खानपान की इंदौरी परंपरा को मिला परदेस में सम्मान!

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खानपान की इंदौरी परंपरा को मिला परदेस में सम्मान!

इंग्लैंड के बर्मिंघम में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों की पूर्व संध्या पर वहां के यूके हाउस में ‘कॉमनवेल्थ फूड फ्यूचर 2022′(Commonwealth Food Future 2022) का आयोजन किया गया! इसमें भारत सहित दुनिया के कई देशों ने हिस्सा लेकर अपने देश के खानपान और उनकी खासियतों की प्रस्तुति की। इंदौर को पहली बार ‘ईट राइट चैलेंज कॉम्पिटिशन’ में पहला स्थान प्राप्त हुआ, जो बहुत बड़े सम्मान और गौरव की बात है। इस आयोजन में मध्यप्रदेश के इंदौर समेत चार शहरों उज्जैन, सागर और जबलपुर के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया! ‘कॉमनवेल्थ फूड फ्यूचर 2022’ में इंदौर के बारे में दुनियाभर के सामने यह तथ्य रखा गया कि यह मध्य भारत की वाणिज्यिक तथा सांस्कृतिक राजधानी होने के साथ साथ स्वादिष्ट खाने के शौकीनों का स्वर्ग है, जिसे लगातार पांच बार भारत के सबसे स्वच्छ शहर बनने का गौरव भी हासिल हुआ।

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इंदौर में भारत की खाऊ गलियों की संस्कृति अच्छी तरह से विकसित हुई। यहां के छप्पन दुकान और सराफा चाट चौपाटी की पूरे देश में चटखारे लेकर चर्चा होती है! जिसमें भुट्टे का किस, पोहा, रबडी-जलेबी, मालपुआ, समोसा, कचोरी गराडू जैसे स्थानीय व्यंजनों से लेकर उत्तरी भारत, दक्षिण भारत, चाइनिज और इटालियन व्यंजन भी बेजोड़ स्वाद के साथ उपलब्ध है। जहां एक तरफ यहां की ‘छप्पन दुकान’ एक से बढ़कर एक लजीज खाद्य पदार्थों की दुकानों से सुसज्जित है, वहीं ‘सराफा चाट चौपाटी’ भारत की एकमात्र खाऊ गली है, जो रात 2 बजे तक खुली रहती है। आईएससीडीएल (Indore Smart City Development Limited) ने छप्पन दुकान को इंदौर की खाऊ संस्कृति को मजबूत करने के लिए आधुनिक खाऊ ठीए के रूप में पुनर्विकसित किया, जिसकी देश के साथ अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी सराहना हुई।

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एफएसएसएआई (Food Business and Standard Authority of India) के ‘ईट राइट स्मार्ट सिटी चैलेंज’ में मध्य प्रदेश से देश में सर्वाधिक 4 शहरों इंदौर, उज्जैन, सागर तथा जबलपुर ने शीर्ष 11 विजेता शहरों में अपनी जगह बनाई थी। ये अपने आपमें एक बड़ी उपलब्धि थी। इसी का परिणाम था कि प्रदेश के खाद्य सुरक्षा व स्वास्थ्य आयुक्त डॉ सुदामा सुदामा खाड़े के नेतृत्व में प्रदेश से अभिषेक दुबे संयुक्त नियंत्रक खाद्य एवं औषधि प्रशासन, अभय बेडेकर अपर कलेक्टर इंदौर, राहुल राजपूत मुख्य कार्यपालन अधिकारी स्मार्ट सिटी सागर, आशीष पाठक मुख्य कार्यपालन अधिकारी स्मार्ट सिटी उज्जैन और निधि राजपूत मुख्य कार्यपालन अधिकारी स्मार्ट सिटी जबलपुर ने यूके में आयोजित कॉमन वेल्थ फूड फ्यूचर 2022 कार्यशाला में हिस्सा लिया।

