पिछड़ा वर्ग (Backward Vlasses) जयते … राजनीति का दौर जारी है…

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पिछड़ा वर्ग (Backward Classes) जयते … राजनीति का दौर जारी है…
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मध्यप्रदेश स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी (Backward Classes) को सम्मान के साथ आरक्षण मिलने का रास्ता साफ हो गया है। व्याख्या अपनी-अपनी तरह से हो सकती है, लेकिन सबसे बड़ी खुशी इस बात की मनाई जा सकती है कि कागजों में अब यह चुनाव बिना आरक्षण के नहीं होंगे।
राजनैतिक दल अपनी तरफ से जितना चाहें उतना प्यार ओबीसी (Backward Classes) वर्ग पर उड़ेलने को स्वतंत्र हैं, लेकिन फिलहाल बिना अतिरिक्त प्यार पाए भी ओबीसी (Backward Classes) वर्ग का हक सुप्रीम कोर्ट ने तय कर दिया है। भाजपा सरकार और संगठन ने मिलकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सत्य की जीत बताते हुए खुशी का ढोल ढमाकों के संग इजहार किया। तो कांग्रेस ने भी फैसले का स्वागत तो किया, लेकिन दु:ख भी जताया कि 27 फीसदी आरक्षण का संवैधानिक रास्ता अभी खुल नहीं पाया।
दरअसल पिछडा वर्ग (Backward Classes) कल्याण आयोग द्वारा किए गए ट्रिपल टेस्ट की रिपोर्ट को मान्य करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश में पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव पिछडा वर्ग (Backward Classes) आरक्षण के साथ करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पिछडा वर्ग (Backward Classes) को न्याय मिला है, सत्य की जीत हुई है। भारतीय जनता पार्टी के लिए सभी वर्गो का कल्याण प्राथमिकता है, लेकिन सवाल भी किया कि कांग्रेस केवल वोट बैंक की राजनीति करती है।
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कमलनाथ और कांग्रेस आज पिछडा वर्ग (Backward Classes) के हितैषी बन रहे है लेकिन कांग्रेस महाराष्ट्र सरकार में शामिल है, वहां स्थानीय निकाय में पिछडा वर्ग (Backward Classes) को आरक्षण क्यों नहीं दिला पायी? प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव को ओबीसी आरक्षण के साथ कराने के हमारे संकल्प को सुप्रीम कोर्ट ने मान्यता प्रदान की है। भारतीय जनता पार्टी की सरकार ओबीसी वर्ग को उनका अधिकार दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। भाजपा और प्रदेश सरकार ने मिलकर संकल्प लिया था कि बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव नहीं करेंगे।

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भाजपा सरकार के प्रयासों से आए कोर्ट के आदेश के बाद कांग्रेस का झूठ सार्वजनिक हुआ है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला सरकार और संगठन के संकल्प की जीत है। नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि यह जीत मध्यप्रदेश की है। ओबीसी वर्ग की ऐतिहासिक जीत है। 21 मई को प्रातः 11 बजे मुख्यमंत्री निवास पर प्रदेश का पिछडा वर्ग (Backward Classes) समाज और पिछडा वर्ग मोर्चा मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा का अभिनंदन करेगा।
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प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि हम पहले दिन से ही कह रहे थे कि मध्यप्रदेश में बगैर ओबीसी आरक्षण के पंचायत व नगरीय निकाय के चुनाव नहीं होना चाहिये,सरकार इसको लेकर सभी आवश्यक कदम उठाये। सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश में ओबीसी आरक्षण के मामले में राहत प्रदान करने का निर्णय दिया है, उसका हम स्वागत करते हैं।लेकिन हमारी सरकार द्वारा 14% से बढ़ाकर 27% किये गए ओबीसी आरक्षण का पूरा लाभ ओबीसी वर्ग को अभी भी नहीं मिलेगा क्योंकि निर्णय में यह उल्लेखित है कि आरक्षण 50% से अधिक नहीं होना चाहिए।

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हमें ओबीसी वर्ग का भला करने की शिवराज सरकार से कोई उम्मीद नहीं थी।इसलिए हमने पहले से ही यह निर्णय ले लिया है कि हम निकाय चुनाव में 27% टिकट ओबीसी वर्ग को देंगे और इस वर्ग को उनका पूरा अधिकार देंगे। पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आरक्षण का फैसला स्पष्ट कर रहा है कि नगरीय निकाय और पंचायत के चुनाव में आरक्षण 50% से ज्यादा नहीं होना चाहिए। हमने कहा था कि 27% आरक्षण देंगे, एक बड़ा धोखा मध्यप्रदेश के पिछड़ों के साथ फिर से सरकार ने और शिवराज सिंह चौहान ने किया है।
खैर पिछड़ा वर्ग (Backward Classes) के मामले में राजनीति का दौर जारी है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पिछड़ा वर्ग की जीत हुई है। हक के साथ पिछड़ा वर्ग (Backward Classes) को जो सम्मान मिला है, वह काबिले तारीफ है। इसे भाजपा सरकार और संगठन अपनी जीत माने, तो भी स्वीकार है और कांग्रेस को इससे संतुष्टि नहीं है, तो वह भी स्वीकार है। पिछड़ा वर्ग (Backward Classes) जयते…बस यही काफी है। राजनीति का दौर जारी है…और जारी रहे।