आसाराम की अस्थायी जमानत एक महीने और बढ़ी, कोर्ट ने कहा- यह अंतिम मौका

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आसाराम की अस्थायी जमानत एक महीने और बढ़ी, कोर्ट ने कहा- यह अंतिम मौका

Ahmedabad गुजरात हाईकोर्ट ने 2013 के दुष्कर्म मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे स्वयंभू संत आसाराम की अस्थायी जमानत एक महीने के लिए और बढ़ा दी है। कोर्ट ने यह राहत मेडिकल आधार पर दी है, लेकिन साफ कहा है कि यह अंतिम एक्सटेंशन होगा- इसके बाद अगर हालात बेहद गंभीर न हुए तो उन्हें जेल लौटना पड़ेगा।

– 28 मार्च 2025 को कोर्ट ने पहली बार तीन महीने की अस्थायी जमानत दी थी, जो 30 जून को खत्म हो रही थी।
– 27 जून को सुनवाई के दौरान जस्टिस इलेश जे. वोरा और जस्टिस संदीप एन. भट्ट की खंडपीठ ने 7 जुलाई तक जमानत बढ़ाई, ताकि आसाराम के वकील जरूरी दस्तावेज पेश कर सकें।
– 2 जुलाई को फिर सुनवाई हुई, जिसमें वकील ने मेडिकल और कानूनी दस्तावेज जमा करने के लिए तीन महीने की और मोहलत मांगी, लेकिन कोर्ट ने सिर्फ एक महीने का एक्सटेंशन दिया।
– कोर्ट ने आदेश में स्पष्ट किया कि यह आखिरी मौका है, आगे कोई और राहत सिर्फ बेहद गंभीर परिस्थितियों में ही दी जाएगी।
– आसाराम के वकील ने दलील दी कि 86 वर्षीय आसाराम गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं, और जमानत प्रक्रिया में 10 दिन पहले ही बर्बाद हो चुके हैं।
गौरतलब है कि आसाराम को गांधीनगर सेशंस कोर्ट ने 2013 के रेप केस में दोषी ठहराया था और उम्रकैद की सजा सुनाई थी। वे फिलहाल मेडिकल आधार पर बाहर हैं, लेकिन हाईकोर्ट ने अब साफ कर दिया है कि आगे राहत की गुंजाइश बेहद सीमित है।

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शर्तों पर जमानत-
आसाराम को मेडिकल आधार पर मिली अंतरिम जमानत के दौरान कोर्ट ने कई सख्त शर्तें लगाई हैं:

1. अनुयायियों से समूह में नहीं मिल सकेंगे: आसाराम को अपने अनुयायियों से व्यक्तिगत या समूह में मुलाकात की अनुमति नहीं है।
2. सभाओं और मीडिया से दूरी: वे किसी भी धार्मिक सभा या सार्वजनिक कार्यक्रम को संबोधित नहीं कर सकते और न ही मीडिया से बात कर सकते हैं।
3. सुरक्षा व्यवस्था: उनकी सुरक्षा के लिए तीन पुलिसकर्मी तैनात रहेंगे, जिनका खर्च आसाराम को उठाना होगा।
4. इलाज के अलावा कोई गतिविधि नहीं: पुलिसकर्मी सिर्फ इलाज या जरूरी कार्यों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे, लेकिन अन्य गतिविधियों पर नजर रखेंगे।
5. सबूतों से छेड़छाड़ नहीं: वे किसी भी तरह से केस से जुड़े सबूतों से छेड़छाड़ नहीं कर सकते।
6. शर्तों का उल्लंघन नहीं: अगर वे इन शर्तों का उल्लंघन करते हैं तो उनकी जमानत तुरंत रद्द की जा सकती है।
कोर्ट ने साफ किया है कि यह राहत सिर्फ गंभीर स्वास्थ्य कारणों से दी गई है और आगे किसी भी उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई होगी।