
छतरपुर में इंसाफ की जंग: थाने में आदिवासी युवकों पर बर्बरता, पुलिसिया जुल्म के खिलाफ SP कार्यालय पर धरना, देर रात 1 बजे धरना समाप्त
राजेश चौरसिया की रिपोर्ट
छतरपुर: जिले के नौगांव थाने में बीते दिनों दो घटनाएं आमजन की संवेदनाओं को झकझोर गईं। एक तरफ चोरी के मामूली शक पर आदिवासी युवकों के साथ थाने में बर्बरता, दूसरी ओर संदिग्ध महिलाओं के आत्म-सम्मान और बेगुनाही के लिए हाथ से लिखा आवेदन- इन दोनों ने पुलिस की कार्यशैली, जांच की पारदर्शिता और इंसाफ पर बड़ा सवाल चिन्ह लगा दिया है।
नौगांव थाना क्षेत्र के सरकारी DDP भवन ताला रोड में चोरी की बड़ी घटना हुई, जिसमें 200 ग्राम चाँदी और नकदी चोरी हो गई। घर वालों ने तत्काल पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने छानबीन में इलाके की कई महिलाओं को संदिग्ध मानकर बार-बार थाने बुलाना शुरू कर दिया।
आरोप है कि पुलिस ने न सिर्फ महिलाओं को कठोरता से पूछताछ के लिए दबाव डाला, बल्कि उसी दौरान आदिवासी समाज के कुछ युवकों को भी शक के आधार पर गिरफ्तार किया। पीड़ित पक्ष का आरोप है कि पुलिस वालों ने इन युवकों की बुरी तरह पिटाई की, उनके कपड़े उतरवाकर डंडों और बेल्टों से मारा गया, यहां तक कि “थर्ड डिग्री” टॉर्चर किया गया- गुप्तांगों में मिर्ची पाउडर पानी के साथ डाला गया। युवकों के इलाज तक के इंतजाम नहीं हुए। पूरे गांव, रिश्तेदारों और भीम आर्मी के लोगों ने पुलिस के खिलाफ विरोध शुरू कर दिया और रात के अंधेरे तक महिलाएं, पुरुष, बच्चे सभी एसपी कार्यालय के बाहर जमे रहे। वहाँ मासूम बच्चों की चीख, महिलाओं की करुण पुकार और सबकी आँखों में असहाय पीड़ा साफ झलक रही थी।
इधर, मामले की जांच के नाम पर पुलिस बार-बार महिलाओं को बुलाकर संदेह के घेरे में खड़े कर रही थी। इसी दबाव और सामाजिक अपमान के बीच 19 जुलाई की रात फरियादी महिला ने हाथ से एक भावुक आवेदन- जिसमें उसने लिखा:-
“दिनांक 14.07.25 को नौगांव थाने में चोरी (शासकीय डीडीपी भवन ताला रोड से) 200 ग्राम चांदी व नकद रुपए की घटना हुई। विवेचना में सीसीटीवी फुटेज से कुछ महिलाओं पर संदेह गया है। मेरा निवेदन है कि मैं निर्दोष हूँ, मुझे झूठा आरोपी न बनाया जाए। मुझे 20.07.2025 को दोपहर 12 बजे पूछताछ के लिए फिर बुलाया है। मेरी पूरी बात सुनी जाए, निष्पक्ष जांच हो, जिम्मेदारी से सही जांच कर उचित कार्रवाई की जाए।”
मामले की भनक लगते ही छतरपुर रेंज के डीआईजी और एसपी मौके पर पहुँचे। डीआईजी ललित शाक्यवार ने खुद पीड़ित परिवारों से बात की और सख्त कार्रवाई का भरोसा दिया। एसपी अगम जैन ने पूरे केस की स्वतंत्र जांच और दोषी पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्रवाई का ऐलान किया। नौगांव एसडीओपी ने भी CCTV फुटेज की समीक्षा कर “कुछ अनुचित व्यवहार” की बात मानी और पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी है। आंदोलनरत महिलाओं, पुरुषों और बच्चों को पुलिस ने बस से गाँव लौटवाया और रविवार दोपहर 12 बजे तक समाधान का आश्वासन दिया। इसके बाद रात 1:00 बजे धरना समाप्त कर दिया गया।
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. चोरी के प्रकरण में महिलाओं पर संदेह, बार-बार थाने बुलाकर मानसिक प्रताड़ना।
2. आदिवासी युवकों के साथ थाने में अमानवीय बर्ताव, थर्ड डिग्री टॉर्चर के सनसनीखेज आरोप।
3. पुलिस की जवाबदेही, उच्च अधिकारियों की त्वरित दखल और निष्पक्ष जांच का वादा।
4. महिलाओं का हाथ से लिखा, भावुक आवेदन: “मुझे झूठा आरोपी न बनाया जाए, मेरे सम्मान की रक्षा करें।”
5. महिलाएं, बच्चे, पूरा आदिवासी समाज एसपी कार्यालय के बाहर रात गहराने तक जमे रहे- इंसाफ की मांग।
6. सोशल मीडिया/मीडिया और मानवाधिकार संगठनों की नजर से मामला प्रदेश में चर्चित।
7. प्रशासनिक कार्रवाई की निगरानी और जिले के सिस्टम पर सवाल।
छतरपुर जिले के नौगांव थाना क्षेत्र में एक ओर जहाँ चोरी की जांच के नाम पर महिलाओं को बार‑बार थाने बुलाकर पूछताछ की जा रही है, वहीं दूसरी तरफ आदिवासी युवक पुलिस बर्बरता के शिकार हुए हैं। महिलाओं के आत्म-सम्मान, युवकों के जीवन और समाज के भरोसे- सभी पर गहरा असर पड़ा है। दोनों मामलों ने पुलिस की कार्रवाई, प्रशासन की पारदर्शिता और संविधान की आत्मा को कटघरे में खड़ा कर दिया। अब न्याय का असली परीक्षण है- क्या बेगुनाहों का सम्मान लौटेगा..? क्या दोषी कानून के घेरे में आएंगे…?
यह मामला सिर्फ एक चोरी या बर्बरता का नहीं, पूरे समाज के इंसाफ और व्यवस्था के भरोसे की परीक्षा है।





