Big Action of CBI: किसान से 3 लाख की रिश्वत लेते नारकोटिक्स इंस्पेक्टर व बिचौलिया रंगे हाथों पकड़े गए

1 करोड़ की डिमांड, 44 लाख पहले ही वसूल:झूठे केस में फंसाने की धमकी देकर मांगी थी घूस।

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Big Action of CBI: किसान से 3 लाख की रिश्वत लेते नारकोटिक्स इंस्पेक्टर व बिचौलिया रंगे हाथों पकड़े गए

– गोविंद सिंह प्लास

मध्यप्रदेश के नीमच जिले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ी और सटीक कार्रवाई करते हुए केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो (CBN) के इंस्पेक्टर महेंद्र सिंह जाट और उसके साथी बिचौलिए जगदीश मेनारिया को 3 लाख रुपये की रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार किया है। यह मामला 17 जुलाई को उजागर हुआ, जब CBI की जयपुर टीम ने इस पूरी साजिश को सुलझाया।

 

*मामले की शुरुआत और धमकी*

शिकायतकर्ता किसान के खेत से अफीम की भूसी (400 किलो) जब्त होने के बाद सीबीएन इंस्पेक्टर ने उसे फर्जी नारकोटिक्स मामले में फंसाने की धमकी दी। आरोपी ने बिचौलिए के जरिए शिकायतकर्ता और उसके परिवार से केस रफा-दफा करने के नाम पर एक करोड़ रुपये की मांग की। किसान इस डर से इस साल मार्च से जुलाई तक अलग-अलग किश्तों में करीब 44 लाख रुपये दे चुका था, बावजूद इसके आरोपी संतुष्ट नहीं हुआ और उसने और नौ लाख रुपये की अतिरिक्त डिमांड कर डाली।

 

*CBI का जाल और गिरफ्तारी*

आखिरकार परेशान किसान ने CBI से गोपनीय शिकायत की। CBI टीम ने 17 जुलाई को एक जाल बिछाया, शिकायतकर्ता को 3 लाख रुपये नकद आरोपी को देने के लिए भेजा गया। बिचौलिए ने भूतेश्वर मंदिर परिसर में यह रिश्वत ली, तभी CBI ने फौरन कार्रवाई करते हुए उसे रंगे हाथों पकड़ लिया। बिचौलिए की निशानदेही पर उसी रात करीब 11:30 बजे इंस्पेक्टर महेंद्र सिंह जाट को भी गिरफ्तार कर लिया गया।

 

*तलाशी और छापेमारी*

गिरफ्तारी के तुरंत बाद CBI ने मध्यप्रदेश तथा राजस्थान में तीन विभिन्न ठिकानों पर छापेमारी भी की। छापों के दौरान अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज और सबूत जब्त किए गए हैं। खबर के मुताबिक, यह पूरी कार्रवाई गोपनीय शिकायत और टेक्निकल सर्विलांस के जरिए की गई थी।

 

*FIR व खुलासे*

CBI की FIR के अनुसार, इंस्पेक्टर महेंद्र सिंह जाट और उसके साथी जगदीश मेनारिया पर किसान और उसके परिवार को झूठे नारकोटिक्स केस में फंसाने की धमकी देकर 1 करोड़ रुपये की भारी-भरकम घूस मांगने का आरोप है। बिचौलिया जगदीश मेनारिया पर घूस के लेन-देन का मुख्य जिम्मा था; अबतक किसान से तीन किश्तों में 44 लाख रुपये लिए जा चुके थे।

 

*सिस्टम और संदेश*

इस कार्रवाई से यह साफ हो गया है कि भ्रष्टाचार के मामलों में CBI अब बेहद सख्त रुख अपना रही है। CBI की फुर्ती और योजनाबद्ध कार्रवाई से नारकोटिक्स विभाग की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठे हैं।

यह मामला न सिर्फ मध्यप्रदेश बल्कि पूरे देश के लिए चेतावनी है कि सरकारी तंत्र और विभागों में बैठे भ्रष्ट अधिकारियों पर अब शिकंजा कसना तय है। मज़बूत जांच, तकनीकी सर्विलांस और गोपनीय शिकायती व्यवस्था के चलते शर्मनाक घूसकांड अब ज्यादा दिन छिप नहीं सकते। किसान की जागरूकता और साहस ने भ्रष्ट तंत्र की एक बड़ी कड़ी का भंडाफोड़ कर दिया है।

CBI की यह ताबड़तोड़ कार्रवाई सिस्टम में पारदर्शिता और जवाबदेही की ज़रूरत को एक बार फिर उजागर करती है।