Bijasan Ramana : ‘बिजासन रमणा’ में हरियाली की उम्मीद बरकरार, 29 हजार पौधे अभी भी दे रहे जीवन का संदेश!

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Bijasan Ramana : ‘बिजासन रमणा’ में हरियाली की उम्मीद बरकरार, 29 हजार पौधे अभी भी दे रहे जीवन का संदेश!

हरे भरे पौधों से संवर रहा हरित क्षेत्र, सीमित संसाधनों के बावजूद पर्यावरण संरक्षण की पहल जारी!

Indore : एयरपोर्ट के सामने वन परिक्षेत्र पर्यावरण वानिकी द्वारा विकसित किया जा रहा ‘बिजासन रमणा’ हरियाली के लिए उम्मीद बनकर सामने आया है। यहां कुल 46 हजार पौधे लगाए गए, जिनमें से 32 हजार वन विभाग ने स्वयं लगाए। जबकि, बाकी पौधे विभिन्न सामाजिक संगठनों और जनसहयोग से लगाए गए। वर्तमान में करीब 29 हजार पौधे जीवित हैं, जो इस क्षेत्र की हरियाली को बरकरार रखे हैं। कुछ सूखे पौधों के बारे में वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह असिंचित क्षेत्र है। कई पौधे गहरी जड़ वाले हैं, जो बारिश के बाद दोबारा हरे हो जाते हैं। इससे पता चलता है कि पौधों का प्राकृतिक सहनशीलता पर आधारित जीवनचक्र यहां सक्रिय है।

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सघन वन की ओर कदम

बिजासन रमणा को सघन वन के रूप में विकसित किया जा रहा है। यहां अर्जुन, नीम, पीपल, आंवला, बहेड़ा, तसुका और अनार जैसे पौधे लगाए गए हैं,जो न केवल छाया प्रदान करते, बल्कि औषधीय गुणों से भी भरपूर हैं। वन विभाग की यह पहल इंदौर के पर्यावरण को और भी समृद्ध करने की दिशा में एक अहम प्रयास है।

पर्यावरण वानिकी विभाग को नगर निगम से पौधों की देखरेख के लिए अलग से कोई बजट नहीं मिला। लेकिन, विभाग को समय-समय पर उनका सहयोग जरूर मिलता है। 14 हेक्टेयर में फैले इस क्षेत्र की देखरेख के लिए एक चौकीदार तैनात है, जो पौधों की निगरानी करता है। हालांकि, स्टाफ की संख्या सीमित है, फिर भी विभाग अपने स्तर पर लगातार कार्यरत है।

वन्य जीवों से मिल रही चुनौती

इस क्षेत्र में नीलगाय और सुअर जैसे वन्य जीवों की आवाजाही देखी गई, जो कुछ पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं। वहीं, पास में बसी कुछ झुग्गियों से जुड़े लोग भी रात के समय भीतर आ जाते हैं, जिससे संरक्षण कार्य में चुनौतियां आती हैं। इसके बावजूद विभाग लगातार निगरानी और सुधार की दिशा में प्रयासरत है।

हरियाली की सकारात्मक पहल

बिजासन रमणा का यह हरित अभियान पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक मजबूत कदम है। सीमित संसाधनों,प्राकृतिक बाधाओं और वन्य जीवों की मौजूदगी के बावजूद 29 हजार पौधों का जीवित रहना इस बात का संकेत है कि यदि प्रयास सतत और सामूहिक हों,तो हरियाली कायम रखना संभव है। आने वाले समय में यदि जनसहयोग और संसाधनों में इज़ाफा होता है,तो यह क्षेत्र एक आदर्श शहरी वन का रूप ले सकता है।