Bhind News: Education Department on Backfoot, परीक्षा के दिन शिक्षकों को थाने में बिठाने के आदेश से बैकफुट पर शिक्षा विभाग

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भिण्ड से परानिधेश भारद्वाज की रिपोर्ट

भिंड: जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा बोर्ड परीक्षाओं में नकल रोकने को लेकर अजीबोगरीब फरमान जारी किया गया और फिर किरकिरी कराकर इसे बदल दिया गया। जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा जारी इस फरमान में संबंधित परीक्षा के दिन विषय विशेषज्ञों को थाने में बिठाने के आदेश दिए गए हैं। ऐसे में शिक्षा की अलख जगा रहे गुरुओं को थाने में बिठाने के आदेश दिए जाने के बाद जिला शिक्षा अधिकारी के इस आदेश की जमकर भर्त्सना हो रही थी, साथ ही जिला प्रशासन पर भी सवाल खड़े हो रहे थे। कांग्रेस के जिला प्रवक्ता डॉ अनिल भारद्वाज ने भी इसको लेकर सवाल खड़े किए थे। जिसके बाद इन शिक्षकों को थाने की बजाय डाइट केंद्र अथवा सर्किट हाउस में बिठवाने की बात कही गई। पहले दिन अंग्रेजी विषय के तीन शिक्षकों को डाइट केंद्र में बिठाया भी गया।                            IMG 20220217 WA0041

दरअसल गुरुवार और शुक्रवार से 10वीं 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं शुरू हो रही हैं। ऐसे में पूर्व कलेक्टर डॉ इलैया राजा टी द्वारा नकल मुक्त किए गए भिंड को नकल मुक्त बनाए रखने के लिए भिंड जिला कलेक्टर डॉ सतीश कुमार एस द्वारा भी हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।

भिण्ड को नकल मुक्त रखने के तारतम्य में उन्होंने परीक्षा से 2 दिन पहले एक पत्रकार वार्ता बुलाई, जिसमें उन्होंने बोर्ड परीक्षाओं को लेकर तमाम जानकारियां पत्रकारों के बीच साझा कीं।

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लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी हरभुवन सिंह तोमर द्वारा अपने नंबर बढ़ाने के लिए उनको जो सीख दी गई और उसको लेकर जो आदेश जारी किया गया वह अब जिला शिक्षा अधिकारी के साथ ही जिला प्रशासन के लिए गले की फांस बन गया है। आदेश में विषय विशेषज्ञ ट्यूशन टीचरों को परीक्षा वाले दिन थाने में बिठाने के लिए कहा गया है। जिला शिक्षा अधिकारी हरभुवन सिंह तोमर का मानना है कि विषय विशेषज्ञ शिक्षकों द्वारा ही नकल कराई जाती है। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि जिले में शिक्षा माफिया के नाम से बदनाम रहे स्कूल संचालकों को कहीं भी नजरबंद नहीं किया गया! जबकि पूरे साल बच्चों को शिक्षित कर रहे शिक्षकों को थाने में बैठने के आदेश दे दिए गए। ऐसे में शिक्षा विभाग सवालों के घेरे में खड़ा हो गया। जिला शिक्षा अधिकारी की कार्यप्रणाली पर भी अब जमकर सवाल खड़े हो रहे हैं।

हालांकि स्थानीय ट्रांसफरों से लेकर उनके आदेश द्वारा नियुक्तियों में तमाम अनियमितताओं को लेकर उनकी कार्यप्रणाली पहले से ही सवालों के घेरे में रही है। लेकिन उनके ऊपर कोई आंच इसलिए नहीं आई क्योंकि उनको कहीं ना कहीं कोई न कोई दद्दा का संरक्षण प्राप्त है।

 

ऐसे में अब ज्ञान की अलख जगा रहे शिक्षकों को थाने में बिठाने के आदेश के बाद मध्य प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान को इस पर संज्ञान लेने की आवश्यकता जरूर है। नकल रहित परीक्षा कराने के लिए विषय विशेषज्ञों को थाने में बैठाने की जगह ऐसे स्कूल संचालकों को चिन्हित कर पूरी परीक्षा के लिए थाने में बिठा दिया जाना चाहिए जो नकल के लिए कुख्यात रहे हों, तब जाकर पूर्ण रूप से नकल मुक्त परीक्षाएं हो सकेंगी। ऐसे नकल माफियाओं के नाम भी पूरा जिला जानता है। लेकिन उनके खिलाफ कार्रवाई की जहमत शिक्षा अधिकारी भी नहीं उठा पाते। बस अपने नंबर बढ़ाने के लिए शिक्षकों को थाने में बैठाने के आदेश दे देते हैं और किरकिरी कराकर उसे थाने की जगह सर्किट हाउस कर देते हैं।