भारत का नागरिक होना सबसे बड़ी पहचान है…
15 अगस्त 1947 को हमारे देश को आजादी मिली और भारतवासियों ने नया सवेरा देखा। 15 अगस्त 2023 को आजादी के 76 वर्ष पूरे कर हम 77 वें स्वतंत्रता दिवस का उत्सव मना रहे हैं। अमृतकाल में हम पूरी दुनिया को नई राह दिखा रहे हैं। गुलामी के चिन्हों को मिटा रहे हैं। विश्व गुरू बनने के सपने को हकीकत में बदल रहे हैं। देश के मानव संसाधन ने पूरी दुनिया में धूम मचाकर साबित कर दिया है कि बुद्धि और परिश्रम की पराकाष्ठा में हमारी बराबरी कोई नहीं कर सकता है। 76 साल पूर्ण होने की पूर्व संध्या पर देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रवासियों को यह अहसास कराया कि हमारी सबसे बड़ी पहचान यही है कि हम भारत के नागरिक हैं।
किसान से लेकर चंद्रयान तक और आदिवासियों से लेकर महिलाओं के उत्थान तक की यात्रा हमारे देश ने की है। देश के विकास का अगला पड़ाव युवाओं की सहभागिता का है। बात देश की करें तो भारत लोकतंत्र की जननी रहा है इसलिए स्वतंत्रता दिवस हमारे लिए गौरव का दिन है। स्वतंत्रता दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हम केवल एक व्यक्ति ही नहीं हैं, बल्कि हम एक ऐसे महान जन-समुदाय का हिस्सा हैं जो अपनी तरह का सबसे बड़ा और जीवंत समुदाय है। यह विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के नागरिकों का समुदाय है। जाति, पंथ, भाषा और क्षेत्र के अलावा, हमारी अपने परिवार और कार्य-क्षेत्र से जुड़ी पहचान भी होती है। लेकिन हमारी एक पहचान ऐसी है जो इन सबसे ऊपर है, और हमारी वह पहचान है, भारत का नागरिक होना। हम सभी, समान रूप से, इस महान देश के नागरिक हैं। हम सब को समान अवसर और अधिकार उपलब्ध हैं तथा हमारे कर्तव्य भी समान हैं।
मुर्मू ने कहा, गांधीजी और अन्य महानायकों ने भारत की आत्मा को फिर से जगाया और हमारी महान सभ्यता के मूल्यों का जन-जन में संचार किया। भारत के ज्लवंत उदाहरण का अनुसरण करते हुए हमारे स्वाधीनता संग्राम की आधारशिला सत्य और अहिंसा को पूरी दुनिया के अनेक राजनीतिक संघर्षों में सफलतापूर्वक अपनाया गया है। राष्ट्रपति महोदया की यह बात सच है, पर इसमें अब यह सोचने की बात है कि हमारी आत्मा अब जागी हुई है या सो गई है। और क्या अब इसे फिर से जगाने की पहल हो रही है या अब आत्मा जागने को तैयार नहीं है।
यह खुशी की बात है कि आज महिलाएं विकास और देश सेवा के हर क्षेत्र में बढ़-चढ़कर योगदान दे रही हैं और राष्ट्र का गौरव बढ़ा रही हैं। आज हमारी महिलाओं ने ऐसे अनेक क्षेत्रों में अपना विशेष स्थान बना लिया है जिनमें कुछ दशकों पहले उनकी भागीदारी की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। मुर्मू का आग्रह काबिले गौर है कि सभी देशवासी महिला सशक्तीकरण को प्राथमिकता दें। हमारी बहनें और बेटियां साहस के साथ, हर तरह की चुनौतियों का सामना करें और जीवन में आगे बढ़ें। देश ने चुनौतियों को अवसर में बदला है। प्रभावशाली जीडीपी ग्रोथ दर्ज की है, हमारे अन्नदाता किसानों ने हमारी आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। राष्ट्र उनका ऋणी है। आदिवासियों की स्थिति में सुधार लाने और उन्हें प्रगति की यात्रा में शामिल करने हेतु विशेष कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। मुर्मू का यह विजन कि आदिवासी भाई-बहन अपनी परंपराओं को समृद्ध करते हुए आधुनिकता को अपनाएं। राष्ट्रपति जी की यह सोच अति सराहनीय और अनुभव का निचोड़ है।
भारत पूरी दुनिया में विकास के लक्ष्यों और मानवीय सहयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। भारत ने अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अग्रणी स्थान बनाया है और जी-20 देशों की अध्यक्षता का दायित्व भी संभाला है। चूंकि G-20 समूह दुनिया की दो-तिहाई जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए यह हमारे लिए वैश्विक प्राथमिकताओं को सही दिशा में ले जाने का एक अद्वितीय अवसर है।भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन नई ऊंचाइयों को छू रहा है और उत्कृष्टता के नए आयाम स्थापित कर रहा है। इसरो ने चंद्रयान 3 लॉन्च किया है जो चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर चुका है। चंद्रमा का अभियान अंतरिक्ष के हमारे भावी कार्यक्रमों के लिए केवल एक सीढ़ी है, हमें बहुत आगे जाना है।
तो जिस तरह केंद्र सरकार की सोच है कि अमृतकाल में भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है। उस भाव की झलक राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की सोच में उजागर हो रही है। और इक्कीसवीं सदी का भारत हमें आश्वस्त कर रहा है कि क्षमताओं के मामले में हम अव्वल हैं और अब दुनिया हमारी क्षमताओं को जान चुकी है। हम बहुत आगे जाने वाले हैं, अब यह तय है। सभी देशवासी इसके लिए खुद को गौरवान्वित महसूस करें और गर्व से कहें कि “हम उस देश के वासी हैं, जिस देश में गंगा बहती है”…।