
Banking Fraud: PNB के साथ 2,434 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी – RBI को भेजी गई रिपोर्ट से बड़े बैंकिंग फ्रॉड का खुलासा
नई दिल्ली: देश के प्रमुख सरकारी बैंक पंजाब नेशनल बैंक के साथ हुए एक बड़े ऋण घोटाले ने बैंकिंग व्यवस्था में एक बार फिर निगरानी और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। PNB ने भारतीय रिजर्व बैंक को सूचित किया है कि उसके साथ 2,434 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई है। यह मामला एक बड़े कॉरपोरेट समूह से जुड़े ऋण लेनदेन में कथित अनियमितताओं और जानबूझकर की गई वित्तीय गड़बड़ियों से संबंधित है।
▪️किससे जुड़ा है पूरा मामला
▫️यह पूरा प्रकरण श्रेई समूह की दो कंपनियों से जुड़ा हुआ है। इन कंपनियों को पूर्व में भारी-भरकम ऋण दिए गए थे, जिनका उपयोग और पुनर्भुगतान तय नियमों के अनुरूप नहीं किया गया। बाद में बैंक की आंतरिक जांच और नियामकीय समीक्षा के दौरान यह सामने आया कि ऋण स्वीकृति और उपयोग की प्रक्रिया में गंभीर स्तर पर धोखाधड़ी की गई।
▪️कैसे हुआ खुलासा
▫️PNB ने नियमानुसार इस पूरे मामले को भारतीय रिजर्व बैंक के समक्ष ‘फ्रॉड’ के रूप में रिपोर्ट किया है। बैंक ने बताया कि यह धोखाधड़ी उधारी राशि के दुरुपयोग, तथ्यों को छुपाने और वित्तीय स्थिति को गलत तरीके से प्रस्तुत करने के कारण हुई। जांच में यह भी संकेत मिले कि ऋण चुकाने की मंशा शुरू से ही संदिग्ध थी।
▪️राशि का पूरा ब्योरा
▫️PNB के अनुसार कुल 2,434 करोड़ रुपये की राशि को फ्रॉड के रूप में वर्गीकृत किया गया है। यह रकम दो अलग-अलग इकाइयों को दिए गए ऋणों से जुड़ी है, जिन्हें बाद में जानबूझकर एनपीए की स्थिति में धकेला गया और बैंक को भारी वित्तीय नुकसान हुआ।
▪️पहले से की जा चुकी है पूरी प्रोविजनिंग
▫️बैंक ने यह स्पष्ट किया है कि इस पूरे मामले में संभावित नुकसान को देखते हुए वह पहले ही 100 प्रतिशत प्रावधान कर चुका है। इसका अर्थ यह है कि इस घोटाले का तत्काल असर बैंक के मौजूदा मुनाफे या बैलेंस शीट पर नहीं पड़ेगा। हालांकि, यह तथ्य बैंकिंग प्रणाली में जोखिम प्रबंधन की कमजोरियों को जरूर उजागर करता है।
▪️IBC प्रक्रिया और प्रबंधन बदलाव
▫️इस मामले से जुड़ी कंपनियां पहले ही दिवाला समाधान प्रक्रिया से गुजर चुकी हैं। नियामकीय हस्तक्षेप के बाद इनके पुराने प्रबंधन को हटाया गया था और समाधान प्रक्रिया के तहत नए सिरे से नियंत्रण व्यवस्था बनाई गई। इसके बावजूद अब सामने आया फ्रॉड यह दर्शाता है कि पूर्व अवधि में वित्तीय अनुशासन पूरी तरह से दरकिनार किया गया।
▪️बैंकिंग सेक्टर के लिए चेतावनी
▫️2,434 करोड़ रुपये का यह मामला केवल एक बैंक तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे बैंकिंग सेक्टर के लिए चेतावनी माना जा रहा है। बड़े कॉरपोरेट ऋणों की मंजूरी, निगरानी और समय पर चेतावनी तंत्र को और मजबूत करने की जरूरत एक बार फिर रेखांकित हुई है।
▪️आगे की कार्रवाई क्या होगी
▫️PNB द्वारा RBI को रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद अब इस मामले में जांच एजेंसियों की भूमिका अहम हो गई है। नियामकीय स्तर पर आगे की जांच, जवाबदेही तय करने और दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया तेज होने की संभावना है।
▫️PNB के साथ हुआ यह 2,434 करोड़ रुपये का घोटाला यह साफ करता है कि केवल प्रावधान कर देना पर्याप्त नहीं है। बैंकिंग प्रणाली में पारदर्शिता, समय पर निगरानी और जिम्मेदार ऋण स्वीकृति ही भविष्य में ऐसे बड़े फ्रॉड को रोकने का एकमात्र रास्ता है।





