‘Ken Betwa Link Project’: ‘केन बेतवा लिंक परियोजना’ का सारथी बनेगा ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ …!

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‘Ken Betwa Link Project’: ‘केन बेतवा लिंक परियोजना’ का सारथी बनेगा ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ …!

कौशल किशोर चतुर्वेदी
केन बेतवा लिंक परियोजना बुंदेलखंड के खेतों के लिए वरदान साबित होने वाली है। तो सिंचाई के पानी की मांग का सही आकलन और बराबरी से बंटवारे में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वरदान साबित होने की क्षमता रखता है। यह बात अभी तक शायद ही किसी को पता हो, पर छह साल बाद 2030 में जब केन बेतवा लिंक परियोजना पूरी होने वाली होगी, तब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानि एआई के बिना इस परियोजना की सफलता की कल्पना कर पाना संभव नहीं रहेगा। एआई गरीब-अमीर और छोटे-बड़े काश्तकारों, शक्तिशाली और निर्बल के बीच किसी भी तरह के भेदभाव की गुंजाइश को पूरी तरह खत्म कर देगा। परियोजना से जुड़े हर विंदु पर एआई पैनी नजर रखने में सक्षम रहेगा। केन बेतवा लिंक परियोजना प्राधिकरण के सीईओ प्रशस्त कुमार दीक्षित ने नई दिल्ली में 17 से 20 सितंबर 2024 को आयोजित आठवें इंडिया वाटर वीक में यह रिपोर्ट पेश कर एआई की महत्वपूर्ण भूमिका का खुलासा किया है। और अब जमाना एआई का आ रहा है, तो केबीएलपी में एआई की महत्वपूर्ण भूमिका से किसी तरह इंकार नहीं किया जा सकता है। प्रशस्त कुमार दीक्षित ने तर्कसहित साफ किया है कि केबीएलपी में एआई सुपर मैनेजर की भूमिका का निर्वहन करने की क्षमता रखता है।
पानी को तरसते मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में केबीएलपी बहुउद्देशीय परियोजना भाग्यविधाता बनने वाली है। इससे 10.62 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई, 194 मिलियन क्यूबिक मीटर जल आपूर्ति, 103 मेगावाट पनबिजली, 27 मेगावाट सौर ऊर्जा की सौगात बुंदलेखंड को मिलेगी। 44,605 करोड़ की पर्यावरण हितैषी और अक्षय संसाधन वाली यह परियोजना 2030 तक पूरी होने की संभावना है। इससे 62 लाख आबादी को पेयजल, 120 किमी की मुख्य केन बेतवा लिंक नहर और 5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में माइक्रो इर्रीगेशन की सुविधा मिलेगी। इस परियोजना में कई डैम शामिल हैं। परियोजना पूर्व की स्थिति में भू-उपयोग और फसल पैटर्न की आवश्यकता के अनुसार कमांड एरिया के लिए जल आवंटन एवं जल प्रबंधन किया गया है। जल की उपलब्धता और सिंचाई की आवश्यकता के अनुरूप जल आवंटन में बदलाव संभव है। चूंकि बुंदलेखंड सूखा प्रभावित है, इसलिए स्टेकहोल्डर राज्यों की नजरें भी जल के इस स्रोत की हर गतिविधि पर टिकी रहेंगी। ऐसे में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और इससे संबंधित तकनीकी और उपकरणों की केन बेतवा लिंक परियोजना के विभिन्न पहलुओं में महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी।
केबीएलपी और एआई एक-दूसरे के पूरक बनेंगे। जल आवंटन, मानसून में नदी के कटाव को रोकना और इस तरह निचले हिस्सों में बाढ संबंधी रिस्क को कम करना जैसे पहलुओं में एआई महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। मिट्टी, फसल, सिंचाई, उत्पादन, जल संबंधी भविष्यवाणी सहित विभिन्न पहलुओं में एआई महत्वपूर्ण सहयोगी बनेगा। टिकाऊ जल प्रबंधन क्रियाओं, जलीय प्रदूषण को चिन्हित करना, आबादी को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने में एआई प्रभावी भूमिका का निर्वहन करेगा। भू प्रबंधन, जल प्रबंधन, बाढ प्रबंधन, मैपिंग, जल संरक्षण गतिविधि,पर्यावरण संबंधी गतिविधियों सहित सभी पहलुओं में एआई, केबीएलपी निर्णायकों के सामने रियल टाइम मॉनिटरिंग की भूमिका में रहेगा। स्टेकहोल्डर्स के बीच संवाद की भूमिका भी एआई पूरी करेगा। कुल मिलाकर सभी समस्याओं का समाधान करने में एआई प्रभावी भूमिका में रहेगा।
यह माना जा सकता है कि जिस तरह महाभारत के युद्ध में अर्जुन का सारथी बनकर कृष्ण ने आसुरी शक्तियों को पराजित करने में प्रभावी भूमिका निभाई थी। ठीक उसी तरह केन बेतवा लिंक परियोजना का सारथी बनकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बुंदलेखंड के सूखे को खत्म करने के महाभारत में प्रभावी भूमिका निभाने का काम करेगा। इसमें न्यायपूर्ण प्रबंधन प्रणाली का पर्याय एआई बनेगा। एआई के जरिए खुशहाली और समृद्धि की वर्षा पूरे बुंदलेखंड क्षेत्र में होगी। तो हिस्सेदारों के बीच विश्वास की कसौटी पर भी एआई खरा उतरेगा। केबीएलपी और एआई मिलकर बुंदलेखंड की तकदीर और तस्वीर को बदलकर नए क्षितिज पर ले जाएंगे। भारत सरकार के केन बेतवा लिंक परियोजना प्राधिकरण के सीईओ प्रशस्त कुमार दीक्षित की केबीएलपी और एआई की भूमिका संबंधी इस रिपोर्ट के निष्कर्ष समृद्ध बुंदेलखंड में न्याय और पारदर्शिता की नई इबारत लिखेंगे। इसके साथ ही एआई केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और योगी आदित्यनाथ की यश और कीर्ति का सारथी बनकर करोड़ों किसानों सहित बुंदलेखंड के नागरिकों का दिल जीतने का काम भी करेगा…।