Baha India 2024 : ‘बाहा इंडिया’ के जरिए देश में वाहन क्रांति की दिशा में नई पहल!

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Baha India 2024 : ‘बाहा इंडिया’ के जरिए देश में वाहन क्रांति की दिशा में नई पहल!

चंडीगढ़ से कर्मयोगी की रिपोर्ट

Chandigadh : बदलते वक्त के साथ देश में यह सोच विकसित हो रही है कि विश्वविद्यालयों के इंजीनियरिंग के छात्रों के लिए नया शैक्षिक माहौल विकसित किया जाए। इससे न केवल छात्रों की रचनात्मक प्रतिभा का विकास हो सके, बल्कि उद्योगों के अनुरूप इंजीनियर भी तैयार किए जा सकें। साथ ही देश की जरूरतों के अनुरूप नए अनुसंधान हों और हम विदेशी आयात पर निर्भरता कम कर सकें। इसी मकसद से ऑटोमोटिव इंजीनियर्स की पेशेवर सोसाइटी एसएई इंडिया विभिन्न विश्वविद्यालयों के बीच समन्वय स्थापित करके छात्रों की रचनात्मक प्रतिभाओं को प्रमाणिक व उर्वरकता प्रदान कर रही है।

देश में फ्लैगशिप कार्यक्रम बाहा एसएई इंडिया 2024 आगाज किया जा रहा है। इस बार प्रतियोगिता की थीम ‘मल्टीवर्स ऑफ मोबिलिटी’ रखा गया है। इसमें देश-विदेश की 164 टीमें भाग ले रही हैं। जिसके वर्चुअल राउंड की शुरुआत चंडीगढ़ की चितकारा यूनिवर्सिटी से की गई है। एसएई इंडिया ईईबी के चेयरमैन व टीईआरआई के प्रतिष्ठित फेलो आईवी राव बताते हैं कि इस बार प्रतियोगिता तीन चरणों में आयोजित की जाएगी। चितकारा यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ की वाइस चांसलर डॉ अर्चना मंत्री बताती हैं ऑटोमोटिव इंजीनियर की सोसाइटी एसएई इंडिया एक गैर लाभकारी व शोध कार्यों को प्रोत्साहन देने वाली संस्था है। यदि वाहन निर्माण के क्षेत्र में शोध की जरूरत तो सरकार व विश्वविद्यालयों को परामर्श देती है।

फ्लैगशिप कार्यक्रम बाहा एसएई इंडिया 2024 में अध्ययनरत इंजीनियरों ने पूरे देश में 164 गाड़ियां बनाई है। चितकारा विश्वविद्यालय की भी एक गाड़ी शॉर्टलिस्ट की गई। हम इंजीनियरिंग के छात्रों की वास्तविक प्रतिभा निखारने के लिए उद्योगों के साथ मिलकर पाठ्यक्रम तैयार करते हैं, ताकि उद्योग की जरूरत के हिसाब से इंजीनियर तैयार हो सकें। उल्लेखनीय है कि डॉ अर्चना मंत्री मध्यप्रदेश मूल की हैं और उनके पिता आरसी लाहोटी भारत के चीफ जस्टिस रह चुके हैं।

एसएई इंडिया और इससे जुड़े विश्वविद्यालयों की कोशिश है कि आने वाले कुछ सालों में वाहनों में ऐसे फीचर्स आएं, जो लेन ड्राइविंग, ओवरस्पीड से लेकर अनेक अन्य मौकों पर सचेत करें। दूसरी और वाहनों से उत्सर्जित कार्बन को न्यूनतम करने के लिए भी कई चरणों में ईंधन प्रयोग में सुधार के लिए अनुसंधान जारी हैं। सीएनजी, इलेक्ट्रिक के बाद हाइड्रोजन इंजनों के साथ ही ऑटो मोड वाले इंजनों पर काम चल रहा है। दरअसल, फ्लैगशिप कार्यक्रम में वर्चुअल सेल्स इवेंट, गो ग्रीन इवेंट और वर्चुअल डायनेमिक इवेंट ऑफ मेन्यू वेदरेबिलिटी इवेंट शामिल हैं।

इसके बाद वर्चुअल डिज़ाइन इवैल्यूएशन इवेंट, कॉस्ट इवेंट और वर्चुअल डायनेमिक ऑल टैरेन परफॉर्मेंस इवेंट आयोजित किए जाएंगे। बाहा एसएई इंडिया कॉलेज के स्तर पर इंजीनियरिंग डिजाइन प्रतियोगिता आयोजित कर रही है। जिसका मकसद इंजीनियरों की प्रतिभा को तराशना है। प्रतियोगिता में सिंगल-सीटर ऑल-टेरेन व्हीकल (एटीवी) की अवधारणा, डिजाइन, मॉडलिंग, विश्लेषण, निर्माण, सत्यापन करना और इस ऑल टरेन व्हीकल के साथ प्रतिस्पर्धा करना शामिल हैं।

