खगोलीय विवेचना: 28 अक्टूबर को चंद्रग्रहण, क्या है विशेषता और किस राशि पर पड़ेगा प्रभाव!
उज्जैन से अजेंद्र त्रिवेदी की रिपोर्ट
शनिवार 28 अक्टूबर को चंद्र ग्रहण है। उज्जैन के प्रसिद्ध विद्वान पंडित मितेश पांडे द्वारा जानिए कैसा रहेगा चंद्र ग्रहण:
सौरमंडल में लगने वाली ग्रहण की घटना भले ही खगोलीय हो,लेकिन ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इसके लाभ और हानि का दूरगामी परिणाम होता है।
आइए इसके कुछ बिंदुओं पर विचार करे। दिनांक 28/10/23 को लगने वाला चंद्र ग्रहण खंडग्रास होगा एवं भारत में दृष्ट होगा।
-ग्रहण कब-
आश्विन/शुक्ल/पूर्णिमा
दिनांक 28/10/23 शनिवार
ग्रहण सूतक प्रारम्भ-
दी•28/10/23 शाम 04.05 से
-ग्रहण काल प्रारंभ-
दी•,28/10/23 रात्रि 11.30
-मध्य काल-
रात्रि 01.05
-ग्रहण मोक्षकाल-
रात्रि 02.25
ज्योतिषीय विवेचना-
मिथुन,कन्या,मकर,कुंभ राशि के जातकों के लिए शुभ ।
अन्य राशियों के लिए मिश्रित समय।
अश्विनी नक्षत्र एवं मेष राशि वाले जातकों को विशेष सावधानी ।
ग्रहण काल के दान एवं अन्य उपाय-
1) सर्व भूमिसमं दानं सर्वे ब्रह्मसमा द्विजाः ।
सर्व गंगासमं तोयं ग्रहणे चंद्रसूर्ययोः ॥
इन्दोर्लक्षगुणं पुण्यं स्वेर्दशगुणं ततः ।
अर्थ – स्नान, दान एवं श्राध्द आदि का चंद्रग्रहण में लाख गुणा अधीन फल प्राप्त होता है।
2) सभी प्रकार के कष्टो से निवर्तित एवं कामनापूर्ति हेतु अपने इष्ट देव के मूल मंत्र का ग्रहण काल मे जाप करने से अनंत कोटि पुण्य की प्राप्ति होती है।
3) ग्रहण से उत्पन्न कष्टो की निवृत्ति हेतु घी,
चांदी की चंद्र देव की प्रतिमा, चावल,ऊनि कंबल,दही,शंख, सीपी,
कच्ची खिचड़ी,नमक एवं गुड़ आदि का दक्षिणा सहित ग्रहण मोक्ष के उपरांत दान करे।
विशेष सावधानियां-
गर्भवती स्त्री, नवजात शिशु,त्वचा, नेत्र,रक्त रोग,दमारोग,मानसिक रोग से पीड़ित ग्रहण काल मे कदापि बाहर न निकले।
बालक, गर्भवती स्त्री,रोगी,वृध्द के अतिरिक्त सभी सूतक प्रारम्भ होते ही भोजन का त्याग करे फल,दूध,चाय, दही का सेवन कर सकते है।
खाने पीने की सूखी वस्तु एवं कच्चे भोजन मे कुशा रखे।ग्रहण सूतक प्रारंभ होते ही किसी भी प्रतिष्ठित मूर्ति का स्पर्श न करे।ब्रह्मचारी रहे।ग्रहण के स्पर्श और मोक्ष काल में स्नान करे।नग्न आंखो से ग्रहण न देखे।