मांडू प्रशिक्षण वर्ग में चिन्ता-चिन्तन और भविष्य पर फोकस

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मांडू प्रशिक्षण वर्ग में चिन्ता-चिन्तन और भविष्य पर फोकस

धार जिले में प्रचुर पुरा- सम्पदाओं से समृद्ध ऐतिहासिक पर्यटन नगरी मांडू की वादियों में लगातार तीन दिन तक भाजपा के मंथन प्रशिक्षण वर्ग ने एक अलग ही प्रकार की राजनीतिक हलचल यहां पैदा कर दी। रोजमर्रा की तुलना में यह वादियां अधिक गुलजार रहीं तथा मौसम के तेवर भी बदलते रहे। बारिश की बूंदों ने सिटी आफ जॉय के नाम से विख्यात मांडू की नैसर्गिक सुंदरता में जहां चार चांद लगा दिए तो वहीं भाजपा के सत्ता व संगठन के केंद्रीय व राज्य स्तरीय दिग्गजों के जमावड़े ने एक प्रकार से एक नये शक्ति केन्द्र के रुप में देश और प्रदेश के राजनीतिक फलक पर सहसा मांडू को उभार दिया। इसकी एक प्रमुख वजह यह है कि भारतीय जनता पार्टी 2024 तक होने वाले विधानसभाओं व लोकसभा के चुनाव में अपनी जीत का चौतरफा डंका बजाना चाहती है और विपक्ष को निराशा की वादियों में खो जाने के लिए विवश करना चाहती है।

मांडू प्रशिक्षण वर्ग में चिन्ता-चिन्तन और भविष्य पर फोकस

मांडू के प्रशिक्षण वर्ग से जो कुछ निकलेगा उससे सत्ता और संगठन अपने आपको और चुस्त-दुरुस्त करने का संकल्प लेंगे। तीन दिनी भाजपा के प्रदेश स्तरीय प्रशिक्षण वर्ग में मध्यप्रदेश में भाजपा को और मजबूत करने की रणनीति पर विचार विमर्श किया गया। इस वर्ग का अपने आपमे काफी महत्व है, इसका कारण यह है कि भाजपा के दिग्गज नेताओं से लेकर केन्द्र व राज्य के केबिनेट मंत्रियों तथा संगठन शिल्पी यहां पर मंथन कर रहे थे। प्रशिक्षण वर्ग को भाजपा ने कितनी गंभीरता से लिया इसका अहसास इसी बात से हो जाना चाहिए कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तीनों दिन वर्ग में शामिल हुए। अब यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा कि मांडू मंथन से जिस अमृत की तलाश भाजपा कर रही है वह अपना कितना असर एवं प्रभाव दिखाता है। भाजपा अब प्रदेश के मामले में किसी भी गफलत या अति-विश्वास में नहीं रहना चाहती क्योंकि 2018 के चुनावों में उसकी उम्मीद व दावों के विपरीत वह चुनाव हार गई तथा कांग्रेस की डेढ़ दशक बाद फिर सरकार बन गयी।


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हालांकि उधारी के सिंदूर के भरोसे कांग्रेस में सेंध ़लगाकर भाजपा ने यहां अपनी सरकार बना ली और शिवराज सिंह चौहान पुनः मुख्यमंत्री बन गये। प्रशिक्षण वर्ग में चिन्ता-चिन्तन और भावी रणनीति पर ध्यान केंद्रित करने के स्वर सुनाई दिए तो शिवराज एक अलग ही अंदाज में नजर आये और वह आत्मविश्वास से पूरी तरह ओतप्रोत थे क्योंकि उन्हें पक्का भरोसा है कि 2023 का चुनाव भाजपा उनके नेतृत्व में ही लड़ेगी। वैसे तो काफी पहले से ही भाजपा चुनावी मोड में आ चुकी है और अब उसने पूरी गति पकड़ ली है। कांग्रेस भी हाथ पर हाथ रखे नहीं बैठी है, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ की रणनीति धीरे से जोर का झटका देने की है, परन्तु ऐसा कर पाना इतना आसान नहीं है जितना कि कांग्रेस सोच रही है। वर्ग के अंतिम दिन ‘मध्यप्रदेश कल आज और कल‘ की थीम पर बोलते हुए शिवराज ने जहां 2003 में कांग्रेसी विरासत से मिले खस्ताहाल प्रदेश के चित्र को रेखांकित करते हुए दावा किया कि वर्तमान समय में प्रदेश की तस्वीर पूरी तरह से बदली हुई है। आज हमारा प्रदेश विकास की यात्रा पर है और राज्य सरकार विकास, जनकल्याण और स्वराज के अनेक आयामों पर नित-नये कीर्तिमान गढ़ रही है।

शिवराज सरकार के पूर्व मंत्री और महाराष्ट्र के सहप्रभारी जयभान सिंह पवैया ने कहा कि भारत की प्राणशक्ति उसके सनातन धर्म में है, जब तक सनातन धर्म रहेगा यह देश भी रहेगा। ‘‘सांस्कृतिक राष्ट्रवाद‘‘ विषय पर बोलते हुए पवैया ने कहा कि जब हम राष्ट्रवाद कहते हैं तो इसे राजनीति के चश्मे से कतई नहीं देखा जाना चाहिए, क्योंकि हमारा एकात्म मानववाद, दर्शन तथा संस्कृति राष्ट्रवाद की भावना प्रकट करता है। प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव का कहना था कि देश में अनेक राजनीतिक दल हैं जिनके लिए सिर्फ चुनाव एवं वोट महत्वपूर्ण हैं, लेकिन उन दलों से भाजपा अलग है क्योंकि हमारे लिए वोट से ज्यादा देश की एकता व अखंडता महत्वपूर्ण है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र की सरकार की नीतियों में राष्ट्र की सुरक्षा सर्वप्रथम है। पिछले आठ वर्षों में देश की सीमाएं मजबूत हुई हैं तो वहीं विश्व के कई देशों की सेनाओं से अधिक सक्षम हमारी सेना साबित हुई है। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि मांडू प्रशिक्षण वर्ग का असली मकसद मौजूदा चिन्ता-चिन्तन और भविष्य की मजबूत रणनीति पर केंद्रित था।