Bharta: जिंदगी भर कमाये और भटा भात न खाये तो फिर काय की जिंदगी!

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पारम्परिक रसोई –

Bharta: जिंदगी भर कमाये और भटा भात न खाये तो फिर काय की जिंदगी!

डॉ. विकास शर्मा
जिंदगी भर कमाये और भटा भात न खाये तो फिर काय की जिंदगी। ऐसी कहावत प्रचलित है हमारे क्षेत्र में। इससे आप समझ गए होंगे कि इसका यहाँ क्या स्थान होगा…?
वैसे तो भटे का भरता इतना खास है कि इसके आगे बड़े से बड़े और महंगे से महंगे व्यंजन भी फीखे नजर आते हैं। भटे को आलू के साथ रसीली सब्जी, भरता, भरवा आदि कई रूपों में पसंद किया जाता है। बैगन की भी कई किस्में हैं जो अलग अलग रंग और आकारों में देखने को मिल जाती हैं। बैगन के पकोड़े भी बड़े स्वादिष्ट लगते हैं। बरमान क्षेत्र में तो 1 किलो से अधिक आकार काले बड़े बड़े काले रंग के बैगन उगाये जाते हैं, जिसे भरते के लिए प्रयोग किया जाता है। वहीं महाराष्ट्र में हरे और कांटे वाले बैगन को अधिक पसंद किया जाता है। तो पेश है आपके लिए अपनी गृह वाटिका से उपजाई सब्जियों वाला बैगन का भरता।
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बैगन का नाम इसके बैगनी रंग के कारण पड़ा। और भाट या भाटा शब्द का शाब्दिक अर्थ भी गुणों की बखान करने वाला है। अतः किसी वही एंगल से देखें नाम सटीक है इसका। पारंपरिक चिकित्सा में रंग के हिसाब से देखें तो इसमें आयोडीन की अधिकता होती है। अतः जब साधारण नमक का चलन था तब शरीर मे आयोडीन की पूर्ति के मुख्य स्त्रोत बैगन ही था। गुरुदेव दीपक आचार्य जी को बैगन का भरता बहुत पसंद था।
Bharta
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उन्होंने बैगन के गुणों को बाकायदा एक।कहानी में पिरोकर हास्य अंदाज में हमे सुनाया था। इसके ढेर सारे गुणों के साथ इसमें कोलेस्ट्रॉल को मेंटेन करने का ग़ज़ब का गुण है, इसमें डायटरी फाइबर्स और बायोफ्लेवेनॉइड्स पाए जाते हैं और कम मात्रा में सॉल्युबल कार्बोहाइड्रेट्स पाए जाने के कारण ये डायबिटिक लोगों के लिए भी जोरदार है। बैंगन में फाइबर्स भी खूब होते हैं और जिन्हें वजन कम करना हो, उनके लिए भी ख़ास है। इसके फाइबर्स ‘घ्रेलिन’ हॉर्मोन को बनने से रोकते हैं, ये हॉर्मोन वही हॉर्मोन है जो हमें भूख लगने का संकेत देता है। बैंगन में फिनोलिक एलिमेंट्स भी खूब पाए जाते हैं जो ओस्टियोपोरोसिस के लक्षणों को भी कम करते हैं, और तो और इसमें पाया जाने वाला आयरन एनीमिया के लिए भी बेस्ट है”। और तो और यह एनीमिया भी दूर करता है। इतने सारे गुणों से भरपूर होने के कारण इसको सब्जियों का राजा कहा जाता है। यही सम्मान इसी कुल के सदस्य आलू को भी प्राप्त है।
बैगन को पसंद न करने वाले लोग इसकी आलोचना भी करते हैं। क्योंकि कई लोगों को इससे एलर्जी भी होती है, और गर्भवती महिलाओं को बैंगन खाने से थोड़ा परहेज करना चाहिए। इसके अलावा एंटी-डिप्रेसेंट दवाएं ले रहे हैं तो इसे कम खाएं, दवाओं के असर को कम करता है, और दूसरा ये कि साला तला हुआ बैंगन लगता तो जोरदार है पर तेल खूब सोख लेता है, ऐसे में मोटापा समेटे लोगो की सेहत के हिसाब से ये ठीक नहीं। कौन इसको भूनकर भर्ता वर्ता बनाए’ आज के जमाने मे किसके पास इतनी फुरसत है।
बैगन भरता बनाने के लिए बड़े आकर वाले बैगन/ भटे में छेद बनाकर लहसन व अदरख अंदर डाल दे ताकि इनका स्वाद बैगन में मिल जाये। अब इसे कण्डे और लकड़ी की आग में टमाटर के साथ अच्छी तरह पकने तक भून लें। फिर इसे अच्छी तरह साफ करके छिलका उतार कर हाथों से मिक्स कर लें। मिर्च, नीबू, अदरक, लहसन, धनिया और जीरे को सिल बट्टे में पीस कर चटनी बना ले, नमक स्वादानुसार मिला लें। भरता इसी तरह भी परोसा जा सकता है।
किन्तु इसे फ़्राय कर लेने से स्वाद में चार चाँद लग जाते हैं। भरते में थोड़ी चटनी मिक्स कर दे, कड़ी पत्ते, प्याज, जीरे आदि से भरता फ्राई करें, अच्छी तरह पकने दें अब खाने के लिए परोसे। चटपटे स्वाद के लिये थोड़ी चटनी बचा लें, इसे नींबू के साथ अलग से थाली में स्वादानुसार मिलाये।
सुना है, तस्वीरें  बोलती है, इसीलिये पढ़ने से ज्यादा फ़ोटो देखकर आनंद लें.
डॉ. विकास शर्मा
वनस्पति शास्त्र विभाग
शासकीय महाविद्यालय चौरई
जिला छिन्दवाड़ा (म.प्र.)
तह.- चौरई, जिला छिंदवाडा, (म.प्र.)