वंदेमातरम की जन्म-स्थली 

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वंदेमातरम की जन्म-स्थली 

एन के त्रिपाठी

मुझे लक्ष्मी के साथ भारत के राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम की जन्म स्थली देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। जिस मेज़ और कुर्सी पर बैठकर यह लिखा गया तथा जिस मिट्टी के तेल के लैम्प के प्रकाश में यह लिखा गया, वह भी देखने का अवसर मिला। पश्चिम बंगाल के कोलकाता के निकट गंगा ( हुगली) के किनारे स्थित कांतल पाडा में बंकिम चन्द्र चटर्जी ( चट्टोपाध्याय ) ने 1876 में अपने पैतृक निवास में यह गीत लिखा था। यह स्थान अब नइहाटी शहर में है। उनके निवास का कलकत्ता यूनिवर्सिटी द्वारा पुनरोद्धार करने के बाद उसे संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया गया है। यहाँ उनसे संबंधित अन्य वस्तुयें और पांडुलिपियां उपलब्ध हैं। 1838 में जन्मे बंकिम चन्द्र कोलकाता यूनिवर्सिटी के प्रथम ग्रेजुएट थे।1859 में वे डिप्टी मजिस्ट्रेट बन गये। उन्होंने ‘बंग दर्शन’ नाम की एक अत्याधिक उल्लेखनीय मासिक पत्रिका का प्रकाशन किया। इसे वे अपने घर पर ही छापते थे। इसमें साहित्य के अतिरिक्त पुरातत्व विज्ञान आदि अनेक विषयों पर गंभीर लेख प्रकाशित होते थे। भारत में उस समय अग्रणी बंगाल के सभी मूर्धन्य विचारकों और लेखकों को इसमें स्थान मिलता था। रवींद्रनाथ टैगोर की रचनाएँ भी इसमें प्रकाशित हुई थी। आठ आने मूल्य की मात्र 2 हज़ार प्रतियों की यह मासिक पत्रिका भारतीय जागृति का बड़ा माध्यम बनी। उन्होंने 14 उपन्यास और आठ अन्य ग्रंथों की रचना की। उनकी प्रथम रचना दुर्गेशनंदनी थी तथा उनके उपन्यास आनंद मठ में वंदेमातरम् को समाहित किया गया। 1894 में 56 वर्ष की आयु में राय बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय, C.I.E. का निधन हो गया।

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1905 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा वंदेमातरम् को राष्ट्रगान घोषित किया गया । स्वतंत्रता संग्राम में वन्देमातरम की पंक्तियाँ आन्दोलन का प्रतीक बन गई थी। कांग्रेस ने कुछ आंतरिक विरोध के कारण 1937 में इसे अनिवार्य बाध्यता से मुक्त कर दिया। महात्मा गांधी वन्देमातरम से बहुत प्रभावित थे। परन्तु उनका यह कहना था कि इस गीत में भारत के लिए जिन अनेक विशेषणों का प्रयोग किया गया है, वास्तव में भारत वैसा नहीं है। गांधी जी का कहना था कि सभी को परिश्रम करके भारत को वैसा बनाना होगा जैसा कि वंदेमातरम् में भारत को बताया गया है। महात्मा गांधी ने लिखा था-

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He ( Bankim Chandra ) describes Mother India as sweet-smelling. sweet-speaking, fragrant, all-powerful, all-good, truth-ful, a land flowing with milk and honey, and having ripe fields, fruits and grains, and inhabited by a race of men of whome we have only a picture in the great Golden Age. – – – – – To-day I feel that these adjectives are very largely misplaced in his description of the Motherland, and it is for you and for me to make good the claim that the poet has advanced on behalf of his Motherland. — Gandhi

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भारत की स्वतंत्रता के अवसर पर 14-15 अगस्त की मध्यरात्रि को भारतीय संसद के प्रथम सत्र का प्रारंभ वन्देमातरम के गायन और समापन जनगणमन के साथ हुआ। 1950 में वंदेमातरम् राष्ट्रगीत और जन गण मन राष्ट्रगान घोषित किया गया।