
स्तन कैंसर जागरूकता माह: अक्टूबर में महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए जागरूक बनें
रायपुर: अक्टूबर माह को हर वर्ष स्तन कैंसर जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर संजीवनी कैंसर केयर फाउंडेशन, रायपुर की ओर से एक विशेष जागरूकता अभियान आयोजित किया गया, जिसमें वरिष्ठ कैंसर सर्जनों ने स्तन कैंसर के लक्षण, कारण, जोखिम कारक और self-examination के महत्व पर विस्तार से जानकारी दी।
डॉ. यूसुफ़ मेमन, सीनियर कैंसर सर्जन ने बताया कि स्तन कैंसर भारत में महिलाओं में सबसे अधिक पाए जाने वाले कैंसरों में से एक है। उन्होंने बताया कि हर साल लाखों महिलाओं में स्तन कैंसर का पता चलता है, लेकिन दुख की बात यह है कि उनमें से कई मामलों का पता देर से चलता है। यदि महिलाएं समय-समय पर अपनी जांच करवाएं और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं, तो इससे मृत्यु दर में भारी कमी लाई जा सकती है।
डॉ. मौ रॉय, सीनियर कैंसर सर्जन, क्लिनिकल डायरेक्टर व डॉ अर्पण चतुर्मोहता, सर्जिकल डायरेक्टर ब सीनियर कैंसर सर्जन ने बताया कि स्तन कैंसर के शुरुआती लक्षणों को अक्सर महिलाएं नज़रअंदाज़ कर देती हैं। उन्होंने कहा की स्तन में गांठ, आकार में बदलाव, त्वचा पर झुर्रियां या रेडनेस, निप्पल से स्राव या खिंचाव – ये सभी शुरुआती संकेत हैं जिन पर तुरंत ध्यान देना चाहिए। जितनी जल्दी जांच होगी, उतनी ही जल्दी इलाज संभव है।
डॉ अनिकेत ठोके, कीमोथेरेपी विशेषज्ञ व कैंसर सर्जन डॉ विवेक पटेल तथा डॉ कल्याण पांडेय ने सेल्फ ब्रेस्ट एग्जामिनेशन की सरल विधि समझाते हुए कहा की हर महिला को महीने में एक बार आईने के सामने स्वयं जांच करनी चाहिए। यह आदत जीवन बचा सकती है। किसी भी बदलाव को महसूस होते ही डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी है।
रेडिएशन ऑंकोलॉजिस्ट डॉ रमेश कोठारी व डॉ सतीश देवांगन तथा कैंसर सर्जन डॉ विकास अग्रवाल व प्लास्टिक सर्जन डॉ अनिरुद्ध गुप्ता ने बताया कि कैंसर से डरने के बजाय उसे समझना और उसका सामना करना ज़रूरी है। उन्होंने बताया की आज के दौर में स्तन कैंसर का इलाज बहुत उन्नत हो चुका है। सर्जरी, कीमोथैरेपी, रेडिएशन और टारगेटेड थेरेपी जैसी आधुनिक तकनीकें मरीजों को एक नया जीवन देती हैं। जरूरत है तो सिर्फ जागरूकता और समय पर कार्रवाई की।
विशेषज्ञों ने जागरूकता की कमी को सबसे बड़ी चुनौती बताया। उन्होंने कहा की गांव और छोटे शहरों में महिलाएं आज भी जांच करवाने में झिझकती हैं। हमें समाज के हर वर्ग तक यह संदेश पहुंचाना होगा कि स्तन कैंसर का इलाज संभव है — बशर्ते इसका पता समय पर लग जाए।
कार्यक्रम के अंत में डॉक्टरों ने मिलकर यह संदेश दिया कि स्तन कैंसर से डरने की नहीं, बल्कि समझदारी से लड़ने की जरूरत है। नियमित जांच, संतुलित आहार, व्यायाम और सकारात्मक सोच ही इसकी रोकथाम के सबसे सशक्त उपाय हैं।





