अटल जी…सुशासन की यात्रा लंबी है अभी…

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अटल जी…सुशासन की यात्रा लंबी है अभी…

कौशल किशोर चतुर्वेदी

विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक नगरी खजुराहो में नदी-जोड़ो परियोजना के तहत देश की पहली केन-बेतवा लिंक परियोजना के शिलान्यास, देश के पहले सोलर फ्लोटिंग प्रोजेक्ट ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सौर परियोजना का लोकार्पण, सुशासन के प्रतीक मध्यप्रदेश में 1153 अटल ग्राम सेवा सदनों का भूमि-पूजन एवं अटल जी की स्मृति में डाक टिकट और स्मारक सिक्का जारी होने के साथ ही मध्यप्रदेश में 25 दिसंबर 2024 का दिन इतिहास में दर्ज हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर कहा कि केन-बेतवा नदी जोड़ो राष्ट्रीय परियोजना से पूरे बुंदेलखंड क्षेत्र में समृद्धि और खुशहाली के नये द्वार खुलेंगे। मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है, जहां नदियों को जोड़ने के अभियान की शुरूआत हुई है। विकसित भारत के लिए विकसित मध्यप्रदेश बनाने में बुंदेलखंड का अहम रोल होगा। आने वाले सालों में मध्यप्रदेश देश की टॉप इकोनामी में से एक होगा। मोहन सरकार ने एक वर्ष में मध्यप्रदेश के विकास को नई गति दी। तो कटाक्ष किया कि पूर्व की सरकारों ने बुंदेलखंड में सूखे की समस्या को दूर करने कोई स्थाई समाधान नहीं खोजा। तो आभार जताया कि मध्यप्रदेश से निकली माँ नर्मदा के आशीर्वाद ने गुजरात का भाग्य बदल दिया।

मोदी ने कहा कि केन-बेतवा लिंक परियोजना अटल जी के विजन का परिणाम है। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल जी की जयंती सुशासन और हमारी सुप्रेरणा का दिन है। और अमेरिका के अखबार की रिपोर्ट को साझा करते हुए बताया कि मध्यप्रदेश दुनिया के टॉप-10 टूरिज्म डेस्टिनेशन में से एक है। तो मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी मध्यप्रदेश के लिए आधुनिक भगीरथ हैं।प्रधानमंत्री मोदी ने सुशासन के साथ लोकतंत्र को भी पुष्पित-पल्लवित क्या है। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने कहा कि कांग्रेस के प्रधानमंत्री कहते थे एक समय खाना छोड़ दो, मोदी जी मुफ्त अनाज बांट रहे हैं। तो खजुराहो सांसद और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री जी महात्मा गांधी व डॉ. अंबेडकर के विचारों को जमीन पर उतार रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डॉ. मोहन यादव, सीआर पाटिल, विष्णुदत्त शर्मा के विचार अपनी जगह ठीक हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सराहना की, कि पिछले एक वर्ष में मध्यप्रदेश में विकास कार्यों को नई गति मिली है। आज मध्यप्रदेश में हजारों करोड़ की विकास परियोजनाओं की शुरुआत हुई है। डॉ. मोहन यादव को “कर्मठ मुख्यमंत्री” की संज्ञा देते हुए सरकार और प्रदेश की जनता को बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं दीं।पर सबसे महत्वपूर्ण बात प्रधानमंत्री मोदी ने कही कि देश के विकास में अटल जी का योगदान सदैव याद रखा जाएगा। वे सुशासन के प्रतीक थे। आज उनकी जन्म शताब्दी के अवसर पर उनकी स्मृति में मध्यप्रदेश में 1153 अटल ग्राम सेवा सदन का निर्माण प्रारंभ हो रहा है, जिसकी पहली किश्त भी जारी की गई है। सुशासन हमारी सरकार की पहचान है। हमारे लिए जनहित, जनकल्याण और विकास सर्वोपरि है। हम जन सामान्य के लिए समर्पित हैं। आजादी के दीवानों ने देश के लिए अपना लहू बहाया था, हम उनके सपनों को पूरा करने के लिए पसीना बहाते हैं। अच्छी योजनाओं के साथ ही उन्हें लागू करना और उनका लाभ 100% लाभार्थी तक पहुंचाना सुशासन का पैमाना है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सुशासन का अर्थ है जनता को अपने अधिकारों के लिए हाथ न फैलाना पड़े और सरकारी दफ्तरों के चक्कर न काटने पड़ें। सुशासन के लिए हमने तकनीकी का भी पूरा उपयोग किया, जिससे फर्जीवाड़ा बंद हुआ है। गरीबों के जन-धन बैंक खाते खुलवाए गए और उन्हें आधार और मोबाइल से जोड़ा गया। अब उनके खाते में किसान सम्मान निधि, लाडली बहना आदि योजनाओं की राशि सीधे ही पहुंच रही है। गरीबों को बिना परेशानी के मुफ्त राशन उपलब्ध कराने के लिए “एक देश-एक राशन कार्ड” योजना चल रही है। हम सुशासन की वर्तमान चुनौतियों को दूर करते हुए भविष्य की चुनौतियों पर भी कार्य कर रहे हैं।

