Asaram Trust Objected : एक वकील पर बनी फिल्म को आसाराम ट्रस्ट का नोटिस!
Mumbai : आसाराम बापू ट्रस्ट ने मनोज बाजपेयी की आने वाली फिल्म ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ पर विवाद खड़ा किया। फिल्म के निर्माता को नोटिस दिया गया है। ट्रस्ट के वकील ने कोर्ट से अपील की है कि इस फिल्म की रिलीज और प्रमोशन को रोका जाए। वकील का कहना है कि यह फिल्म उनके मुवक्किल आसाराम की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा रही है। यह फिल्म 23 मई को OTT प्लेटफॉर्म ZEE 5 पर रिलीज होने वाली है। 8 मई को फिल्म का ट्रेलर रिलीज हुआ है।
फिल्म में दिखाया गया कि एक कथित बाबा ने 16 साल की नाबालिग लड़की से दुष्कर्म करता है। फिल्म के डिस्क्लेमर में भी साफ लिखा है कि ये फिल्म सच्ची घटनाओं पर प्रेरित है। फिल्म में दिख रहे बाबा का हुलिया आसाराम से मिलता जुलता है, इसलिए अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह फिल्म आसाराम विवाद से ही जुड़ी है। यह फिल्म आशाराम को सजा दिलाने वाले वकील पीसी सोलंकी की बायोपिक है और इसके लिए हमने राइट्स भी लिए हैं।
उम्रकैद की सजा काट रहा आसाराम
अगस्त 2013 में एक नाबालिग लड़की ने आसाराम पर दुष्कर्म का मुकदमा दायर कराया था। उसके मां-बाप का आरोप था कि आसाराम ने बेटी को भूत-प्रेत के झाड़-फूंक के नाम पर दुष्कर्म किया। उस लड़की से कहा गया था कि तुम्हारे ऊपर भूत प्रेत का साया है। इसे सिर्फ आसाराम बाबू ही ठीक कर सकते हैं। लड़की 15 अगस्त 2013 को आसाराम के जोधपुर आश्रम गई। उसी दिन आसाराम ने लड़की के साथ बलात्कार किया। 20 अगस्त 2013 को पीड़िता के मां-बाप ने शिकायत की। अप्रैल 2018 में जोधपुर की कोर्ट ने आसाराम को गुनहगार पाया और उम्र कैद की सजा सुनाई। तब से वो जेल में ही है।
वकील की बायोपिक है ये फिल्म
फिल्म आसाराम के खिलाफ कोर्ट में केस लड़ने वाले वकील पीसी सोलंकी पर आधारित है। मनोज बाजपेयी ने उसी वकील की भूमिका निभाई है। वकील का पूरा नाम पूनम चंद सोलंकी है। ये वो व्यक्ति हैं, जिसने आसाराम मामले में दुष्कर्म पीड़ित की तरफ से पैरवी की। यह केस लड़ा और उस नाबालिग को न्याय दिलाया।
उन्हें केस छोड़ने के लालच और धमकियां भी दी गई। लेकिन, उन्होंने इसकी परवाह नहीं की। इसी केस में मिली सजा के कारण ही कि आज आसाराम उम्रकैद की सजा काट रहा है। आसाराम की तरफ से नामी वकीलों ने केस की पैरवी की। लेकिन, पीसी सोलंकी ने बड़ी सूझबूझ के साथ पीड़िता का पक्ष अदालत के सामने रखा और बिना डरे मामले को उस मुकाम तक पहुंचाया, जिसके बाद अदालत ने आसाराम को सजा सुनाई।
सोलंकी ने इसके लिए फीस भी नहीं ली
वकील के रूप में पीसी सोलंकी 2014 से इस मामले से जुड़ें थे। वे लगातार केस की पैरवी कर रहे थे और जीतने के बाद ही वो संतुष्ट हुए। इस मामले के लिए सोलंकी ने कोई फीस भी नहीं ली। वे अपने खर्च पर ही दिल्ली और हर जगह जाते रहे। उन्हें इस केस से हटाने के लिए कई लालच दिए गए। जब उन्होंने केस नहीं छोड़ा तो उन्हें जान से मारने की भी धमकी दी। लेकिन, वे बिना परेशान हुए आखिरी तक केस लड़ते रहे और जीते भी।