
BLO की निलंबन के सदमे में मौत: jhabua जिला निर्वाचन अधिकारी ने एक दिन पहले किया था सस्पेंड
– राजेश जयंत
JHABUA–ALIRAJPUR: मध्यप्रदेश में SIR सर्वेक्षण और चुनावी तैयारियों के बीच एक और मानवीय संवेदनहीनता सामने आई है। उदयगढ़ जनपद की ग्राम पंचायत सोलिया में BLO के रूप में कार्यरत सहायक शिक्षक भुवान सिंह की बुधवार शाम अचानक मौत हो गई। इससे ठीक एक दिन पहले, मंगलवार को झाबुआ जिला निर्वाचन अधिकारी ने SIR कार्य लापरवाही मामले में उन्हें निलंबित कर दिया था।
▪️निलंबन का सदमा
▫️लंबे समय से वे अपने नियमित शिक्षण कार्य के साथ BLO की अतिरिक्त जिम्मेदारियों के कारण मानसिक दबाव झेल रहे थे। समय सीमा अत्यधिक कम जबकि कार्यभार उससे कई गुना अधिक। परिवार के अनुसार निलंबन आदेश ने उन्हें पूरी तरह तोड़ दिया। वे उदास, तनावग्रस्त और अवसाद की स्थिति में चले गए। रातभर सो नहीं पाए, खाना नहीं खाया और पूरे दिन बेचैनी बनी रही। बुधवार शाम अचानक चक्कर आकर वे गिर पड़े। परिजन उन्हें तुरंत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बोरी ले गए, लेकिन चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। भुवानसिंह उदयगढ़ विकासखंड की ग्राम पंचायत सोलिया के बाबा देव फलिया प्राथमिक विद्यालय में सहायक शिक्षक थे और अतिरिक्त रूप से BLO का कार्य कर रहे थे। स्थानीय स्तर पर उन्हें शांत, मेहनती और जिम्मेदार कर्मचारी माना जाता था।
▪️परिजन गम में डूबे, साथियों में आक्रोश
▫️भुवानसिंह के आकस्मिक निधन से परिजन सदमे में हैं। वहीं दूसरी क्षेत्र के साथी BLO खुलकर नाराजगी जता रहे हैं। उनका कहना है कि SIR सर्वेक्षण, मतदाता सूची अपडेट, डोर टू डोर सत्यापन, ऑनलाइन प्रविष्टियां और लगातार बदलते निर्देशों ने शिक्षक BLO का काम असहनीय बना दिया है। वे बताते हैं कि BLO पर काम का दबाव लगातार बढ़ाया गया लेकिन कोई तकनीकी सहायता नहीं दी गई। अतिरिक्त जिम्मेदारी के बावजूद उन्हें न तो कोई सहायक मिलता है और न ही कोई राहत।

▪️निलंबन झाबुआ से क्यों.?
▫️उदयगढ़ जनपद पंचायत की कुल 40 ग्राम पंचायतों में से 23 जोबट विधानसभा, जिला अलीराजपुर में हैं जबकि 17 झाबुआ विधानसभा क्षेत्र में आती हैं। इन्हीं 17 में से सोलिया ग्राम पंचायत भी है जहां भुवान सिंह BLO थे।
मंगलवार को जारी निलंबन आदेश में आरोप था कि कार्य प्रगति धीमी थी, सत्यापन समय पर नहीं भेजा गया और निर्वाचन निर्देशों के पालन में देरी हुई।
▪️क्या निर्वाचन कार्य ही सर्वोच्च?
▫️इस दुखद घटना के बाद शिक्षा और ग्रामीण क्षेत्रों में एक बड़ा सवाल उभर रहा है कि क्या निर्वाचन कार्य को इतना सर्वोच्च बना दिया गया है कि मामूली विलंब को भी कठोर दंड का आधार बना दिया जाए। जबकि अन्य विभागों में रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार या गंभीर लापरवाही पर कार्रवाई महीनों टल जाती है या होती ही नहीं।
क्या यह दोहरी नीति इसलिए है क्योंकि चुनावी कार्य सीधे जिला निर्वाचन अधिकारी की निगरानी में होता है। क्या आदेशों की अवहेलना को प्रशासन अधिकार और प्रतिष्ठा का सवाल मानकर तुरंत कठोर कार्रवाई करता है।
शिक्षक BLO लंबे समय से यह स्थिति झेल रहे हैं कि वे दोहरी जिम्मेदारियों में फंस जाते हैं। विद्यालय का शिक्षण कार्य और BLO कार्य- दोनों में लगातार रिपोर्टिंग, सत्यापन, फील्ड वर्क और ऑनलाइन अपडेट की मांग होती है। ऐसे में त्रुटि होना स्वाभाविक है, मगर सजा तुरंत और कठोर होती है।
यह घटना केवल एक कर्मचारी की मौत नहीं बल्कि उस प्रशासनिक असंतुलन का संकेत है जिसमें सुधार और सहयोग के बजाय दबाव और दंड को प्राथमिकता दी जा रही है।
▪️समाधान: सहयोग-आधारित सिस्टम की जरूरत
▫️विशेषज्ञों का मानना है कि जहां BLO कार्य में प्रगति धीमी दिखे वहां सीधे निलंबन के बजाय
▫️फील्ड में सहायक उपलब्ध कराना
▫️डेटा एंट्री के लिए तकनीकी कर्मचारी देना
▫️समय सीमा को यथार्थवादी बनाना
▫️और BLO से पूर्व सहमति पर कार्य देना
जैसे कदम आवश्यक हैं।
▫️चुनावी प्रक्रिया महत्वपूर्ण है, पर उतने ही महत्वपूर्ण वे कर्मचारी हैं जिनके भरोसे यह प्रक्रिया चलती है। यदि व्यवस्था सहयोगपरक न हुई तो ऐसी त्रासदियां फिर दोहराई जा सकती हैं।





