181 cheetals left in the forest: कुनों में चीतों के पसंदीदा भोजन की व्यवस्था

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कुनों में चीतों के पसंदीदा भोजन की व्यवस्था, जंगल में छोड़े गए 181 चीतल

भारत में चीतों का इंतजार खत्म हो चुका है। करीब 11 घंटे का सफर करने के बाद चीते भारत पहुंच चुके हैं। पांच मादा और तीन नर चीतों को लेकर विमान ने नामीबिया की राजधानी होसिया से उड़ान भरी। मॉडिफाइड बोइंग 747 विमान से लाए गए इन चीतों में रेडियो कॉलर लगे हुए हैं। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इनमें से तीन चीतों को कूनो में बनाए गए विशेष बाड़ों में छोड़ देंगे।

दो नर चीतों की उम्र साढ़े पांच साल है। दोनों भाई हैं। पांच मादा चीतों में एक दो साल, एक ढाई साल, एक तीन से चार साल तो दो पांच-पांच साल की हैं।

ध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में कुल 8 चीते आने वाले हैं। वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नामीबिया से लेकर भारत तक की यात्रा ये चीते खाली पेट करेंगे। 17 सितंबर को इन चीतों को कार्गो एयरक्राफ्ट से लाया जाएगा।

मुख्य वन संरक्षक जेएस चौहान ने को बताया कि एहतियात के तौर पर यह अनिवार्य है कि यात्रा के दौरान जानवर को खाली पेट रखा जाए। यह सावधानी इसलिए बरती जा रही है क्योंकि लंबी यात्रा के दौरान जानवरों को मतली जैसी समस्या हो सकती है।

वहीं चीतों की भूख मिटाने के लिए कूनो नेशनल पार्क में करीब 181 चीतल छोड़े गए हैं। ये चीतल प्रदेश के राजगढ़ जिले के नरसिंहगढ़ स्थित चिड़ीखो अभयारण्य से लाए गए हैं। और 17 सितंबर को चीते भी कूनो नेशनल पार्क में लाए जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा इन चीतों को यहां बाड़े में छोड़ा जाएगा। इन 8 चीतों में साढ़े पांच साल के 2 नर, एक साढ़े 4 साल का नर, ढाई साल की 1 मादा, 4 साल की 1 मादा, दो साल की 1 मादा और 5 साल की 2 मादा भी शामिल हैं।

जानकारी के मुताबिक कि चिड़ीखो अभयारण्य में चीतल और हिरणों की तादाद बहुत ज्यादा है। इस कारण यहां से 181 चीतल कूनो लाए गए हैं। जानकारों की माने तो चीतल को चीते का पसंदीदा शिकार बताया जाता है। और इसलिए अब चीते अब इन्हीं चीतलों का शिकार करेंगे और अपनी तादाद बढ़ा सकेंगे। बताया जा रहा है कि अब कूनो के बाद अगला पड़ाव गांधीसागर के पास तैयार किया जा रहा है। और यहां पर भी तैयारी की जा चुकी है। जिसमें नरसिंहगढ़ से 500 चीतल भेजे गए थे।

बता दें कि भारत में करीब 74 साल पहले गायब हो चुके चीता की प्रजाति को सरंक्षित करने के लिए चीता प्रोजेक्ट बनाया गया। जिसके तहत नामीबिया से भारत में चीते लाए जा रहे हैं। गत 16 जून को कूनो में तैयारियों का जायजा लेने आए दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया के विशेषज्ञों ने यहां चीतल की और संख्या बढ़ाए जाने का सुझाव दिया था।

शुक्रवार को पांच मादा और तीन नर अफ्रीकी चीते 20 घंटे और आठ हजार किलोमीटर की यात्रा तय करके अपने नए घर भारत के लिए रवाना होंगे। विशेष बोइंग 747 विमान के जरिए चीतों को लाया जाएगा। जिसके बाद चीतों को कूनो नेशनल पार्क ले जाया जाएगा। जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इन चीतों को खुले जंगल में छोड़ेंगे।

चीतों को देखने के लिए कूनो में देश-विदेश के पर्यटकों का भारी संख्या में आना तय है। पर्यटकों को ठहराने के लिए स्थान और घुमाने वाले गाइडों की जरूरत पहले से महसूस होने लगी है। इसीलिए स्थानीय प्रशासन ने 50 आदिवासियों के घरों को ग्रामीण होम स्टे बनाने का फैसला लिया है। साथ ही 30 आदिवासी महिलाओं को टूरिस्ट गाइड भी बनाया गया है।

चीतों की बसाहट के बाद कूनो सेंक्चुरी में पर्यटकों को जंगल, नदी, झरनों से लेकर जंगली जीवों की सटीक जानकारी मिले। साथ ही आसपास के पर्यटक, ऐतिहासिक व दार्शनिक स्थलों की जानकारी पर्यटकों को आसानी से मिले। जिसके लिए गाइड बनाई गई कई युवतियां पढ़ी लिखी हैं, जो अंग्रेजी भी को पढ़ और समझ सकती थीं। इन सभी को तीन महीने का प्रशिक्षण दिया गया है।