Bhopal Love Jihad: मुख्य 6 आरोपियों के अलावा कई नाम आए सामने, लेकिन नहीं बनाया आरोपी!

राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम ने भी पुलिस पड़ताल पर उठाए थे सवाल !

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Bhopal Love Jihad: मुख्य 6 आरोपियों के अलावा कई नाम आए सामने, लेकिन नहीं बनाया आरोपी!

भोपाल: राजधानी में हिंदू लड़कियों से दुष्कर्म और वीडियो बनाकर ब्लैकमेलिंग करके धर्म परिवर्तन कराने के प्रयास यानी लव जिहाद को लेकर अब पुलिस की पड़ताल धीमी हो गई है। इस मामले में बीते कुछ दिनों से जांच-पड़ताल के नाम पर अब लीपापोती करने का प्रयास किया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो इस लव जिहाद मामले में पकड़े गए पांच आरोपियों और एक फरार आरोपी के अलावा कई अन्य नाम भी सामने आए हैं, लेकिन अब तक पुलिस ने इस संबंध में अन्य किसी को आरोपी नहीं बनाया है।

जबकि, एक निजी कॉलेज की कुछ पीड़िताओं ने अन्य युवकों के भी नाम बताए थे, जिनका इस मामले से सीधा-सीधा जुड़ाव था। इसके बाद भी एसआईटी और भोपाल पुलिस ने इनसे पूछताछ ही नहीं की। इतना ही नहीं, गिरफ्तार पांच आरोपियों को जेल भेजने के बाद इस मामले को दबाने के प्रयास किए जा रहे हैं। कुछ आरोपियों ने पीड़िताओं को अपने घर बुलाकर बलात्कार किया। इस संबंध में उनके परिजनों को सब मालूम था कि युवतियों के साथ जबरजस्ती की जा रही है, लेकिन उन्हें मामले को दबाने के आरोप में आरोपी नहीं बनाया गया। इस पर भी सवाल उठ रहे हैं।

 *गिरोह में अन्य लोगों के शामिल होने की सूचना* 

बताया जा रहा है कि निजी कॉलेज में देश के अलग-अलग हिस्सों से युवतियां पढ़ने आती हैं। ऐसे में मुस्लिम युवकों द्वारा अन्य हिंदू युवतियों को प्रेमजाल में नाम बदलकर फंसाने के इसी पैटर्न में कुछ लोग युवकों के नाम भी सामने आए थे। पुलिस को इसकी जानकारी है, लेकिन इस मामले में अब तक कोई एक्शन नहीं हुआ। उनकी जानकारी लेने पुलिस की टीम कॉलेज भी गई थी, लेकिन न तो युवकों से पूछताछ हुई और न ही युवतियों से। संदेह है कि इस मामले में अन्य लोगों के नाम भी सामने आ सकते हैं।

 *राष्ट्रीय महिला आयोग ने पुलिस आयुक्त के सामने लगाए थे कई आरोप* 

महिला आयोग की टीम ने विशेष जांच दल (एसआईटी) के अधिकारियों को तलब करके अब तक हुईं एफआईआर, उनकी जांच व कार्रवाई की स्थिति को बारीकी से जाना था। विभागीय सूत्रों की मानें तो पूछताछ के बाद झारखंड की पूर्व डीजीपी निर्मल कौर के नेतृत्व वाली इस तीन सदस्यीय आयोग की जांच टीम ने अधिकारियों से पूछा कि इस प्रकरण में गिरोह सामने आने के बाद भी संगठित अपराध की धारा क्यों नहीं लगाई गई। टीम ने इस गिरोह को फंडिंग (वित्तीय मदद) मुहैया कराने वालों की भी जांच करने के लिए कहा है। साथ ही, निजी कॉलेज के पास बने क्लब 90 रेस्त्रां के संबंध में अब तक सख्ती से जांच क्यों नहीं की। आयोग की जांच टीम के सदस्यों ने कहा कि कहा कि सभी आरोपियों की पृष्ठभूमि आर्थिक रूप से बेहद कमजोर है। ऐसे में उनके पास महंगी बाइक, कार, किराए पर कई जगह लिए कमरे और रोजाना क्लब में ले जाने के रुपये कहीं से तो आए। इससे साफ होता है कि उन्हें किसी ने फंडिंग की है। इस मामले में अब तक पुलिस ने कोई सख्त कदम नहीं उठाया।