Betul Cyber Fraud: 9.84 करोड़ की साइबर लूट का पर्दाफाश, मृतक के खाते का भी दुरुपयोग

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Betul Cyber Fraud: 9.84 करोड़ की साइबर लूट का पर्दाफाश, मृतक के खाते का भी दुरुपयोग

Betul: मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में पुलिस और साइबर सेल की संयुक्त टीम ने एक संगठित साइबर फ्रॉड रैकेट का खुलासा किया है। जांच में सामने आया कि गिरोह ने एक ही बैंक के सात खातों में कुल ₹9,84,95,212 की हेराफेरी की। आरोप है कि गिरोह ने बैंक कर्मचारी की मिलीभगत से मृतक के खाते का भी दोहन किया और रकम का बड़ा हिस्सा बाहरी ठिकानों पर ट्रांसफर कराया गया।

▪️प्रारम्भिक शिकायत खेड़ी-सावलीगढ़ निवासी मजदूर बिसराम इवने ने की। बैंक में KYC अपडेट कराने के दौरान उसे अपने जन-धन खाते में संदिग्ध लेनदेन दिखाई दिए, जिसके बाद उसने पुलिस अधीक्षक कार्यालय में लिखित शिकायत दी। प्रारम्भिक जांच में यह पाया गया कि जून 2025 से अब तक उसके खाते से लगभग ₹1.50 करोड़ का अवैध लेनदेन हुआ था। शिकायत के आधार पर साइबर सेल ने गहन तकनीकी जांच शुरू की और मामले का एक्सट्रीम फॉरेंसिक ट्रेल तैयार किया गया।

▪️हेराफेरी का पैटर्न और लक्षित खाते

▫️जांच में खुलासा हुआ कि कुल सात खातों में कुल ₹9,84,95,212 की हेराफेरी हुई, जिन खाताधारकों के नाम हैं बिसराम इवने, नर्मदा इवने, मुकेश उइके, नितेश उइके, राजेश बर्डे, अमोल और चंदन। इनमें मृतक राजेश बर्डे के खाते का सक्रिय उपयोग होना सबसे चिंताजनक तथ्य रहा। गिरोह ने मृतक के खाते का मोबाइल नंबर बदलकर, ATM कार्ड बनवाकर, इंटरनेट/मोबाइल बैंकिंग सक्रिय कराकर और OTP पर कब्जा कराकर बड़े-स्तर के ट्रांज़ैक्शन किए।

▪️बैंक कर्मचारी की मिलीभगत और ‘किट ट्रांसफर’ नेटवर्क

▫️पुलिस ने पाया कि बैंक शाखा में पासबुक एंट्री करने वाला एक अस्थायी कर्मचारी गिरोह का मुख्य सहभागी था। उसकी सहायता से ग्राहक दस्तावेजों में छेड़छाड़, फर्जी मोबाइल नंबर लिंक कराना, एटीएम/पासबुक जारी कराना और खातों की अंदरूनी जानकारी गिरोह के हवाले की जाती थी। गिरोह हर लक्षित खाते के लिए एक ‘किट’ तैयार करता था जिसमें लिंक की गई सिम, एटीएम कार्ड, पासबुक और चेकबुक शामिल होती थी। यह किट बस के माध्यम से इंदौर भेजी जाती और वहां से बाहरी फ्रॉडिस्ट बड़े ट्रांज़ैक्शन करते थे।

▪️गिरफ्तारी और बड़ी बरामदगी

▫️बैतूल पुलिस और साइबर सेल ने इंदौर में दो ठिकानों तथा माउंट आबू से छापेमारी कर तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया।

1. राजा उर्फ आयुष चौहान, 28 वर्ष, निवासी खेड़ी (सावलीगढ़)

