BU निजी कालेजों की समस्याएं सुलझाने सिर्फ गठित ही कर सका न्यायाधिकरण, एक दर्जन से ज्यादा शिकायतों के बाद चुप्पी साधे हुए हैं अधिकारी

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BU निजी कालेजों की समस्याएं सुलझाने सिर्फ गठित ही कर सका न्यायाधिकरण, एक दर्जन से ज्यादा शिकायतों के बाद चुप्पी साधे हुए हैं अधिकारी

 

भोपाल। बरकतउल्ला विश्वविद्यालय ने निजी कालेजों में कार्यरत प्रोफेसर और कालेजों की शासी निकाय के बीच उत्पन्न विवादों के समाधान हेतु विशेष न्यायाधिकरण का गठन किया गया है। इसका गठन हुए करीब माह होने को है, लेकिन बीयू एक भी कालेज के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकता है। जबकि सिर्फ भोपाल से ही एक दर्जन कालेजों के खिलाफ शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं। इसके बाद भी अधिकारी हाथ पर हाथ रखे बैठे हुए हैं।

बीयू द्वारा गठित न्यायाधिकरण का नेतृत्व डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी कालेज के कुलगुरु द्वारा मनोनीत प्रो. एसके मल्होत्रा करेंगे। उनकी अध्यक्षता में न्यायाधिकरण कार्य करेगा। शिकायत में शिक्षक की शिकायत के रूप में सामने आता है, तो शिक्षक द्वारा नामित एक सदस्य इस न्यायाधिकरण में शामिल होगा। वहीं दूसरी तरफ विवादित कालेज की शासी निकाय द्वारा प्रस्तुत किया जाता है, तो शासी निकाय का एक प्रतिनिधि सदस्य के रूप में न्यायाधिकरण का हिस्सा बनेगा। यह न्यायाधिकरण संबंधित पक्षों की शिकायतों का निष्पक्ष निवारण करेगा और इसका निर्णय अंतिम एवं बाध्यकारी होगा।

बीयू ने सभी प्रोफेशनल कोर्स की कोड 28 के तहत नियुक्त सभी फैकल्टी का डाटा अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है। इसमें कई प्रोफेसर ऐसे हैं, जो कालेजों को सालों पहले अलविदा कह चुके हैं। इसके बाद भी कालेज और बीयू में कोड 28 के तहत नियुक्त होकर विद्यार्थियों को अध्ययन कर रहे हैं। यहां तक प्राचार्य तक बने हुए हैं। वर्तमान में वे अब दूसरे कालेजों में कार्यरत हैं। ऐसी समस्याओं का निपटारा करने के लिए बीयू ने न्यायाधिकरण बनाया है, लेकिन यह न्यायाधिकरण सिर्फ नाम के लिए ही बनता दिखाई दे रह है। क्योंकि एक दर्जन से ज्यादा शिकायतें दर्ज होने के बाद बीयू ने न्यायाधिकरण की एक भी बैठक नहीं कराई है। वहीं दूसरी तरफ पीडित न्याय के लिए बीयू में गुहार लगा रहे हैं।

 *वेतन तक दिलाए बीयू* 

अधिकारियों का कहना है कि कालेज किसी प्रोफेसर को बिना वेतन के ही हटा देता है, तो प्रोफेसर की शिकायतों को गंभीरता से लिया जाएगा और उन्हें पूरा वेतन दिलाया जाएगा।