“हरीहर मिलन” पर मध्य रात्रि में निकलने वाली सवारी की चाक चौबंद होगी व्यवस्थाएं
उज्जैन से सुदर्शन सोनी की रिपोर्ट
उज्जैन । वर्षाकाल के चातुर्मास में भगवान विष्णु सृष्टि के संचालन का भार भगवान शिव के हाथों में सौंपकर राजा बलि के अतिथि बनकर पाताल लोक में वास करते हैं। देवउठनी एकादशी पर देवशक्ति पुनः जागृत होती है, इसके चार दिन बाद बैकुंठ चतुर्दशी पर भगवान शिव पुन: सृष्टि के संचालन का भार भगवान विष्णु को सौंप देते हैं।
कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी पर छह नवंबर को इसी परंपरा का निर्वहन करने के लिए भगवान महाकाल रात 11 बजे चांदी की पालकी में सवार होकर गोपाल मंदिर जाएंगे। यहां हरि-हर का मिलन होगा, इसके बाद देर रात सवारी पुन: महाकाल मंदिर के लिए रवाना होगी।
वैकुंठ चतुर्दशी पर्व की मध्यरात्री 11 बजे महाकाल मंदिर से निकलने वाली हरिहर मिलन की सवारी की व्यवस्थाओं को चाक चौबंद करने के लिए शनिवार सुबह कलेक्टर एवं अध्यक्ष श्री महाकाल मंदिर समिति आशीष सिंह, पुलिस अधीक्षक सत्येंद्र कुमार शुक्ल, एडीएम संतोष टैगोर, एएसपी बकलवार आदि अधिकारियों ने सवारी मार्ग का निरीक्षण के जरूरी व्यवस्थाओं के निर्देश दिए । कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि पूरे सवारी मार्ग पर निश्चित दूरी के अनुसार बेरीकेटिंग की जाएगी। आम श्रद्धालुगण बेरीकेटिंग के बाहर से ही सवारी के दर्शन करेंगे । महाकाल से गोपाल मंदिर क्षेत्र में धारा 144 लागू रहेगी । विगत कुछ वर्षों से हरिहर मिलन की सवारी के दौरान बेतरतीब तरीके से पटाखे फोड़े जाने के कारण आम दर्शनार्थियों के घायल होने की घटनाएं देखते हुए पूरे सवारी मार्ग पर सीसीटीवी कैमरों के अलावा ड्रोन भी निगरानी रखी जाएगी । पुलिस अधीक्षक ने कहा कि विगत दो वर्षो के अंतराल के बाद (कोरोना काल में लगे प्रतिबंधों) आम श्रद्धालुगण बड़ी संख्या में हरिहर मिलन की सवारी के दर्शनों के लिए इस मार्ग पर पहुंचेंगे, श्रद्धालुओं को सुविधा के साथ बाबा महाकाल के दर्शन हो इसी के दृष्टिगत पूरे मार्ग का पैदल निरीक्षण कर व्यवस्थाओं के निर्देश दिए गए है ।