
Big Decision of Shivpuri Court: दहेज प्रताड़ना मामले में महिला के SI पति, ASI जेठ सहित परिवार के 7 लोगों को सश्रम कारावास
कोर्ट की टिप्पणी: “यदि रक्षक ही भक्षक का कार्य करेगा तो समाज पर उसका गंभीर प्रभाव पड़ेगा”
Shivpuri: दहेज प्रताड़ना के एक गंभीर और संवेदनशील प्रकरण में शिवपुरी जिला एवं सत्र न्यायालय ने सख्त रुख अपनाते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। न्यायालय ने प्रताड़ित महिला के पुलिस उप निरीक्षक (SI) पति, सहायक उप निरीक्षक (ASI) जेठ सहित परिवार के कुल सात आरोपियों को दोषी ठहराते हुए दो-दो वर्ष के सश्रम कारावास तथा अर्थदंड की सजा सुनाई है।
फैसला सुनाते हुए न्यायालय ने स्पष्ट कहा कि यदि कानून का रक्षक ही भक्षक बन जाए तो उसका दुष्प्रभाव पूरे समाज पर पड़ता है।
▪️विवाह के बाद शुरू हुई दहेज प्रताड़ना
▫️प्रकरण के अनुसार पीड़िता का विवाह वर्ष 2017 में हुआ था। विवाह के कुछ समय बाद ही ससुराल पक्ष द्वारा दहेज को लेकर दबाव बनाया जाने लगा। आरोप है कि महिला से नकद राशि और कार की मांग की गई। मांग पूरी न होने पर उसके साथ मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना की गई। पीड़िता ने बताया कि उसका पति, जो पुलिस उप निरीक्षक के पद पर पदस्थ था, अपने पद और वर्दी का भय दिखाकर उसे धमकाता रहा। इस दौरान एएसआई जेठ सहित परिवार के अन्य सदस्य भी दहेज की मांग और प्रताड़ना में शामिल रहे।
▪️जांच और सुनवाई में आरोप सिद्ध
▫️मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत गवाहों के बयान, चिकित्सीय परीक्षण रिपोर्ट और अन्य दस्तावेजी साक्ष्यों का न्यायालय ने गहन परीक्षण किया। अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंची कि दहेज की मांग योजनाबद्ध तरीके से की गई और पीड़िता को लगातार प्रताड़ित किया गया। न्यायालय ने सभी आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं तथा दहेज प्रतिषेध अधिनियम के तहत दोषी पाया।
▪️न्यायालय की सख्त टिप्पणी
▫️फैसला सुनाते हुए न्यायालय ने टिप्पणी की कि पुलिस और प्रशासन समाज में विश्वास के प्रतीक होते हैं। यदि ऐसे पदों पर बैठे लोग ही महिलाओं के विरुद्ध अपराध करेंगे तो न्याय व्यवस्था पर आम नागरिकों का भरोसा कमजोर होगा। ऐसे मामलों में कठोर दंड दिया जाना आवश्यक है ताकि समाज में स्पष्ट संदेश जाए और भविष्य में ऐसे अपराधों पर अंकुश लगे।
▫️यह निर्णय दहेज जैसी सामाजिक बुराई के खिलाफ एक कड़ा संदेश है। न्यायालय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पद, वर्दी या प्रभाव अपराध से बचाव का साधन नहीं बन सकता। कानून सभी के लिए समान है और महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में किसी भी स्तर पर रियायत नहीं दी जाएगी।
▫️शिवपुरी जिला न्यायालय का यह फैसला न केवल पीड़िता को न्याय दिलाने वाला है, बल्कि समाज और कानून व्यवस्था के लिए भी एक मजबूत नजीर है। यह निर्णय बताता है कि दहेज प्रताड़ना के मामलों में न्यायपालिका पूरी सख्ती के साथ खड़ी है और अपराधी चाहे किसी भी पद पर क्यों न हो, उसे सजा से नहीं बचाया जा सकता।





