

उर्जा मंत्री तोमर की शतरंज चाल में उलझे भाजपाई, सरकार की कार्यप्रणाली पर उठाए सवालिया निशान!
रामानंद तिवारी की विशेष राजनीतिक रिपोर्ट
भोपाल। ग्वालियर भाजपा की गुटबाजी किसी तिजोरी में बंद नही है और ना ही ईद के चांद की तरह जब-तब दिखाई देती है। बाहुबली नेताओं की गुटबाजी के चलते कही ऐसा तो नही कि भाजपा के किसी बड़े नेता ने मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के कंधे पर रखकर बंदूक चलवाई गई हो।
मंत्री तोमर महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया के सिपहसलारों में शुमार है। अभी महाराज के अलावा संगठन का लाड़-दुलार भी महाराज की वजह से उन्हें बदस्तूर मिल रहा है। लगता है कि सुनियोजित प्लान के तहत् आदेशानुसार महाराज की कसीदें कस दी और वे यह भूल गए कि उन्होंने पिछले दो दशकों से ग्वालियर,प्रदेश एवं देश की राजनीति करने वाले नेताओं की कार्यप्रणाली पर बिना कारतूस के बंदूक चला डाली।
“ क्या मंत्री तोमर ने पूर्व मंत्री तोमर पर किया वार ”
उर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में राजनीतिक उथल-पुथल तेज होने के संकेत मिल रहे है। क्यों कि मंत्री तोमर ने एक तीर से दो शिकार कर दिए। उन्होंने अपने राजनीतिक गुरू एवं केन्द्रीय मंत्री “ महाराज” को मक्खन लगा तो लगा दिया और भाजपा के कद्दावर एवं गंभीर नेता पूर्व केन्द्रीय मंत्री रहे नरेन्द्र सिंह तोमर की कार्यप्रणाली पर ही ग्वालियर में उद्योग स्थापित ना होने एवं अन्य विकास भी कम होने की बात करते हुए सवालिया निशान खड़े कर दिए।
हालांकि ग्वालियर में अब तक नरेन्द्र सिंह तोमर की तूती बोलती रही है। अब सिंधिया के भाजपा में आने के बाद से ग्वालियर में इन दो गुटों में राजनीतिक प्रतिस्पर्धा छिड़ गई है। जो कि समय-समय पर सुर्खिया बनती रहती है।
“ क्या पार्टी “महाराज” के प्रभामंडल में चुप्पी साधे रहेगी”
हाल ही में किसानो की वकालत करने वाले भाजपा विधायक चिंतामणी मालवीय को भाजपा ने नोटिस थमा दिया। मालवीय ने विधानसभा में किसानों की वकालत क्या की, तो उनकी कार्यप्रणाली भाजपा के नेताओं का रास नहीं आई। वहीं अब उर्जा मंत्री ने तो भाजपा की कार्यप्रणाली पर ही सवालिया निशान खड़े कर दिए। क्या सत्ता और संगठन उनकी इस बयानबाजी को गंभीरता में लेगा अथवा महाराज सिंधिया के प्रभामंडल में मूकदर्शक की भूमिका में ही रहेगा।
“ सरकार के सामने नया संकट खड़ा किया ”
विधायक चिंतामणि मालवीय का मुद्दा अभी ठंडा भी नहीं हुआ तब तक ग्वालियर से विधायक और मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने सरकार के सामने नया संकट खड़ा कर दिया है। सिंधिया खेमे से मंत्री तोमर ग्वालियर में उद्योग की स्थापना को लेकर ऐसे व्यथित हुए कि उन्होंने यहां तक कह दिया कि जरूरत पड़ी तो मैं दरवाजे पर बैठ जाऊंगा। तोमर बोले, मैंने ज्योतिरादित्य सिंधिया जी से कहा कि ग्वालियर में पहले की तरह उद्योग स्थापित हो। हमें ग्वालियर को फिर एक बार औद्योगिक नगरी बनाने के लिए काम करना है। “
“ अचानक मंत्री का दर्द क्यों आया बाहर ”
ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का अचानक दर्द बाहर आया। क्यों कि वे भी भाजपा सरकार में ही दूसरी बार मंत्री बने है। ग्वालियर में ही पैदा और बड़े हुए तोमर ने आज तक क्यों नहीं कि ऐसी राजनीतिक बात। यह बात अलग है कि उनके विधानसभा क्षेत्र में ही जेसी मिल स्थापित थी जो कि लंबे अर्से से बंद है। मंत्री को चूंकि राजनीति करना थी इसलिए जब-तब उद्योग की बात उतनी ही करते रहे है।
तोमर ने अपने भाषण में कहा कि अब समय के साथ.साथ ग्वालियर पिछड़ता जा रहा है। ” चारों महानगरों में अब पीछे जा रहा ग्वालियर”
मंत्री तोमर ने कहा सिंधिया परिवार ने वह सब किया है, जो ग्वालियर को आगे ले जाने के लिए जरूरी था। आज देश में मेट्रो रेल चल रही है। लेकिन 1950 में भी ग्वालियर में मेट्रो ट्रेन चलती थी। मध्य प्रदेश गठन से पहले जब मध्य भारत हुआ करता था। तब ग्वालियर चार महानगरों में सबसे बड़ी औद्योगिक नगरी थी। लेकिन ग्वालियर अब पीछे जा रहा है।