Brakes on Growth : अर्थव्यवस्था में मंदी की आहट के कई संकेत दिखाई दे रहे, भारत के लिए यह अच्छा नहीं!

खरीदारी घटना, बाजार में मांग की कमी, वेतन न बढ़ने जैसे इशारों को समझिए!

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Brakes on Growth : अर्थव्यवस्था में मंदी की आहट के कई संकेत दिखाई दे रहे, भारत के लिए यह अच्छा नहीं!

New Delhi : अर्थव्यवस्था के मामले में दुनिया में तेजी से दौड़ता भारत हांफता सा लग रहा है। कई प्रमुख इंडिकेटर और जानकारियां इस तरफ स्पष्ट संकेत दे रहे हैं। यह 2047 तक विकसित बनने का सपना देख रही भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के लिए शुभ नहीं कहा जा सकता। सस्‍ती कारों की बिक्री घटना, सितंबर में प्रमुख बुनियादी उद्योगों की ग्रोथ सुस्‍त पड़ना, नौकरी में सैलरियों का न बढ़ना और शहरों में खरीदारी में कमी आने से बहुत कुछ समझा जा सकता है। ये इशारे भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को लेकर चिंता पैदा करने लगे हैं। आशंका है कि क्‍या दुनिया के दूसरे देशों की तरह भारत को भी मंदी तो नहीं जकड़ने लगी?

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जापानी ब्रोकरेज कंपनी नोमुरा ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था साइक्लिकल ग्रोथ स्‍लोडाउन (चक्रीय मंदी) के दौर में प्रवेश कर चुकी है। भारतीय रिजर्व बैंक का 7.2% जीडीपी ग्रोथ का अनुमान बहुत आशावादी है। नोमुरा ने वित्त वर्ष 2024-25 और वित्त वर्ष 2025-26 में जीडीपी ग्रोथ में कमी की आशंका तक जताई। उसका कहना है कि शहरी मांग में कमजोरी और उपभोक्ता खर्च में गिरावट जारी है।

शहरी खपत के इंडिकेटर कमजोर

नोमुरा ने कहा कि शहरी खपत के इंडिकेटर कमजोर हुए हैं। उसने यात्री वाहन बिक्री में गिरावट, एयरलाइन यात्री यातायात में कमी और एफएमसीजी कंपनियों की ओर से कमजोर शहरी मांग का हवाला दिया है। उसने यह भी कहा है कि कंपनियां अपने वेतन भुगतान को कम कर रही हैं।

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लोग सस्‍ती कारें नहीं खरीद पा रहे 

मारुति सुजुकी इंडिया (एमएसआई) के चेयरमैन आरसी भार्गव ने भी सस्‍ती कारों की बिक्री में गिरावट पर चिंता जताई। उन्‍होंने कहा कि 10 लाख रुपये से कम कीमत वाली कारों की बिक्री घटना चिंता का विषय है। एक समय कुल बिक्री में इन कारों की हिस्सेदारी 80% होती थी। अब यह लगातार घट रही है। इसका कारण लोगों के पास खर्च योग्य आय यानी डिस्‍पोसेबल इनकम का कम होना है।

देश के आठ बुनियादी उद्योगों की ग्रोथ सुस्‍त हुई

हाल ही में एक और ऐसा आंकड़ा सामने आया जो अर्थव्‍यवस्‍था की खराब होती सेहत की ओर इशारा करता है। देश के आठ प्रमुख बुनियादी उद्योगों की ग्रोथ सितंबर महीने में सुस्त पड़कर 2% पर आ गई। एक साल पहले समान महीने में आठ बुनियादी उद्योगों का उत्पादन 9.5% बढ़ा था। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, अगस्त, 2024 में बुनियादी उद्योगों के उत्पादन में सालाना आधार पर 1.6% की गिरावट आई थी।

आठ प्रमुख क्षेत्रों में कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस और बिजली क्षेत्र ने सितंबर के महीने में निगेटिव ग्रोथ दर्ज की। आठ बुनियादी उद्योगों में कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली क्षेत्र शामिल हैं। बुनियादी उद्योगों का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक यानी आईआईपी में 40.27% वेटेज होता है।