इस कार्यशाला में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फ़ूड पॉलिसी, शुद्ध एवं गुणवत्तापूर्ण शुद्ध और गुणवत्तापूर्ण खाद्य पदार्थों के लिए दुनियाभर में किए जा रहे नवाचारों का आदान-प्रदान किया गया। इस आयोजन के दौरान बर्मिंघम खाद्य खाद्य प्रणाली रणनीति को समझने के लिए एक मंच भी प्रदान किया गया। एक ऐसी खाद्य प्रणाली और अर्थव्यवस्था बनाने के लिए 8 साल की परियोजना की परिकल्पना की गई, जिसमें सभी नागरिकों के लिए सस्ता, पौष्टिक और वांछनीय भोजन विकल्प उपलब्ध हो।

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बर्मिंघम की इस कार्यशाला में विश्व के विभिन्न देशों के साथ भारत ने भी प्रतिनिधि किया, जिनमें मध्यप्रदेश ही ऐसा राज्य था, जिसके सबसे ज्यादा चार शहरों इंदौर, उज्जैन, सागर और जबलपुर को कार्यशाला में चयनित होने के लिए सम्मिलित किया गया। 27 से 29 जुलाई तक आयोजित इस तीन दिवसीय आयोजन में मुख्य वक्ताओं में मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर रहे खाद्य एवं संरक्षण आयुक्त सुदामा खाड़े ने प्रदेश में ‘ईट राइट स्मार्ट सिटी’ में किए जा रहे नवाचारों के बारे में अनुभव और विचारों से अवगत कराया। इन नवाचार कार्यक्रमों में इंदौर में ईट राइट फैमली, जबलपुर में ईट राइट शुभंकर फिट बड्डा, सागर में मोबाइल गेम ऐप-दाऊ एप, मेरा किचन मेरी प्रयोगशाला, फूड सेफ्टी आर्मी तथा उज्जैन में फूड एंड न्यूट्रिशन यूनिवर्सिटी कोर्स को काफी सराहा गया। इस कार्यशाला में अन्य देशों की पॉलिसी और नवाचारों के अनुभवों का लाभ निश्चित ही मध्य प्रदेश को मिलेगा। मध्यप्रदेश के इन चारों शहरों ने ईट राइट स्मार्ट सिटी आयोजन में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। इसलिए अक्टूबर 2022 में ब्राजील में आयोजित होने वाले आयोजन में भाग लेने के लिए इन शहरों का चयन किया गया है।

इंदौर मध्य प्रदेश की वित्तीय, वाणिज्यिक तथा शैक्षिक राजधानी है। यहां पूरे देश के लोग शिक्षा तथा रोजगार के लिए आते हैं। इसके अलावा इसे मिनी मुंबई भी कहा जाता है, जिससे यह खानपान प्रिय शहर ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है। यहां स्वच्छ एवं स्वस्थ खाद्य पारिस्थितिकी प्रणाली को विकसित किया गया है। इसके लिए इंदौर के खाद्य उद्योग भरसक प्रयास भी कर रहे हैं। फिर भी इसके सामने शहर की जरूरत के मुताबिक खाऊ गलियों को स्वास्थ्यकारी तथा स्वच्छ बनाए रखना बड़ी चुनौती है। इंदौर को मिली इस उपलब्धि का श्रेय निश्चित रूप से कलेक्टर मनीष सिंह की सजगता और इच्छाशक्ति के बिना पूरा नहीं होता! उन्होंने हर कदम पर इंदौर की खानपान परंपरा को संवारने के लिए योजना बनाई और इंदौर के फ़ूड कल्चर को आगे बढ़ाने में उसका उपयोग किया! छप्पन दुकान और सराफा चौपाटी को हाइजीनिक बनाने और स्वच्छता को लेकर भी उन्होंने ख़ास ध्यान दिया। क्योंकि, खाद्य पदार्थों का स्वाद और स्वच्छता का चोली-दामन का साथ है!

