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Bhoomi Pujan of Elevated Corridor : CM आज 350 करोड़ वाले एलिवेटेड कॉरिडोर का भूमि पूजन करेंगे!
Indore : मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव बुधवार 17 जनवरी को इंदौर भ्रमण पर रहेंगे। वे यहां बड़ा गणपति से लेकर राजवाड़ा तक आयोजित रोड शो में शामिल होंगे। इसके अलावा एलआईजी चौराहे से नौलखा चौराहे तक बनाए जा रहे एलिवेटेड कॉरिडोर का शिलान्यास करेंगे। कार्यक्रम के लिए प्रशासन ने सभी तैयारियां पूरी कर ली।
लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री के द्वारा बताया गया है कि इंदौर जिले में केंद्रीय सड़क निधि योजना अंतर्गत स्वीकृत इंदौर शहर के पुराने आगरा-मुंबई मार्ग पर एलआईजी चौराहे से नौलखा चौराहे तक बन रहे एलिवेटेड कॉरिडोर का मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव द्वारा शिलान्यास किया जाएगा।
इस एलिवेटेड ब्रिज की लंबाई 6.70 किलोमीटर, चौड़ाई 15.50 मीटर एवं भू-तल से पुल की ऊंचाई 10 मीटर प्रस्तावित है। इसकी कुल लागत 350 करोड़ रुपए होगी। इस एलिवेटेड ब्रिज की एक भुजा गिटार चौराहे पर एक भुजा गीता भवन चौराहे पर मधुमिलन चौराहे की तरफ होगी। इसी प्रकार एक भुजा शिवाजी वाटिका चौराहे पर पीपल्याहाना की तरफ प्रस्तावित है। पुल निर्माण कार्य के लिए 24 माह का समय निर्धारित किया गया है।
कॉरिडोर की लागत क्षमता घटाकर कम की गई। पहले करीब 700 करोड़ रुपए खर्च होने वाले थे। बाद में संशोधित डीपीआर में 350 करोड़ की अनुमानित लागत आंकी गई। इस कॉरिडोर का उपयोग हलके वाहनों के लिए होगा।
एलिवेटेड कॉरिडोर की कई खासियत
● कुछ हिस्से में बीआरटीएस की लेन भी एलिवेटेड होगी और नौ बस स्टॉप ऊपर बनेंगे। यात्री उन स्टॉप तक लिफ्ट के जरिए आ और जा सकेंगे।
● बीआरटीएस के संकरे हिस्से में ट्रैफिक का दबाव कम हो जाएगा। एलआईजी से नौलखा, भंवरकुआं की तरफ जाने वाले वाहन एलिवेटेड रोड का उपयोग कर जल्दी पहुंच सकेंगे।
● 6 किलोमीटर का सफर 10 मिनट में पूरा हो सकेगा।
● कॉरिडोर पर यातायात सुगम होने से पूर्वी रिंग रोड और मालवा मिल-पाटनीपुरा रोड पर ट्रैफिक का दबाव भी कम होगा।
● दोपहिया और तीन पहिया वाहनों को बीआरटीएस पर ज्यादा जगह मिलेगी।
फ़ोरलेन होगा एलिवेटेड कॉरिडोर
एलआईजी से नौलखा तक 6 किलोमीटर लंबाई में एलिवेटेड फोरलने होगा। पहले इसके निर्माण की जिम्मेदारी आईडीए की थी और अफसरों ने मिट्टी परीक्षण भी करा लिया था। लेकिन, अब इसे पीडब्ल्यूडी बनाएगा। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के सामने जब इस प्रोजेक्ट का प्रेजेंटेशन दिया गया, तब उन्होंने सैद्धांतिक मंजूरी दी। लेकिन, लागत कम करने के लिए प्रोजेक्ट की डिजाइन भी बदलने को कहा। इसके बाद आईडीए अफसरों ने नए सिरे से प्लानिंग की और सौ टन क्षमता के कॉरिडोर के बजाय 50 टन के कॉरिडोर के हिसाब से प्लानिंग तैयार की।