MP सरकार का बड़ा फैसला: BA और BE में अब रामायण, महाभारत, योग और ध्यान की भी शिक्षा

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Bhopal Madhya Pradesh: MP की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा फैसला लिया है। इसके तहत उच्च शिक्षा विभाग ने BA प्रथम वर्ष के पाठ्यक्रम में रामचरितमानस का पाठ पढ़ाए जाने का फैसला किया है। इस सत्र से ही पाठ्यक्रम में ‘रामचरितमानस का व्यावहारिक दर्शन’ को शामिल किया जाएगा। इसे दर्शनशास्त्र विषय में रखा गया है, जिसका 100 नंबर का पेपर रहेगा। यह सभी छात्रों के लिए जरूरी नहीं, बल्कि वैकल्पिक रहेगा।

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा कि 60 घंटे तक चलने वाले इस ऐच्छिक पाठ्यक्रम से छात्रों में मानवीय दृष्टिकोण और संतुलित नेतृत्व क्षमता विकसित करने में मदद मिलेगी। प्रदेश के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को कला संकाय में दर्शनशास्त्र के तहत वैकल्पिक विषय के रूप में महाकाव्य ‘रामचरितमानस’ की पेशकश की जाएगी। प्रदेश के BE (इंजीनियरिंग) के छात्रों को रामसेतु के बारे में जानकारी देने की भी योजना है, ताकि आज के छात्र जान सकें कि हजारों साल पहले से हमारा देश विज्ञान में महारथ हासिल कर चुका था।

पाठ्यक्रम समिति की सिफारिश पर इसे शैक्षणिक सत्र 2021-22 से स्नातक (बीए) के प्रथम वर्ष के छात्रों के लिए वैकल्पिक पाठ्यक्रम के रूप में पेश किया जाएगा। डॉ यादव ने कहा कि रामचरितमानस में विज्ञान, संस्कृति, साहित्य और श्रृंगार है। यह किसी धर्म विशेष के बारे में नहीं है। हमने उर्दू गजल को भी एक विषय के रूप में पेश किया है। उच्च शिक्षा मंत्री ने बताया कि इस विषय का 100 नंबर का पेपर भी होगा। रामचरितमानस को वैकल्पिक तौर पर दर्शनशास्त्र विषय में रखा गया है। नई शिक्षा नीति में हम 131 प्रकार के कोर्स हम लाए हैं, रामायण के पक्ष को लेकर रामचरितमानस को वैकल्पिक विषय के तौर पर रखा है।

रामसेतु के बारे में जानना जरुरी
डॉ मोहन यादव ने कहा कि मुझे लगता है कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है। भारत में अगर राम का नाम नहीं आएगा तो फिर क्या पाकिस्तान में आएगा। हमने इसमें उर्दू भाषा को भी जोड़ा है, गजल के बारे में भी हम पढ़ाने जा रहे हैं। राम सेतु भगवान राम के द्वारा निर्मित है, इसलिए उसे जानना इंजीनियरिंग के छात्रों के लिए जरूरी है, क्योंकि उन्हें यह पता होना चाहिए कि हजारों साल पहले से ही भारत विज्ञान में महारथ हासिल कर चुका था।
रामचरितमानस 16वीं शताब्दी के भक्ति कवि तुलसीदास द्वारा रचित एक महाकाव्य है। उन्होंने कहा कि जब नई शिक्षा नीति के संदर्भ में नया पाठ्यक्रम लागू किया जा रहा है, तो हम अपने गौरवशाली अतीत को भी सामने लाने का प्रयास कर रहे हैं। फिर चाहे वह हमारे शास्त्रों से संबंधित हो या हमारे महापुरुषों से। डॉ यादव ने दावा किया कि नासा के एक अध्ययन में यह साबित हो गया है कि राम सेतु लाखों साल पहले बनाया गया मानव निर्मित पुल था और बेयत द्वारका 5,000 साल पहले अस्तित्व में था। मंत्री ने कहा कि यह पाठ्यक्रम विद्वानों की सिफारिश पर लागू किया जा रहा है।
कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने कहा कि भाजपा सरकार अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए इस तरह के कदम उठा रही है। सबका साथ सबका विकास का नारा झूठा है। उन्होंने कहा कि यह नारा सच हो सकता है, अगर वे रामायण के साथ कुरान और बाइबल को शामिल करते।