
बड़ी खबर MY अस्पताल की अद्भुत सफलता : 25 वर्षीय मजदूर के शरीर से तीन लोहे के सरिए निकाल डॉक्टरों ने बचाई जान
INDORE: इंदौर का महाराज यशवंतराव (एमवाय) चिकित्सालय एक बार फिर चर्चा में है। यहां डॉक्टरों ने वह कर दिखाया जो किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं। शाजापुर जिले के 25 वर्षीय युवक के शरीर में आर-पार घुसे तीन लोहे के सरिए निकालकर उसकी जान बचाई गई। यह बेहद जटिल ऑपरेशन न केवल डॉक्टरों की दक्षता का उदाहरण है बल्कि सरकारी अस्पतालों की विश्वसनीयता का प्रतीक भी बन गया।
हादसा: दूसरी मंज़िल से गिरा, शरीर में धंसे सरिए
शाजापुर निवासी नितेश जायसवाल पिता: मुकेश जायसवाल, उम्र 25 वर्ष) इंदौर में सेंटिंग (बांधने का काम) करता है। 20 सितंबर की दोपहर करीब 4 बजे वह फिनिक्स मॉल के सामने निर्माण कार्य कर रहा था। तभी दूसरी मंज़िल से पैर फिसल गया और वह नीचे बने कॉलम की लोहे की सरियों पर जा गिरा।
गिरते ही तीन मोटे (12 एमएम) सरिए उसके शरीर में आर-पार हो गए। दो सरिए सीधे पेट से होकर निकल गए, जबकि तीसरा सरिया जांघ में घुस गया। घटना इतनी भयावह थी कि मौके पर मौजूद लोगों की सांसें थम गईं।
एमवाय चिकित्सालय में 25 वर्षीय युवक की जटिल सर्जरी सफल, पेट और हड्डियों में लगे 3 लोहे के सरिए निकाले गए। मरीज अब स्थिर, जल्द ही छुट्टी।
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*MY अस्पताल पहुंचा तो हालात नाज़ुक*
नितेश को तत्काल एमवाय अस्पताल ले जाया गया। वहां डॉक्टरों ने देखा कि मरीज की स्थिति बेहद गंभीर है। शरीर में सरिए फंसे थे, आंतें और मांसपेशियां छिद गई थीं और लगभग एक लीटर खून पेट में जमा हो चुका था। डॉक्टरों के सामने चुनौती थी- समय बर्बाद होता तो मरीज की जान जा सकती थी।
*डॉक्टरों ने लिया जोखिम भरा फैसला*
जनरल सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ. सुदर्शन ओडिया ने बिना देर किए तुरंत ऑपरेशन शुरू करने का निर्णय लिया।
ऑपरेशन कई घंटे तक चला और इसमें डॉक्टरों ने अत्यधिक सावधानी बरती।
धीरे-धीरे तीनों सरियों को एक-एक करके शरीर से निकाला गया।
सरियों की वजह से बड़ी आंत, छोटी आंत और अन्तःपेशी में तीन स्थानों पर छेद हो गए थे, जिन्हें सर्जरी के दौरान सील किया गया।
जांच में पता चला कि सरिए रीढ़ की हड्डी और कूल्हे की हड्डी तक पार हो गए थे और वहां फ्रैक्चर हो गया था। इसका भी उसी समय इलाज किया गया।

*डॉक्टरों की टीम*
यह सर्जरी एक टीम वर्क का नतीजा रही।
– जनरल सर्जरी विभाग: विभागाध्यक्ष डॉ. अरविंद कुमार शुक्ल, प्रो. डॉ. सुदर्शन ओडिया, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. संजय कुमार महाजन, डॉ. सतीश वर्मा, डॉ. यश अग्रवाल, डॉ. अभिनय सोनी, डॉ. अर्पित तिवारी, डॉ. ध्रुवसिंह गोहिल।
– निश्चेतना विभाग (Anaesthesia): प्रो. डॉ. रश्मि पाल, असिस्टेंट प्रो. डॉ. रवि बारडे और उनकी टीम।
हर चिकित्सक ने अपनी विशेषज्ञता और धैर्य का परिचय दिया।

*पांच दिन ICU में निगरानी, अब हालत स्थिर*
ऑपरेशन के बाद नितेश को 5 दिन ICU में भर्ती रखा गया। 24 घंटे डॉक्टरों की टीम उसकी हालत पर नज़र रखती रही। पांचवें दिन उसने सामान्य भोजन लेना शुरू किया, जिसके बाद उसे जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया।
अस्पताल प्रशासन के अनुसार, वह अब पूरी तरह स्थिर है और दो-तीन दिनों में डिस्चार्ज कर दिया जाएगा।
*निजी अस्पताल में लाखों का खर्च, यहां निःशुल्क इलाज*
अस्पताल सूत्रों के मुताबिक, यदि यही ऑपरेशन किसी निजी अस्पताल में होता तो खर्च 4–5 लाख रुपये तक पहुंच जाता। लेकिन एमवाय अस्पताल में यह पूरी तरह निशुल्क किया गया।
यह न केवल मरीज के परिवार के लिए राहत है, बल्कि यह भी दिखाता है कि सरकारी अस्पताल किस तरह गरीब और मध्यम वर्गीय मरीजों के लिए जीवनरक्षक साबित हो रहे हैं।
*प्रशासन और जनता की सराहना*
इंदौर कमिश्नर ने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज और X (Twitter) पर पोस्ट साझा कर एमवाय अस्पताल के डॉक्टरों को बधाई दी। उन्होंने लिखा- “यह केवल एक ऑपरेशन नहीं, बल्कि मानवता की सेवा और टीमवर्क का अद्भुत उदाहरण है। एमवाय अस्पताल की टीम ने असंभव को संभव कर दिखाया।”
स्थानीय नागरिकों ने भी सोशल मीडिया पर डॉक्टरों की जमकर सराहना की और सरकारी अस्पतालों पर भरोसा जताया।
नितेश की जान बचाने वाली यह जटिल सर्जरी साबित करती है कि सरकारी अस्पतालों में भी न केवल संसाधन और विशेषज्ञता मौजूद है, बल्कि वहां के डॉक्टर हर चुनौती को स्वीकार करने का साहस रखते हैं।
यह घटना न सिर्फ इंदौर, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए गर्व का विषय है।