2. अंकित राजपूत, 32 वर्ष, निवासी इंदौर

3. नरेंद्र सिंह राजपूत, 24 वर्ष, निवासी इंदौर

▪️अपराधियों के कब्जे से जप्त सामग्री

▫️15 मोबाइल फोन और 25 सिम कार्ड।

▫️21 एटीएम कार्ड।

▫️11 बैंक पासबुक।

▫️7 चेकबुक।

▫️2 पीओएस मशीन।

▫️69 एटीएम जमा रसीदें जिनमें कुल ₹21 लाख के जमा संकेत।

▫️₹28,000 नकद (काले बैग में)।

▫️₹48,000 की जमा पर्चियां।

▫️2 लैपटॉप।

▫️1 Extreme Fiber राउटर।

▫️4 रजिस्टर व डायरी जो ट्रांज़ैक्शन रिकॉर्ड दिखाते हैं।

पुलिस का कहना है कि बरामद साक्ष्य से गिरोह की कार्यप्रणाली और नेटवर्क स्पष्ट हो रहा है और फॉरेंसिक विश्लेषण से और भी कड़ियां जुड़ने की संभावना है।

▪️कार्रवाई में शामिल टीमें और तकनीकी पक्ष

इस जांच में बैतूल पुलिस की साइबर सेल प्रमुख भूमिका में रही। टीम में कोतवाली TI नीरज पाल, SI अश्विनी चौधरी, SI नवीन सोनकर, राजेंद्र धाड़से, बलराम राजपूत, दीपेंद्र सिंह, पंकज नरवरिया, सचिन हनवते सहित कई तकनीकी विशेषज्ञ शामिल थे। दो विशेष SIT टीमें गठित की गई जिनमें बहुत से अनुभवी एसआई और आरक्षी शामिल रहे। पुलिस ने बताया कि तकनीकी विश्लेषण, डिजिटल फोरेंसिक और सतत निगरानी की वजह से यह जाल सुलझाया गया।

▪️SP वीरेंद्र जैन ने कहा कि यह एक जटिल और संगठित साइबर ठगी थी जिसे टीम ने तकनीकी दक्षता और समन्वय से उजागर किया। उन्होंने बताया कि जिले के बाहर भी कार्रवाई कर गिरोह के बाहरी ठिकानों तक पहुंच बनाई ।

▪️ASP कमला जोशी ने कहा कि जप्त डिजिटल सामग्री के फॉरेंसिक विश्लेषण से गिरोह की और कड़ियां खुलेंगी और मामले में और गिरफ्तारी की संभावना है।

▪️आगे की कार्रवाई और अधिकारिक कदम

▫️पुलिस ने बताया कि जप्त उपकरणों का विस्तृत फॉरेंसिक विश्लेषण जारी है। मृतक राजेश बर्डे के खाते की पूरी ट्रांज़ैक्शन चेन तैयार की जा रही है ताकि पैसा कहां और कैसे ट्रांसफर हुआ उसकी लोकेशन तक पहुंचा जा सके। साथ ही गिरोह के और सदस्यों की पहचान व गिरफ्तारी की कार्रवाई जारी है। बैंकिंग रेलेवेंट शाखाओं और संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध भी एनालिसिस के बाद आवश्यक प्रशासनिक और क़ानूनी कदम उठाये जा सकते हैं।

▪️संदेश और चेतावनी

▫️यह मामला बताता है कि साइबर अपराध अब सिर्फ़ ऑनलाइन-ट्रिक नहीं रह गया है, बल्कि बैंक के अंदरूनी सहयोग से यह और भी संगठित और खतरनाक बन चुका है। खाताधारक विशेषकर जन-धन तोल वाले और निष्क्रिय खातों के मालिक अपने KYC, मोबाइल लिंक और बैंक सूचनाओं की नियमित जांच करें। बैंक और नियामक संस्थानों को भी आंतरिक सुरक्षा प्रक्रियाएं कड़ी करनी होंगी।

बैतूल में हुए इस खुलासे ने स्पष्ट कर दिया है कि समन्वित पुलिस-साइबर कार्रवाई और तकनीकी विशेषज्ञता से बड़े साइबर रैकेट का भंडाफोड़ संभव है। इस मामले की गहन जांच जारी है और आने वाले दिनों में और खुलासे होने की संभावना है जो राज्य में साइबर सुरक्षा पर नई बहस खड़ी करेंगे।