यदि इंदौर की खानपान परंपरा की बात की जाए तो यहां ऑन लाइन प्लेटफार्म सहित क्लाउड किचन जैसे विभिन्न फूड चेन्स की स्वच्छता की साख को स्थापित करने के साथ मिलावट पर अंकुश लगाना और युवाओं में स्वास्थ्य एवं उत्तरजीवी खाद्य व्यवहार को बढावा देना भी बड़ी जिम्मेदारी का हिस्सा है। बचे हुए खाने का सही तरह से निपटान कर शहर द्वारा स्थापित स्वच्छता प्रतिमानों को बनाए रखने जैसी चुनौतियां भी है। इसके लिए स्थानीय प्रशासन ने खानपान व्यवसाय में संलग्न सभी व्यापारियों को सलाह दी है कि वे खाद्य पदार्थों में स्वच्छता तथा शुद्धता का पूरा ध्यान रखें तथा ‘रूको’ (Repurpose used cooking oil) के दिशा निर्देशों का अनुपालन करते हुए खाद्य तेल को तलने के प्रयोजन से तीन बार से ज्यादा बार उपयोग में न लाए। इसके लिए समय-समय पर उचित निरीक्षण कर मानकों की जांच की जाती है।

‘कॉमनवेल्थ फूड फ्यूचर 2022’ में दुनियाभर के प्रतिनिधियों को इंदौर के सिटी फूड विजन की जानकारी भी दी गई। इसके अनुसार इंदौर का यह लक्ष्य है कि वह देश की फूड कैपिटल बने और जिस तरह से इसने देश के सबसे साफ शहर के कीर्तिमान को स्थापित किया, उसी तरह से खानपान के लिए भी देश की नम्बर वन सिटी बने। इसके लिए स्थानीय प्रशासन ने न केवल खाद्य पदार्थ निर्माण संस्थाओं तथा एफबीओ (फ़ूड बिजनेस ऑपरेटर) के लिए श्रेष्ठतम व्यवहार का पालन करने की शुरुआत की है। बल्कि, हर घर परिवार तक खाना पकाने के लिए स्वास्थ्यवर्धक तरीकों और स्वस्थ खानपान की आदतों को बढावा देने के लिए भी कमर कस ली है। इतना ही नहीं देश की प्राचीनतम खाद्य संस्कृति के संरक्षण और इसे बढ़ावा देने की दिशा में भी इंदौर अग्रसर है। इंदौर और आसपास के राज्यों के खाद्य पदार्थों की मिली-जुली संस्कृति को अपनाकर सभी को सुरुचिपूर्ण तथा स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ प्रदान कर इंदौर खानपान प्रेमियों के चेहरे पर मुस्कान बिखेरने में भी अव्वल बनता जा रहा है। यही कारण है कि देश-विदेश में भी इसकी खाद्य संस्कृति को मान्यता मिल रही है और इसे अपनाने की होड़ लगी हुई है।

इंदौर की मौजूदा खाद्य प्रणाली से शहरीकरण, आर्थिक विकास को गति मिल रही है तथा मौसम के बदलाव के साथ तेजी से बढ़ती आबादी के लिए स्वस्थ शहरों की मांग भी बढ़ती जा रही है! इंदौर का स्थानीय शहरी निकाय ‘ईट राइट पहल’ के लिए 100 से अधिक कैम्पस, 50 स्कूलों और 5 मंदिरों को प्रमाणीकृत करने की दिशा में काम कर रहा है। इसलिए कि खाने-पीने के शौकीनों को स्वच्छ, स्वास्थ्यवर्धक तथा प्रामाणिक खाना मिल सके। इंदौर नगर निगम भी इंदौर को देश की नम्बर वन फूड कैपिटल बनाने की कोशिश में पीछे नहीं है। इसने लिए विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म का उपयोग कर खाद्य संस्कृति को आगे बढ़ाने का काम किया है। इंदौर मध्य प्रदेश का एकमात्र शहर है जहां दो स्वच्छ फ़ूड हब्स छप्पन दुकान तथा सराफा चाट चौपाटी मौजूद है। इसे न केवल ईट राइट स्कूल सर्टिफिकेशन मिला है बल्कि ‘ईट राइट फ़ूड काम्पिटिशन’ में पहला स्थान भी प्राप्त हुआ। इस समय हेल्थ एंड वेलनेस कोऑर्डिनेटर के रूप में इंदौर के 65 स्कूल पंजीकृत और 49 स्कूल सर्टिफाइड है जो किसी भी शहर के लिए गौरव की बात है। यही नहीं इंदौर के पवित्र खजराना गणेश मंदिर को एफएसएसएआई (FSSSAI) ने भोग के अंतर्गत मान्य किया है।

