
बिजेथुआ महावीरन मंदिर: जहां हनुमान जी ने कालनेमि राक्षस को पाताल में पहुंचा दिया था
रजनीश श्रीवास्तव
अयोध्या धाम से लगभग 100 किलोमीटर दूर सुल्तानपुर जिले की तहसील कादीपुर जो सुल्तानपुर से लगभग 50 किलोमीटर दूर है वहां पर बिजेथुआ ग्राम में एक प्राचीन मंदिर है। जिसे बिजेथुआ महावीरन के नाम से जाना जाता है।

इस प्राचीन मंदिर की जो कहानी है वह इस प्रकार है कि यहां पर रावण के मामा कालनेमि का निवास स्थान था। जब हनुमान जी लक्ष्मण जी के लिए संजीवनी जड़ी बूटी लेने जा रहे थे तो उनके रास्ते में बिजेथुआ में कालनेमि राक्षस ने एक साधु का रूप धरकर उनको अपने पास बुलाया और बोला कि कुछ विश्राम कर लो और समीप के कुंड में स्नान कर मेरे पास आओ ताकि मैं तुम्हें कुछ गुरु मंत्र दे सकूं।

हनुमान जी वहां पर उतरे और उन्होंने जाकर उस कुंड में स्नान किया। उस कुंड में एक अप्सरा जो किसी ऋषि के श्राप से मकड़ी के रूप में अपना श्राप का समय व्यतीत कर रही थी। उसे यह श्राप था कि जब हनुमान जी उसको स्पर्श हो जाएंगे तो वह श्राप से मुक्त होकर अपने असली रूप में आ जाएगी। जब हनुमान जी उस कुंड में स्नान करने गए तो वह मकड़ी उनसे छू गई और श्राप मुक्त होकर अपने असली रूप में आ गई। तब उस अप्सरा ने बताया कि जो साधु है वह रावण का मामा कालनेमि नाम का राक्षस है और वह आपको मारना चाहता है। इस पर हनुमान जी कुंड से स्नान कर बाहर निकले और उन्होंने साधु रूपी कालनेमि राक्षस से कहा कि पहले गुरु दक्षिणा ले लो उसके बाद गुरु मंत्र देना और ऐसा कह कर उन्होंने कालनेमि राक्षस के सर पर पैर रख कर धरती में दबा दिया तो वह पाताल में चला गया। इसीलिए यहां स्थित हनुमान जी की मूर्ति में एक पैर दिखता है मगर दूसरा पैर जमीन में बहुत अंदर है जो दिखाई नहीं पड़ता है। उसके बाद हनुमान जी ने मकड़ी कुंड के बगल में स्थित हत्या हरण कुंड में स्नान किया। उसके बाद वह संजीवनी बूटी लाने के लिए चले गए।

यह स्थान बहुत प्रसिद्ध और प्राचीन स्थल है यहां पर शनिवार और मंगलवार को बहुत बड़ा मेला लगता है और बहुत भीड़ रहती है।





