Bungalow Instead of Palace : IAS अधिकारी ने 15वीं सदी का महल तोड़कर बंगला बनवाया!

पुरातत्व विभाग ने कारण बताओ नोटिस जारी किया!

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Bungalow Instead of Palace : IAS अधिकारी ने 15वीं सदी का महल तोड़कर बंगला बनवाया!

New Delhi : दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग ने IAS अधिकारी और दिल्ली जल बोर्ड के तत्कालीन सीईओ उदित प्रकाश राय को कारण बताओ नोटिस जारी किया। इसमें कहा गया है कि उन्होंने 15वीं सदी के निर्माण को पुरातत्व विभाग को सौंपने से रोका। फिर महलनुमा निर्माण को तुड़वाया और वहां आलीशान सरकारी बंगला बनवा लिया। जबकि, वो जानते थे कि ये ऐतिहासिक स्मारक है।

दिल्ली सरकार के IAS अधिकारी पर दिल्ली सरकार के ही सतर्कता विभाग ने आरोप लगाया कि उन्होंने सरकारी बंगले के लिए 15वीं सदी के सैयद पठान काल के महल को तुड़वाया। दक्षिणी दिल्ली के लाजपत नगर के जल विहार में कुछ समय पहले तक पुराने खंडहर जैसे किले जैसा दिखने वाला एक निर्माण हुआ करता था। अब वो खंडहर या किला वहां नहीं है। केवल उसके कुछ अवशेष बचे हैं। दिल्ली सरकार के पुरातत्व विभाग के मुताबिक, यह खंडहर या किला जैसा दिखने वाला निर्माण 15वीं सदी का एक ‘महल’ था।

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दिल्ली सरकार के पुरातत्व विभाग के मुताबिक, सैयद पठान के समय का ये निर्माण था। उस समय के शहर के बाकी निर्माण इस समय अस्तित्व में नहीं हैं, लेकिन यह निर्माण उससे ही संबंधित था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने भी इसको दिल्ली के हिंदू और मुस्लिम स्मारकों की सूची में रखा था।
यहां के लोगों ने बताया कि यहां पर पहले एक काफी बड़े इलाके में खंडहर या किला जैसा निर्माण हुआ करता था। लेकिन, अब उस जगह पर बंगला बन गया। इस जगह पर ‘महल’ या  ‘खंडहर’ को तोड़कर सरकारी बंगला बनाने की बात की जा रही है। वहां शानदार बंगला दिखाई दे रहा है। पास में कुछ अवशेष ज़रूर बचे हुए दिखाई पड़ते हैं।

अधिकारी को नोटिस जारी 
नोटिस में कहा गया है कि उन्होंने ही खुद को ये बंगला आवंटित करवाया और नोटिस देने के बावजूद खाली नहीं किया। आरोप है कि दिल्ली जल बोर्ड के तत्कालीन सीईओ उदित प्रकाश राय ने अपनी आधिकारिक स्थिति का इस्तेमाल अपने निजी फायदे के लिए किया, जो जनहित और नियमों का उल्लंघन है। उदित प्रकाश राय की इस साल मिजोरम में पोस्टिंग हो गई, जबकि उनका परिवार इसी बंगले में रहता है। IAS अधिकारी को नोटिस का जवाब देने के लिए 2 हफ्ते का समय दिया गया है।

पुरातत्व विभाग ने इस जगह को मांगा था  
जनवरी 2021 में दिल्ली सरकार के पुरातत्व विभाग ने दिल्ली जल बोर्ड को कहा कि आपके अधिकार क्षेत्र में 15वीं सदी के पठान पीरियड का एक महल है, जो काफी खराब हालत में है. उसे हमें सौंप दिया जाए, ताकि इसकी देखरेख हो सके। लेकिन, इसे नहीं दिया गया। जनवरी 2023 में जब पुरातत्व विभाग की टीम दोबारा इस जगह पर गई, तो उनको वह महल नहीं दिखा। उसकी जगह पर अवशेष जैसा हिस्सा बचा है।