प्रत्येक वर्ष, बाहा एसएई इंडिया में देश के पांच हजार से दस हजार इंजीनियरिंग विद्यार्थियों का बड़ा समूह एक साथ जुड़ता है। वर्चुअल इवेंट्स की निरंतता के कारण अंतर्राष्ट्रीय टीमों की भागीदारी को भी सुनिश्चत किया जा सका है। इस बार प्रतियोगिता की थीम ‘मल्टीवर्स ऑफ मोबिलिटी’ रखा गया है। मोबिलिटी के क्षेत्र में, बाहा एसएई इंडिया का लक्ष्य प्रतिस्पर्धा के दायरे में विविधता लाना और उसका विस्तार करना है। प्रतियोगिता उभरते ऑटोमोबाइल इंजीनियरों को विविध चुनौतियों और बाधाओं को पार करने, आवश्यक कौशल से लैस करने और तकनीकी विशेषज्ञता हासिल करने के लिए मदद करती है। जिससे वे अपने बदलाव कारी कार्यस्थल परिदृश्य के लिए पेशेवर के रूप में तैयार हो सकें। फ़िलहाल बाहा एसएई इंडिया के पूर्व छात्र दुनिया भर की प्रतिष्ठित वाहन निर्माता कंपनियों में सार्थक उपस्थिति दर्ज कर रहे हैं।

दरअसल, आयातित पेट्रोलियम पदार्थों पर निर्भरता कम करने के मकसद से अधिक स्मार्ट, सुरक्षित और टिकाऊ भविष्य की दृष्टि से बाहा एसएई इंडिया ने हाइड्रोजन-आधारित इंटरनल कंबशन इंजन के विकल्प पर अपना ध्यान केन्द्रित किया है। बाहा ने 2024 सीज़न के लिए सीएनजी आधारित बाई फ्यूल इंजेक्टेड इंजन पेश किया है जो आगे चल कर हाइड्रोजन की तरफ जाएगा। इसी तरह, निरंतर विकसित हो रही प्रौद्योगिकी और एडवांस ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम एव आर्टिफिशियली इंटेलिजेंस के बढ़ते प्रभाव के चलते अधिक छात्रों को इस विकास में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिए बाहा इंडिया ने उद्योग जगत के विभिन्न संगठनों के समर्थन से ऑटोनॉमस बाहा (ऐ-बाहा) को भी एक बार नई कैटेगरी के तौर पर शुरू किया है। बाहा इंडिया अगली पीढ़ी के मोबिलिटी इंजीनियरों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

बाहा इंडिया के सलाहकार व चितकारा यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस डॉ केसी वोरा के मुताबिक, बाहा इंडिया उद्योग और शिक्षा जगत के बीच की दूरी को पाटने के लिए समर्पित हैं। यह प्रतियोगिता इंजीनियरिंग के उऩ स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों के लिए जो कि सिंगल सीटर एटीवी के निर्माण की प्रक्रिया में लगे हैं। उऩको महत्वपूर्ण तकनीकी गैर-तकनीकी कौशल को सिखाने के लिए जमीन तैयार करता है ताकि उन्हें अनुकूल वातावरण देकर इंडस्ट्रीज के लिए तैयार किया जा सके। इस बार के आयोजन में एम-बाहा और ई-बाहा के साथ ऐ-बाहा (ऑटोनॉमस बाहा) और एच-बाहा (हाइड्रोजन भी शामिल है। साथ ही प्रतियोगिता के प्रायोजकों को बाहा इंडिया-एचआर मीट के दौरान भाग ले रही सर्वश्रेष्ठ टीमों और उनके सदस्यों को ऑन-द-स्पॉट प्लेसमेंट ऑफर देने का भी अवसर मिलेगा।

 

चितकारा यूनिवर्सिटी की प्रो-चांसलर डॉ मधु चितकारा कहती हैं कि युवा प्रतिभाओं को प्रोत्साहन देने और उद्योग और शैक्षणिक संस्थानों के साथ सहयोग के माध्यम से अनुसंधान और नवाचार को आगे बढ़ाने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। चितकारा विश्वविद्यालय बाहा इंडिया के बीच 2015 में शुरू हुई साझेदारी हमारे साझा समर्पण को दर्शाती है। हम उभरते इंजीनियरों को सशक्त बनाने, नवाचार को बढ़ावा देने और भारत में ऑटोमोटिव परिदृश्य के विकास में योगदान देने के अपने संकल्प पर दृढ़ विश्वास रखते हैं। इस आयोजन का मकसद दुनिया भर के विभिन्न इंजीनियरिंग के छात्रों को एक साथ लाना है जिसमें वे सीखने, नए अनुभवों को अपनाने और खेल भावना को अपनाने के अपने साझा जुनून में एकजुट होते हैं।
बाहा एसएई इंडिया और मोबिलिटी इंडस्ट्री के बीच विविधता के महत्व पर जोर डालते हुए रेनॉल्ट निसान टेक्नोलॉजी एंड बिजनेस सेंटर इंडिया की वाइस प्रेसीडेंट सॉफ्टवेयर और एडीएएस आर्मेल गुएरिन का कहना है कि, प्रत्येक बाहा इंडिया युवाओं के बीच कड़ी मेहनत, रचनात्मकता और तकनीकी प्रतिभा के अभिसरण का प्रतीक है। यह इनोवेशन और कल के ऑटोमोटिव लीडरों को तैयार करने के लिए एक सफल मंच है।