Bandhavgarh Tiger : बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघ की मौत, प्रदेश में 14 दिन में 5 बाघों की गई जान!
बांधवगढ़ ;टाइगर रिजर्व के पनपथा बफर जोन के अंतर्गत आने वाले सालखनिया बीट (पी-610) में गश्त के दौरान एक बाघ का शव मिलने से वन विभाग में हड़कंप मच गया। घटना की जानकारी मिलते ही विभागीय अधिकारी मौके पर पहुंचे और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के दिशा-निर्देशों के अनुसार सभी आवश्यक कार्रवाई शुरू कर दी गई।
वन विभाग के मुताबिक, जब नियमित गश्त के दौरान वनकर्मियों ने जंगल के भीतर बाघ का शव देखा। सूचना तुरंत उच्च अधिकारियों तक पहुंचाई गई, जिसके बाद क्षेत्र संचालक, सहायक संचालक और वन्यप्राणी विशेषज्ञों की टीम ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू की।
घटनास्थल पर पहुंचकर डॉग स्क्वॉड की मदद से पूरे क्षेत्र की गहन सर्चिंग कराई गई ताकि किसी भी तरह के शिकार या आपराधिक गतिविधि के साक्ष्य तलाशे जा सकें। इसके साथ ही मेटल डिटेक्टर से भी आसपास के इलाके की बारीकी से जांच की गई। जांच के दौरान किसी तरह के फंदे, हथियार या अन्य संदिग्ध सामग्री नहीं मिली।
वन्यप्राणी चिकित्सकों और विशेषज्ञों की देखरेख में बाघ के शव का पोस्टमार्टम किया गया। जांच के दौरान यह पाया गया कि बाघ के सभी अंग सुरक्षित हैं और शरीर पर चोट या संघर्ष के कोई निशान नहीं हैं।
Bandhavgarh Tiger
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार बाघ की मौत स्वाभाविक प्रतीत होती है, हालांकि अंतिम पुष्टि विस्तृत रिपोर्ट आने के बाद ही की जाएगी। पोस्टमार्टम के बाद एनटीसीए के प्रोटोकॉल के तहत बाघ का विधिवत दाह संस्कार किया गया। इस दौरान पूरी प्रक्रिया वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ की गई ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
वन विभाग ने बताया कि बफर जोन में नियमित गश्त और सतत निगरानी की व्यवस्था पहले से ही प्रभावी है। इस घटना में विभाग की त्वरित कार्रवाई और जांच प्रक्रिया ने यह स्पष्ट कर दिया कि किसी भी प्रकार की आपराधिक गतिविधि इसमें शामिल नहीं थी।
अधिकारियों का कहना है कि विभाग क्षेत्र में निगरानी और गश्त व्यवस्था को और मजबूत करेगा ताकि वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में इस तरह की हर घटना की जांच गंभीरता से की जाती है और विशेषज्ञों की निगरानी में सभी कदम उठाए जाते हैं। यह घटना एक बार फिर इस बात की पुष्टि करती है कि विभाग की सतर्कता और पारदर्शी कार्यप्रणाली के कारण रिजर्व क्षेत्र में वन्यजीव संरक्षण की व्यवस्था लगातार सशक्त हो रही है।