Bihar Elections: क्या भाजपा ने अभेद्य दुर्ग को भेद लिया है?

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Bihar Elections: क्या भाजपा ने अभेद्य दुर्ग को भेद लिया है?

रंजन श्रीवास्तव

बिहार में विधान सभा चुनाव का परिणाम लगभग 24 घंटे में सबके सामने होगा. एग्ज़िट पोल के नतीजों से एनडीए, ख़ासकर भाजपा की बल्ले-बल्ले है. अगर परिणामों में एनडीए को बहुमत मिलता है और एनडीए के भीतर भाजपा, जदयू से ज़्यादा सीट लाती है तो सरकार बनाने के लिए न्योता गवर्नर द्वारा उसे ही मिलेगा. और अगर भाजपा का मुख्यमंत्री बनता है तो यह पहली बार होगा जब भाजपा बिहार जैसे महत्वपूर्ण राज्य में जदयू के बड़े भाई की भूमिका में होगी और सरकार भाजपा के नेतृत्व में बनेगी.

वैसे अभी तो राह इतनी आसान दिखती नहीं है, क्योंकि नीतीश कुमार को नाराज़ करके भाजपा अपनी सरकार बनाने में सफल रहेगी — इस पर संदेह है. बिहार भाजपा के लिए एक अबूझ पहेली रहा है. हर हिंदी भाषी राज्य को कभी-न-कभी अकेले दम पर जीतने के बाद भी बिहार में भाजपा को हमेशा जदयू या कहें तो नीतीश कुमार का पिछलग्गू बनकर चुनाव लड़ना पड़ा है.

पर टिकट बंटवारे के बाद भाजपा ने जदयू को अपने से ज़्यादा सीट न देकर यह संदेश देने की कोशिश की थी कि अब दोनों पार्टियाँ — भाजपा और जदयू — एनडीए में भी बराबरी पर खड़ी हैं, चाहे उसे जुड़वाँ भाई कहें या पार्टनर्स. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाराज़ होने पर भी भाजपा ने जदयू को ज़्यादा सीट देने की पेशकश नहीं की. यहाँ तक कि उन्हें एनडीए का मुख्यमंत्री चेहरा भी घोषित नहीं किया. वरिष्ठ भाजपा नेता और केंद्र में गृह मंत्री अमित शाह ने यह बार-बार कहा कि विधायक दल अपना नेता चुनेगा.

नीतीश कुमार भाजपा के रुख़ से इतने आहत थे कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ रोड शो और रैलियों में भी नहीं दिखे. नीतीश कुमार की नाराज़गी का एक कारण यह भी था कि भाजपा ने लोजपा को 29 सीटें लड़ने के लिए दे दीं. लोजपा और इसके नेता चिराग़ पासवान ने पिछले विधानसभा चुनावों में जदयू को अच्छी-खासी चोट पहुँचाई थी. यहाँ तक कि जदयू को चुनाव परिणामों में भाजपा से भी कम सीटें मिली थीं.

यह अलग बात है कि ज़्यादा सीट पाने के बाद भी भाजपा ने नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार किया था. एनडीए को बहुमत मिलने के बाद और भाजपा को ज़्यादा सीटें मिलने के बाद भी क्या इतिहास अपने आप को दोहराएगा — इस बार इस पर संदेह दिखाई दे रहा है.

कुछ राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि अगर एनडीए को बहुमत मिलता है और भाजपा को ज़्यादा सीटें मिलती हैं तो इस बात की पूरी संभावना है कि भाजपा नेतृत्व नीतीश कुमार की नाराज़गी की परवाह न करते हुए भी अपनी पार्टी का मुख्यमंत्री बनाए. और अगर नीतीश कुमार असहयोग करते हैं तो जदयू के विधायक दल को तोड़ने में भाजपा गुरेज़ न करे — इस बात के बावजूद कि जदयू के सहयोग से ही भाजपा की केंद्र में सरकार टिकी हुई है.

ज़ाहिर है, इस काम में जदयू के दो प्रमुख नेता — पार्टी के राष्ट्रीय वर्किंग प्रेसीडेंट संजीव कुमार झा और केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ़ ललन सिंह — की प्रमुख भूमिका होगी. दोनों नेता भाजपा के इतने प्रभाव में हैं कि टिकट वितरण के समय इनकी सहमति से ही जदयू को पिछली बार से कम और भाजपा के बराबर 101 सीटें चुनाव लड़ने के लिए दी गईं. पिछली बार जदयू को 122 सीटें मिली थीं और वह भाजपा के बड़े भाई की भूमिका में था.

अगर भाजपा जदयू से ज़्यादा सीट पाती है और अपना मुख्यमंत्री बनवाने में सफल रहती है तो बिहार में भाजपा की यह बहुत बड़ी जीत मानी जाएगी और पार्टी को आने वाले कई राज्यों के विधानसभा चुनावों तथा 2029 के लोकसभा चुनावों के लिए ऑक्सीजन का काम करेगी.

भाजपा अभी तक यह बात भूली नहीं होगी कि 2014 और 2019 में केंद्र में अपने दम पर बहुमत हासिल करने के बाद 2024 में वह 240 सीटों पर सिमट गई थी तथा उसे नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू की मदद से केंद्र में सरकार बनानी पड़ी.

पर यह सारी परिस्थितियाँ तब हैं जब एनडीए को बहुमत मिलता है. महागठबंधन एग्ज़िट पोल के परिणामों के बाद भी अपने बहुमत के लिए आशान्वित है.

राजद ने आरोप लगाया है कि एग्ज़िट पोल को जानबूझकर भाजपा ने मैनेज किया है जिससे महागठबंधन, ख़ासकर राजद के कार्यकर्ता निराश होकर स्ट्रॉन्ग रूम (जहाँ ईवीएम रखे हुए हैं) से ध्यान हटा लें और भाजपा ईवीएम के साथ छेड़छाड़ कर सके. इसलिए महागठबंधन के मुख्यमंत्री फेस के रूप में घोषित तेजस्वी यादव ने अपने कार्यकर्ताओं को स्ट्रॉन्ग रूम के बाहर लगातार रहने और उस पर निगरानी रखने को कहा है. मतगणना में भी उन्हें सजग रहने को कहा गया है.

महागठबंधन को आशा है कि जैसे महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनावों में एग्ज़िट पोल विफल साबित हुए थे, वही कहानी बिहार में भी दोहराई जाएगी — यानी जहाँ महाराष्ट्र और हरियाणा में भाजपा सरकार ने एग्ज़िट पोल को ग़लत साबित करते हुए अपनी सरकार बनाई, वहीं बिहार में महागठबंधन एग्ज़िट पोल को ग़लत साबित करेगा और अपनी सरकार बनाएगा.

देखते हैं, 14 नवंबर को क्या परिणाम आते हैं.