छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के मुकाबले भाजपा अधिक प्रयोगधर्मी!
भाजपा न सिर्फ विधानसभा चुनाव को लेकर रणनीति तैयार कर रही है, बल्कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की भी जमीन तैयार कर रही है। लिहाजा ऐसे नेताओं को प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतारने की कवायद कर सकती है जो अभी फ्रंट फुट पर नहीं है और दूसरी पंक्ति के नेता हैं। ऐसे नेताओं पर भरोसा कर भाजपा प्रदेश की चुनावी कमान उन पर सौंप सकती है।
वर्ष 2023 के अंतिम दिनों में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों के बीच अंदरुनी तौर पर प्रत्याशी चयन की कवायद शुरू हो गई है। इस बीच भारतीय जनता पार्टी मैं आगामी विधानसभा चुनाव के दौरान किसके नेतृत्व में चुनाव मैदान में प्रत्याशी उतारा जाएगा ? कौन होगा मुख्यमंत्री का चेहरा ? यह सवाल संभावित प्रत्याशियों के मन में भी उलझा हुआ है। छत्तीसगढ़ में 90 विधानसभा क्षेत्र हैं जिसमें से वर्तमान में सिर्फ 14 विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के विधायक है। क्या वर्तमान सभी विधायकों को टिकट मिल पाएगी यह भी यक्ष प्रश्न बना हुआ है।
पिछले विधानसभा चुनाव में बुरी तरह से पराजित होने के बाद इस बार भाजपा चुनावी मैदान में नए चेहरों को उतार सकती है। वही काफी कम अंतर से पिछले विधानसभा निर्वाचन में पराजित होने वाले कुछ प्रत्याशियों को भी रिपीट करने की संभावना नजर आ रही है। लिहाजा भाजपा के अंदर दावेदारों में काफी उथल-पुथल मची हुई है। आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण में फूंक फूंक कर भाजपा कदम रख सकती है बहरहाल 15 साल सत्ता में रहने के बाद सत्ता से पिछले विधानसभा चुनाव में बाहर होने कि गलती इस बार भाजपा फिर से दोहराना कतई नहीं चाहेगी। ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा का मेनिफेस्टो क्या होगा! इस पर भी मंथन किया जा रहा है।
राजनीतिक गलियारों से आ रही खबरों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में भाजपा बदलाव के दौर से गुजर रही है। अलबत्ता नए और युवा चेहरा को मौका मिलने की उम्मीद ज्यादा है। वैसे भी भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस के मुकाबले चुनावी कवायद में अधिक प्रयोगधर्मी है। पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो 15 साल तक सरकार में रहने के बाद भी भाजपा सिर्फ 15 सीट हासिल कर ही सिमट गई थी। हालांकि, उस वक्त कांग्रेस के मेनिफेस्टो में लाया गया कर्ज माफी और धान की कीमत और बोनस एक बड़ा मुद्दा बन गया था जिससे किसान वोटर तात्कालिन भाजपा सरकार के खिलाफ न जाकर कांग्रेस के मेनिफेस्टो को लोगों ने वोट कर दिया था और प्रचंड बहुमत के साथ कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में अपनी सरकार बनाई थी।
इस बात से भी साबित होता है कि विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत पाने वाली कांग्रेस लोकसभा चुनाव मैं 11 लोकसभा क्षेत्रों में से सिर्फ 2 सीटें ही हासिल कर पाई। वर्तमान में भाजपा छत्तीसगढ़ में राजनीतिक तस्वीर बदलने की कवायद कर रही है लिहाजा पंचायत स्तर पर नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच विश्वास जगाने का अभियान भी जारी है। भारतीय जनता पार्टी का संगठन तमाम तरह के विकल्प और प्रकल्प की खोज में है लेकिन संगठन की दृष्टि से वर्तमान भाजपा अभी कमजोर प्रतीत हो रही है।
दरअसल भाजपा के समक्ष दिक्कत यह है कि मुख्यमंत्री के तौर पर उसके पास ऐसा कोई दमदार चेहरा नहीं है जो चुनावी दंगल में प्रदेश की जनता के बीच गहरी पैठ बना चुके वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को टक्कर दे सके। लिहाजा आम जनता के बीच यह चर्चा जोरों पर है कि भारतीय जनता पार्टी क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे को लेकर जनता के बीच जाएगी।
छत्तीसगढ़ में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की बागडोर अरुण साव के हाथों में है लेकिन विडंबना है कि जननेता के रूप में पूरे छत्तीसगढ़ में है इनकी गहरी पैठ नहीं बन पाई है फिर भी भाजपा न सिर्फ विधानसभा चुनाव को लेकर रणनीति तैयार कर रही है बल्कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की भी जमीन तैयार कर रही है।
लिहाजा ऐसे नेताओं को प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतारने की कवायद कर सकती है जो फ्रंट फुट पर नहीं है तथा दूसरी पंक्ति के नेता हैं । ऐसे नेताओं पर भरोसा कर भाजपा प्रदेश की कमान उन पर सौंप सकती है। भाजपा का तमाम दारोमदार प्रदेश में सक्रिय भाजपा के कतिपय उम्र दराज नेताओं पर टिका हुआ है। विधानसभा चुनाव के लिए ऐसे नेता कौन से रणनीति अपनाते हैं केंद्रीय संगठन क्या दिशा निर्देश देती है तथा आगामी चुनाव कौन होगा मुख्यमंत्री का चेहरा, क्या होगा भाजपा का मेनिफेस्टो, यह चर्चा पार्टी कार्यकर्ताओं और आम जनता के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। बहरहाल पिछले चुनाव के बाद प्रदेश की सत्ता से बाहर रहने वाली भाजपा को आत्ममंथन करने और फूंक फूंक कर कदम बढ़ाने की निहायती आवश्यकता देखी जा रही है।