देश ही नहीं विदेशों के कई शहरों के लिए यह ईर्ष्या का विषय हो सकता है कि स्वच्छता और खानपान में सिरमौर बनने वाले इंदौर ने भविष्य के लिए भी अपनी रणनीति बनाने में देरी नहीं की है। इसके लिए इंदौर ने न केवल खानपान से सम्बद्ध लोगों के हवाले यह काम छोड़ा, बल्कि समाज के हर वर्ग को इससे जोड़ने की योजना बनाई है। इसके अंतर्गत सामुदायिक संस्थानों, एफबीओ और शिक्षा संस्थानों सभी को इस काम से जोड़ा जाना प्रस्तावित है! ताकि, सब मिल जुलकर एक उत्तरजीवी, स्वस्थ तथा सुरक्षित खाद्य पारिस्थितिकी का निर्माण कर सके।

इसके लिए आशा/ एएनएम और प्राथमिक स्वास्थ्य देखरेख कार्यकर्ताओं को सुरक्षित तथा स्वस्थ्य खाद्य व्यवहारों के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है, ताकि जमीनी स्तर पर प्रभाव डाला जा सके। सभी एफबीओ (Food business operator) को फोस्टेक के अनुसार प्रशिक्षित किया गया है जिससे वे अपने व्यवसाय में खरीदी से लेकर निर्माण और विक्रय सभी स्तर पर सर्वोत्तम खाद्य व्यवहारों को प्रयुक्त कर सके। सभी खाऊ गलियों को स्वस्थ, स्वच्छ तथा सुव्यवस्थित किया जा रहा है और सब्जी मंडियों को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत विकसित किया जा रहा है। इससे खाद्य विक्रेताओं को यथोचित अधोसंरचना प्रदान की जा सकेगी। इसके अलावा समस्त शैक्षणिक संस्थानों, समुदायों तथा समाज के विभिन्न वर्गों में स्वस्थ्य तथा स्वच्छ खाद्य व्यवहार को बढ़ाने के लिए जागरूकता बढ़ाई जा रही है। रेस्टोरेंट्स और ईट राइट कैम्पस की हाइजीन रेटिंग को बढावा दिया जा रहा है। इतना सब कुछ करने के बाद जब इंदौर को पहली बार दिए जाने वाले ‘ईट राइट चैलेंज कॉम्पिटिशन’ में पहला स्थान प्राप्त हो तो गर्व के साथ साथ आत्म संतुष्टि तो मिलना स्वाभाविक ही है।

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(लेखक इंदौर जिले में खाद्य सुरक्षा एवं खाद्य आपूर्ति विभाग के नोडल अधिकारी भी हैं। उन्होंने बर्मिंघम में हुए ‘कॉमनवेल्थ फ़ूड फ्यूचर 2022’ में इंदौर का प्रतिनिधित्व किया)

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अभय बेडेकर
अभय बेडेकर

लेखक भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी होकर वर्तमान में इंदौर में अपर कलेक्टर हैं। सामाजिक विषयों पर लिखना उन्हें रास आता है।