

Basic Life Support : पुलिस लाइन में 250 पुलिस अधिकारियों, कर्मचारियों को बीएलएस का दिया प्रशिक्षण!
Ratlam : पुलिस उप महानिरीक्षक रतलाम रेंज मनोज कुमार सिंह एवं पुलिस अधीक्षक अमित कुमार की पहल पर श्री अरबिंदो हॉस्पिटल की और से रविवार को पुलिस लाइन में पुलिस अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए बेसिक लाइफ सपोर्ट की ट्रेनिंग देने के उद्देश्य से कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला में चिकित्सकों ने पुलिसकर्मियों को बेसिक लाइफ सपोर्ट या सीपीआर का न केवल महत्व समझाया बल्कि उन्हें प्रशिक्षण भी दिया। उन्होंने बताया कि यह प्रक्रिया भी एक तरह से प्राथमिक चिकित्सा ही कहलाती हैं।यह एक प्राथमिक चिकित्सा तकनीक है जो दिल की धड़कन या सांस लेने में समस्या होने पर जीवन बचाने के लिए उपयोग की जाती है।
1. सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन),
2. चोट या बीमारी के लक्षणों की पहचान करना,
3. आपातकालीन सेवाओं को बुलाना,
4. रोगी की स्थिति की निगरानी करना,
उन्होंने बताया कि बीएलएस का उद्देश्य रोगी को अस्पताल पहुंचाने तक जीवित रखना है, जहां उन्हें आगे का इलाज मिल सकता है।
सर्वप्रथम कार्यशाला का उद्धघाटन पुलिस उपमहानिरीक्षक रतलाम रेंज मनोज कुमार सिंह एवं पुलिस अधीक्षक अमित कुमार, डॉ. स्वर्णा सरस्वती ने किया। तत्पश्चात अरबिंदो हॉस्पिटल के चिकित्सकों ने सीपीआर के बारे में विस्तार से बताया। पुलिस उप महानिरीक्षक मनोज कुमार सिंह ने बताया कि कई बार यह देखने में आया है कि किसी दुर्घटना के बाद घायलों को अस्पताल लाने के दौरान समय पर सीपीआर नहीं मिलने की वजह से मृत्यु हो जाती है। किसी भी दुर्घटना होने पर पुलिस फर्स्ट रिस्पॉन्डर होती है। यदि पुलिस कर्मी को CPR के बारे में जानकारी हैं और सही तरीके से मरीज को सीपीआर दिया जाए तो कई लोगों की जान बचाई जा सकेंगी।
पुलिस अधीक्षक अमित कुमार ने बताया कि प्रत्येक व्यक्ति की जान उसके परिवार के लिए अमूल्य होती है। किसी आपात स्थिति में CPR देकर हम किसी का बहुमूल्य जीवन बचा सकेंगे। इसीलिए पुलिस के सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों विशेष रूप से पुलिस के ऐसे जवान जो किसी भी आपात स्थिति में फर्स्ट रिस्पॉन्डर्स होते हैं। जैसे FRV डायल 100, चिता पार्टी, यातायात पुलिस आदि को बीएलएस का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
बीएलएस प्रशिक्षक डॉ गौरव यादव ने कहा कि सीपीआर यानि कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन एक जीवन रक्षक तकनीक है। इसका इस्तेमाल आपातकालीन स्थितियों में किया जाता है। जब किसी व्यक्ति का अचानक से दिल धड़कना बंद कर दे या सांस लेना बंद हो जाए तो उसे सीपीआर की मदद से ही राहत दी जाती है। दिल का दौरा पड़ते ही अगर सीपीआर दें दी जाए तो पीड़ित की जान बचाने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। डॉक्टर गौरव यादव और उनकी टीम नर्सिंग ऐडमिनिस्ट्रेटर कृष्णपाल यादव, विजय कुमार सोनी, डॉ सागर गुप्ता, रचित होरे द्वारा पुलिसकर्मियों को कृत्रिम बॉडी पर सीपीआर का प्रशिक्षण दिया। सीपीआर की प्रक्रिया को 6 स्टेप्स में विभाजित कर प्रत्येक चरण के बारे विस्तार से समझाकर कृत्रिम बॉडी पर डेमोंस्ट्रेशन के माध्यम से प्रशिक्षित किया। कार्यशाला में उपस्थित पुलिस अधिकारियों कर्मचारियों को प्रमाण पत्र भी प्रदान किए गए।
शिविर के दौरान नगर पुलिस अधीक्षक सत्येंद्र घनघोरिया, एसडीओपी रतलाम किशोर पटनवाला, डीएसपी अजाक शेरसिंह भूरिया, डीएसपी महिला शाखा अजय सारवान, रक्षित निरीक्षक मोहन भर्रावत, सूबेदार श्रीमती मोनिका ठाकुर सहित सभी थानों का डायल 100 स्टाफ, जीआरपी रतलाम स्टाफ सहित लगभग 250 पुलिस अधिकारी कर्मचारी मौजूद रहें!
देखिए वीडियो क्या कह रहें हैं एसपी!