मुलाकात-
Avika Puranik: एक बाल चित्रकार जो श्री कृष्ण से लेकर मोदी जी तक के चित्र रंगोली से बना चुकी है
कला शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग “ऋग्वेद” में हुआ है . कला को अंग्रेजी में ART कहते हैं. जो लैटिन शब्द ARS का विकसित रूप है जिसका अर्थ होता है- बनाना या उत्पन्न करना. अंग्रेजी भाषा में Art शब्द का प्रयोग 13वी शताब्दी में प्रचलित हुआ. कला के माध्यम से विचारों (Ideas) भावों (Emotions) एवं इच्छाओं (Wishes) को अभिव्यक्त किया जाता है. कला को विभिन्न नामों से भी पुकारा जाता हैI जैसे- साहित्य कला, संगीत कला, चित्रकला, मूर्तिकला एवं स्थापत्य कला . इन समस्त कलाओं को ललित कला कहा जाता है .विष्णुधर्मोत्तरपुराण में लिखा हुआ है-
“कलानाम प्रवरम चित्रम”
अर्थात, कलाओं में चित्रकला सर्वश्रेष्ठ है.
आज हम आपको चित्र कला की एक नन्ही कलाकार से मिलवाते है, ये है अविका पुराणिक जो केवल प्रकृति का चित्रन नहीं करती बल्कि वह कई शक्सियतों को भी उकेरती है, मात्र 13 वर्षीय अविका इंदौर की एक उभरती हुई कलाकार हैं।अविका पेंटिंग के साथ साथ रंगोली में भी कई प्रतियोगिताएं जीत चुकी हैं।
इंदौर के होली फैमिली स्कूल में कक्षा 9 में पढ़ने वाली अविका ने चित्रकारी की कोई परम्परागत शिक्षा नही ली है, लेकिन लगातार अभ्यास और अपनी लगन से इस नन्ही कलाकार ने अपना एक बहुत ऊंचा मुकाम बनाया हैं।
कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन में जब सभी बच्चे बोर रहे थे, उसी वक़्त अविका ने रोज़ एक चित्र बना बनाकर लगातार अभ्यास को जारी रखा, जिसके फलस्वरूप आज चित्रकारी और रंगोली में प्रवीणता हासिल कर पाई हैं।अविका को केवल इंदौर ही नही बल्कि कई अन्य शहरों से भी लगातार प्यार और समर्थन मिलता आया हैं।
अविका ने पेंटिंग में तो कई प्रतियोगिताएं जीती ही हैं, बल्कि रंगोली में भी नए नए प्रयोग करके अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया हैं।
अविका को लगातार तन्मयता से अभ्यास करने का गुण अपने दादाजी श्री शम्भूदयाल पुराणिक जी से मिला जबकि उसके अभ्यास के दौरान उसे लगातार मदद और होंसला अफजाई दादीजी श्रीमती रश्मि पुराणिक और माताजी श्रीमती कोमल पुराणिक से मिली हैं।