हम बस मोदी जी की इसी बात पर ठहर रहे हैं कि सुशासन की वर्तमान चुनौतियों से निपटना अभी बाकी है। यानि सुशासन के लिए बहुत दूरी तय की है तो बहुत दूरी तय करना बाकी है, तभी सुशासन की सुगंध पूरे प्रदेश और पूरे देश को महका पाएगी। मोदी जी ने कहा है कि हम सुशासन को लेकर भविष्य की चुनौतियों पर भी कार्य कर रहे हैं। यानि चुनौतियां अभी भी हैं और भविष्य में भी हैं। जब वह खत्म होंगी, तब अटल के विचारों का सुशासन देखने को मिलेगा। तब वह बहुत कुछ नजर आएगा, जिसकी कमी अभी सुशासन की राह में रोड़ा बनी हुई है। अटल जी की 100वीं जयंती को सुशासन दिवस के रूप में मनाकर हम चुनौतियों की लंबी-चौड़ी सूची बनाकर उनसे निपटने का संकल्प ले सकते हैं, पर अभी देश में सुशासन होने का दावा कतई नहीं कर सकते। अटल जी के चित्र को साक्षी मानकर फिलहाल यही कहा जा सकता है कि अटल जी…सुशासन की यात्रा अभी बहुत लंबी है। हम सुशासन लाकर जल्दी ही आपको सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करने का वचन देते हैं। यदि सच्चे मन से यह भाव मन में उतार लिए…तो अटल जी की आत्मा जहां भी होगी, वहीं सच्चे आनंद में सराबोर होकर एक बार जरूर मुस्कुराएगी।

अटल जी ने अपनी कविताओं में अपनी वेदना को खुलकर वर्णित किया है। और यह वेदना राजनेता की नजरों से देखी गई जन-जन की दुर्दशा पर भी उनकी प्रतिक्रिया थी। ऐसी ही एक कविता –

 

“मैंने जन्म नहीं मांगा था!”

 

मैंने जन्म नहीं मांगा था,

 

किन्तु मरण की मांग करुँगा।

 

जाने कितनी बार जिया हूँ,

 

जाने कितनी बार मरा हूँ।

 

जन्म मरण के फेरे से मैं,

 

इतना पहले नहीं डरा हूँ।

 

अन्तहीन अंधियार ज्योति की,

 

कब तक और तलाश करूँगा।

 

मैंने जन्म नहीं माँगा था,

 

किन्तु मरण की मांग करूँगा।

 

बचपन, यौवन और बुढ़ापा,

 

कुछ दशकों में ख़त्म कहानी।

 

फिर-फिर जीना, फिर-फिर मरना,

 

यह मजबूरी या मनमानी?

 

पूर्व जन्म के पूर्व बसी—

 

दुनिया का द्वारचार करूँगा।

 

मैंने जन्म नहीं मांगा था,

 

किन्तु मरण की मांग करूँगा।

 

हो सकता है कि यह मरण की मांग सुशासन न होने के चलते अटल के मन में व्याप्त हुई हो। अभी भी हर व्यक्ति अपने हक के लिए हाथ भी फैला रहा है और दफ्तरों के चक्कर भी काट रहा है। पर यह भी सच्चाई है कि देश के हर नागरिक को अटल जी के जन्मदिन को सुशासन दिवस के रूप में मनाने के लिए सुशासन लाने की लंबी यात्रा में भागीदार बनना पड़ेगा। तभी सुशासन की फसल लहलहा पाएगी

…और साल का हर दिन सुशासन दिवस बन सकेगा…।