क्या वाकई मप्र के एक वरिष्ठ मंत्री के बुरे दिन चल रहे हैं? पहले इन मंत्रीजी के अफसर साढू पर सरकार ने हंटर चलाया और अब मंत्रीजी के बेटे की मुश्किलें शुरु हो गई हैं। मंत्रीजी के साढू उनके कथित संरक्षण में जमकर माल कूट रहे थे। मुख्यमंत्री की एक योजना में 18 करोड़ के गोलमाल का मामला विधानसभा में उठा तो सरकार ने मंत्री जी के साढू को न केवल निलंबित किया, बल्कि उनके खिलाफ ईओडब्ल्यु में एफआईआर भी करा दी। यह मामला ठंडा भी नहीं हुआ था कि केन्द्रीय प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंत्री जी के लाडले बेटे पर शिकंजा कस दिया है। बेटे पर आरोप है कि वह उस चिटफंड कंपनी में डायरेक्टर है, जिसने पैसे दुगने करने का लालच देकर जनता से 80 करोड़ की ठगी की है। इस मामले में ईडी ने रायसेन पुलिस से पूरा ब्यौरा मंगा लिया है।
कमलनाथ सरकार के भ्रष्टाचार पर पर्दा?
कमलनाथ सरकार में जल संसाधन विभाग में हुए एक बड़े फर्जीवाड़े पर मौजूदा सरकार ने अब न केवल पर्दा डाल दिया है, बल्कि ईओडब्ल्यु के हाथ पैर भी बांध दिये हैं। मामला जल संसाधन विभाग के 3333 करोड़ के 7 ठेकों में कमीशन के लालच में ठेकेदारों को 877 करोड़ के नियम विरुद्ध एडवांस भुगतान का है। यह मामला उजागर होने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तीखी नाराजगी जाहिर करते हुए ईओडब्ल्यु से जांच कराने और एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिये थे। फिलहाल इस घोटाला पर्दा डाल दिया गया है। ऐसा लगता है कि ईओडब्ल्यु के हाथ पैर भी बांध दिये गये हैं।
कालीचरण को भारतरत्न!
इसे मप्र का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर उनके खिलाफ अश्लील शब्दों का इस्तेमाल करने वाले कालीचरण महाराज को ग्वालियर में अखिल भारतीय हिन्दू महासभा ने नाथूराम गोडसे बाबा आप्टे भारतरत्न से सम्मानित किया गया है। कालीचरण महाराज इस समय जेल में है। हिन्दु महासभा ने यह सम्मान पत्र कालीचरण के गृह जिले अकोला महाराष्ट्र भेजने का निर्णय लिया है। ग्वालियर में हिन्दु महासभा का कार्यालय आज भी उसी भवन में है, जहां महात्मा गांधी की हत्या का षडयंत्र रचा गया था। हत्या से पहले नाथूराम गोडसे यहां ठहरा था। यहीं पर गोडसे को पिस्टल दी गई थी। यहीं गोडसे ने पिस्टल चलाने का प्रशिक्षण लिया था। इस मामले में राज्य सरकार की खामोशी से गांधीवादी बेचैन नजर आ रहे हैं।
कुलपति जाएंगे जेल!
यह मप्र में उच्च शिक्षा परिसरों की दुर्गति का सबसे बड़ा उदाहरण है कि यहां तीन विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के खिलाफ आर्थिक अनियमितताओं की जांच चल रही है। अम्बेडकर विश्वविद्यालय की कुलपति आशा शुक्ला को जांच दोषी में पाकर हटा दिया गया है। उनके खिलाफ ईओडब्ल्यु में शिकायत दर्ज करने की तैयारी है। इसी तरह भोज विश्वविद्यालय के कुलपति जयंत सोनवलकर के खिलाफ आर्थिक अनियमितताओं का पुलंदा जांच के लिये राजभवन भेजा गया है। अब सांची विश्वविद्यालय का नाम भी इसमें शुमार हो गया है। यहां के कुलपति पर मनमानी और भ्रष्टाचार के आरोप लगने लगे हैं। कुलपति को विश्वविद्यालय परिसर में या आसपास रहना चाहिए, लेकिन रायसेन के सांची विश्वविद्यालय के कुलपति के लिये भोपाल में 75 हजार रुपए महीने का बंगला किराये पर लेने की खबर है।
सहाराश्री को कौन बचा रहा है?
मप्र पुलिस के रिकार्ड में सहारा ग्रुप के चेयरमैन सुब्रत राय फरार हैं। उनके खिलाफ मप्र के लगभग एक दर्जन जिलों में धोखाधड़ी और अमानत में ख्यानत की एफआईआर दर्ज हैं। पिछले जुलाई में रतलाम पुलिस ने सुब्रत राय को गिरफ्तार करने उनके लखनऊ स्थित कार्यालय पर छापा भी मारा, लेकिन वे नहीं मिले। दूसरी ओर सुब्रत राय खुलेआम घूम रहे हैं। पिछले दिनों उन्होंने मुम्बई के एक अस्पताल में अपना उपचार भी कराया। मजेदार बात यह है कि सहारा ग्रुप बयान जारी कर सुब्रत राय के कार्यक्रमों की जानकारी भी देता है। सवाल यह है कि सुब्रत राय सार्वजनिक कार्यक्रमों में शामिल हो रहे हैं तो मप्र पुलिस उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं कर रही? मुखबिर का कहना है कि सुब्रत राय को जानबूझकर कर बचाया जा रहा है। जिस दिन दिल्ली का इशारा होगा पुलिस सुब्रत राय को दबोच लेगी।
कांग्रेस में रहना है तो…
ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद मप्र कांग्रेस में अब कमलनाथ का एक छत्र राज हो गया है। वैसे तो कांग्रेस में अभी भी दिग्विजय सिंह, सुरेश पचौरी, अजय सिंह, अरूण यादव, कांतिलाल भूरिया,विवेक तनखा के अपने अपने गुट हैं, लेकिन कमलनाथ के सामने सभी बहुत बौने दिखाई दे रहे हैं। संगठन में नियुक्तियों से लेकर अगले विधानसभा चुनाव की रणनीति बनाने तक सारे फैसले कमलनाथ स्वयं ले रहे हैं। कमलनाथ के बंगले पर होने वाली अनेक बैठकों में इन दिग्गज कांग्रेस नेताओं को नहीं बुलाया जाता। बीते सप्ताह दिग्विजय सिंह को मुख्यमंत्री से मिलने के लिये जब कमलनाथ का सहारा लेना पड़ा तो एक झटके में नीचे तक संदेश चला गया है कि कांग्रेस में रहना है तो जय जय कमलनाथ कहना है।
और अंत में…
ग्वालियर में एक न्यायाधीश स्वयं पिछले दस महीने से न्याय के लिये भटक रहे हैं। परेशान होकर न्यायाधीश ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। दरअसल पिछले साल उनकी पत्नि का कोरोना के कारण एक निजी अस्पताल में निधन हो गया था। आरोप है कि अस्पताल में उनकी पत्नि के शव से गहने चुरा लिये गये। पिछले दस महीने से न्यायाधीश पुलिस से अपनी पत्नि के गहने वापस कराने की गुहार लगते रहे, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की तो आखिर न्यायाधीश को ग्वालियर हाईकोर्ट में याचिका दायर करना पड़ी। हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से जबाव मांगा है।