नई सरकार के गठन से पहले कर्मचारी संगठन अपने हित साधने में जुटे

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नई सरकार के गठन से पहले कर्मचारी संगठन अपने हित साधने में जुटे

भोपाल। मतगणना होने में भले ही महज तीन का समय शेष हो, लेकिन उससे पहले ही कर्मचारी संगठन अपना- अपना हित साधने की तैयारी में जुट गए है। मध्यप्रदेश में मौजूदा समय में 19 मान्यता प्राप्त कर्मचारी संगठन है। प्रदेश में आधा दर्जन ऐसे कर्मचारी संगठन है जो विचारों के आधार पर भाजपा और कांग्रेस से जुड़े हुए है।

राज्य कर्मचारी संघ, शिक्षक कर्मचारी संघ, बीएमएस की बात करें तो कर्मचारी आधारित यह संगठन सीधे तौर पर भाजपा से जुड़े हुए है तो वहीं कर्मचारी कांग्रेस ,शिक्षक कांग्रेस और इंटक सीधे तौर पर कांग्रेस से जुड़े हुए है। पार्टियों के लिए काम करने वाले ये संगठन वर्ष भर अपनी- अपनी मातहत पार्टियों के लिए सीधे तौर पर काम करते है। लेकिन प्रदेश में 13 ऐसे भी कर्मचारी संगठन है जो समय के साथ अपना पाला बदलते रहते है। ऐसे संगठन साल भर सरकार के खिलाफ आंदोलन करते है लेकिन नयी सरकार को लेकर ऐसे संगठन कर्मचारियों के हित को लेकर सरकार के साथ खड़े हो जाते है। हालांकि सरकार में ऐसे संगठनों की मांगों की कितनी सुनवाई होती है यह तो संगठन के कर्ता- धर्ताओं को ही सही से मालूम नहीं होता।

राजधानी में इन दिनों कर्मचारी कांग्रेस के प्रति कर्मचारी संगठनों का सबसे ज्यादा झुकाव देखने को मिल रहा है। कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में ओपीएस लागू करने की गारंटी देकर ज्यादातर कर्मचारी संगठनों की सहानुभूति हासिल करने में सफल रहा। मान्यता प्राप्त कर्मचारी संगठन के नेता इन दिनों कांग्रेस की सरकार के इंतजार में पहले ही कांग्रेस के आलाकमान नेताओं की स्वागत करने का रोडमैप खींचने में लगे हुए है।

बीएमएस और राज्य कर्मचारी संघ के प्रति भी झुकाव
प्रदेश में आधा दर्जन ऐसे भी कर्मचारी संगठन है जो यह मानकर चल रहे है कि प्रदेश में इस बार फिर भाजपा की सरकार आने वाली है। राज्य कर्मचारी संघ और भारतीय मजदूर संघ के नेताओं से मान्यता प्राप्त और गैर मान्यता प्राप्त कर्मचारी संगठन के नेता भाजपा सरकार की आने की उम्मीद में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की स्वागत की तैयारी में जुटे हुए है। शिक्षक कर्मचारी संघ के पदाधिकारी जहां भाजपा सरकार में कर्मचारियों के हित में लिए गये निर्णयों का हवाला देते हुए भाजपा सरकार के आने की बात कर रहे है। भाजपा से जुड़े कर्मचारी संगठन के नेता अन्य कर्मचारी संगठनों के नेताओं को यह समझाने में लगे हुए है कि अगर प्रदेश में बीजेपी की सरकार आती है तो बीजेपी सरकार भी ओपीएस को लेकर निर्णय कर सकती है।