New Delhi: सीमा सुरक्षा बल (BSF) अब पाकिस्तान (Pakistan) और बांग्लादेश (Bangladesh) की अंतरराष्ट्रीय सीमा से जुड़े तीन राज्यों (असम, पश्चिम बंगाल और पंजाब) के अंदर 50 किमी की सीमा तक गिरफ्तारी, तलाशी और जब्ती कर सकेगी। पहले यह दायरा 15 Km था। गृह मंत्रालय का दावा है कि सीमा पार से ड्रोन गिराए जाने की घटना ने BSF के अधिकार क्षेत्र बढ़ाने को प्रेरित किया है।
गृह मंत्रालय ने भारत-पाकिस्तान और भारत-बांग्लादेश के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा (IB) से भारतीय क्षेत्र के अंदर 50 KM क्षेत्र में छापे और गिरफ्तारी की अनुमति दी है। पहले यह रेंज 15 किमी थी। इसके अलावा, BSF नागालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा, मणिपुर और लद्दाख में भी तलाशी और गिरफ्तारी कर सकेगी।
गुजरात में क्षेत्र घटाया
साथ ही गुजरात में बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को कम कर दिया गया है। एकरूपता लाने के लिए सीमा की सीमा 80 किमी से घटाकर 50 किमी कर दी गई! जबकि, राजस्थान में त्रिज्या क्षेत्र को पहले की तरह 50 किमी रखा गया है। पांच पूर्वोत्तर राज्यों मेघालय, नागालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा और मणिपुर के लिए कोई सीमा निर्धारित नहीं की गई है। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में कोई सीमा निर्धारित नहीं है। अधिकारियों का दावा है कि इन राज्यों में BSF को आंतरिक सुरक्षा ड्यूटी पर तैनात किया गया है, इसलिए वे उसी के मुताबिक काम करते हैं।
सरकार के इस कदम ने राज्यों की स्वायत्तता पर बहस तेज कर दी है। पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी इसका विरोध कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि मैं अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से लगे 50 किलोमीटर के दायरे में BSF को अतिरिक्त अधिकार देने के सरकार के एकतरफा फैसले की कड़ी निंदा करता हूं। यह संघवाद पर सीधा हमला है। मैं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से इस तर्कहीन फैसले को तुरंत वापस लेने का आग्रह करता हूं।
गृह मंत्रालय का का दावा है कि इस फैसले से अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगेगा। यह निर्णय 10 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए लिया गया है। लेकिन, यह प्रशासनिक और राजनीतिक मुद्दों को भी उठा सकता है। क्योंकि, यह राजनीतिक रूप से बहुत संवेदनशील कदम है। BSF का मक़सद सीमाओं की रक्षा करना और घुसपैठ को रोकना है। हाल के मामलों से पता चला है कि वे इस नई रेखा की रक्षा करने में सक्षम नहीं हैं। जब तलाशी और बरामदगी की जाती है, तो इससे स्थानीय पुलिस और ग्रामीणों के साथ भी नियमित रूप से टकराव हो सकता है। उनकी परिचालन ड्यूटी सीमा चौकियों के आसपास है, लेकिन इन नई शक्तियों के साथ वे कुछ राज्यों के अधिकार क्षेत्र में भी दखलंदाजी कर करेंगे।
BSF के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, अगर हमारे पास किसी मामले में खुफिया जानकारी है, तो हमें स्थानीय पुलिस के जवाब का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। हम समय रहते निवारक कार्रवाई कर सकते हैं। नई अधिसूचना के अनुसार, BSF अधिकारी पश्चिम बंगाल, पंजाब और असम में गिरफ्तारी कर सकेंगे और तलाशी ले सकेंगे। BSF को दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC), पासपोर्ट अधिनियम और पासपोर्ट अधिनियम के तहत यह कार्रवाई करने का अधिकार मिला है। असम, पश्चिम बंगाल और पंजाब में BSF को राज्य पुलिस की तरह ही तलाशी और गिरफ्तारी का अधिकार दिया गया है।
गिरफ्तार कर सकती है BSF
सीमा सुरक्षा बल अधिनियम, 1968 की धारा 139 केंद्र को समय-समय पर सीमा सुरक्षा बल के क्षेत्र और संचालन की सीमा को अधिसूचित करने का अधिकार देती है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सीमावर्ती क्षेत्रों के ‘अनुसूची’ को संशोधित करते हुए एक अधिसूचना जारी की है, जहां BSF के पास पासपोर्ट अधिनियम, NDPS अधिनियम और सीमा शुल्क अधिनियम जैसे अधिनियमों के तहत तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी की शक्तियां होंगी।
नई अधिसूचना CRPC के तहत BSF के सबसे निचले रैंक वाले अधिकारी को मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना और वारंट के बिना शक्तियों और कर्तव्यों का प्रयोग करने और निर्वहन करने का अधिकार दिया गया है। अधिकारी को अब ऐसे किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने का अधिकार है जो किसी भी संज्ञेय अपराध में शामिल है या जिसके खिलाफ उचित शिकायत की गई या विश्वसनीय जानकारी प्राप्त हुई है। BSF अधिकारी को अब अपने अधिकार क्षेत्र के नए क्षेत्र में गिरफ्तार किए जाने वाले व्यक्ति को तलाश करने की शक्ति दी गई।