डॉ.मिश्रा ने पत्रकार वार्ता कर बताया कि भाजपा पिछले 20 वर्षों से प्रदेश में शासन कर रही है किंतु आज भी किसान बदहाल है, स्वास्थ्य सेवाओं की बेहद कमी है, प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक हालात संतोषप्रद नहीं है। मध्य प्रदेश सरकार पर 3,12,000 करोड़ का कर्ज हो चुका है जबकि सरकार का कुल बजट 2,90,000 करोड़ है। अपने बजट से ज्यादा सरकार कर्ज ले चुकी है। सरकार जो भी वर्तमान में बाजार से कर्जा ले रही है, उससे केवल ब्याज ही चुकाया जा सकता है। सरकार के पास विकास के नाम पर कोई पैसा उपलब्ध नहीं है। इससे ज्यादा सरकार की नाकामी नहीं हो सकती। कांग्रेस के संदर्भ में उन्होंने कहा कि प्रदेश में 15 महीने जब उनकी सरकार रही, तब भी उन्होंने जनता की भलाई के लिए एवं रोजगार सृजन के लिए कोई प्रयास नहीं किए। दोनों ही दल एक दूसरे के पूरक हैं, इसलिए इनका विकल्प बनने के लिए आगामी 2023-2024 का समय तीसरे दल के लिए स्वर्णिम अवसर है। यदि इस समय का फायदा नहीं उठाया तो फिर आगे यही दल स्थायी भूमिका में आ जाएंगे।
डॉ. मिश्रा का दावा है कि चुनावी मैदान में उतरने से पहले पूरे प्रदेश में उन्होंने सर्वे करवाया है। 70 फ़ीसदी जनता बीजेपी और कांग्रेस के खिलाफ है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस और भाजपा दोनों का चरित्र एक सा है। राजनैतिक दल हाईकमान को खुश करने के लिए ठेकों, ट्रांसफर-पोस्टिंग से पैसे कमाकर पार्टी फंड में भेजते हैं। राजनीतिक दल रोजगार, कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, जन सुविधाओं जैसे मुद्दों से जनता को भटकाकर भ्रमित कर रहे हैं। ऐसे में 2023 का मैच तीसरे विकल्प का फैसला करके रहेगा। उनका दावा है कि ज्यादातर नौकरशाह रचनात्मक कार्य न कर पाने से निराश हैं, लेकिन सार्वजनिक तौर पर कुछ अभिव्यक्त नहीं कर पाते। ऐसे में वह दर छोड़कर डॉ. मिश्रा अब खुद को आजमाने के लिए जनता के मैदान में कूद पड़े हैं। राजनीति के मैदान में किस्मत कितना जोर मारती है, इसका फैसला जो भी होगा वह अब उन्हें मंजूर है। महत्वपूर्ण बात यह है कि वह खुली आंखों से सपना देख रहे हैं और सपने को हकीकत में बदलने के लिए हर चुनौती का डटकर मुकाबला करने को तैयार हैं। उनका भाव यही है कि कर्म करने में कमी नहीं रहेगी, फल की चिंता नहीं है। जो जीवन जीने की इच्छा थी, उसकी तरफ कदम बढ़ाने का साहस है…यह उन्होंने साबित कर दिया है।