शिवसेना की जड़ों में छाछ और मुंह में खीर
महाराष्ट्र का महाभारत जिस तरीके से समाप्त हो गया है उसे देखकर सभी हतप्रभ हैं .सब पूरे घटनाक्रम को भाजपा का ‘ मास्टर स्ट्रोक ‘ समझ और कह रहे हैं,लेकिन हकीकत ये है कि भाजपा ने एक हाथ से बाग़ी शिवसेना के मुंह में खीर रखी है तो दूसरे हाथ से शिव सेना की जड़ों में मठा यानि छाछ भी उड़ेल दिया है .अब देखना है कि सत्ता की खीर चाटकर शिवसेना बचती है या जड़ों में डाले गए छाछ के क्षार से तहस-नहस होती है .
भाजपा ने ढाई साल की मेहनत के बाद महाराष्ट्र में सत्ता की खीर बड़े जतन से पकाई थी ,चरखा भी चला दिया था लेकिन एक नकली शेर आया और खीर चाटकर चलता बना.अब भाजपा बैठी ढोल बजाकर उसी सत्ता लोलुप शेर के लिए बधाई गा रही है .अमीर खुसरो को बहुत पहले से इस तरह के घटनाक्रमों का अंदेशा रहा होगा ,शायद इसीलिए उन्होंने उक्त पंक्तियाँ लिखीं .चौदहवीं सदी के इस शायर ने करीब 8 सुल्तानों को आते-जाते देखा था .हम भी कलियुग में क्या मोदी युग में यही सब देख रहे हैं .भाजपा अपनी सल्तनतों में तो सुलतान ताश के पत्तों की तरह बदलती ही है साथ ही जहाँ उसकी सल्तनत नहीं है वहां भी सुलतान बदलने के लिए तरह -तरह के जतन करती रहती है .
भाजपा के सियासी इतिहास की ये पहली घटना है जहां अवसर पड़ने उसे ‘ शेर को अपना बाप बनाना पड़ा है ‘ .सियासत में बल्दियत का बड़ा महत्व है. भाजपा को कांग्रेस मुक्त भारत चाहिए था,अब इसी सूची में शिवसेना मुक्त महाराष्ट्र भी जुड़ गया है. इस अभियान को पूरा करने के लिए भाजपा ने न सिर्फ शिवसेना को तोड़ा बल्कि उसके बाग़ी समूह के नेता को अपना नेता माना .इतना ही नहीं उस नेता को मुख्यमंत्री बनाकर अपने पूर्व मुख्यमंत्री की उसका चंवर उठाने के लिए उप मुख्यमंत्री बना दिया .
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आप इसे भाजपा के चाणक्यों की नीति कहिये या राजनीतिक विवशता लेकिन हाल फिलहाल उसकी थाली में खीर नहीं है .छाछ पहले ही शिवसेना की जड़ों में डाला जा चुका है .सवाल ये है कि भाजपा ने क्या ये सब हिंदुत्व के नाम पार किया है या फिर भाजपा शिवसेना को जमीदोज करने के लिए दांव खेल गयी है .भाजपा ने पूर्व में मध्य्प्रदेश और कर्नाटक में ऐसे नाटक किये थे लेकिन वहां भाजपा ने कांग्रेस के बागियों को अपना कहार बनाया था.बागियों से अपनी पालकी उठवाई थी लेकिन यहां महाराष्ट्र में परिदृश्य अलग है. भाजपा खुद शिवसेना के बाग़ी की पालकी उठाये हुए घूम रही है .भई गति सांप-छछूंदर केरी .अब भाजपा न पीछे जा सकती है और न आगे ..जिन्हें हिंदी का ये मुहावरा समझ न आये वे कह सकते हैं कि भाजपा के गले में कबाब खाते-खाते हड्डी फंस गयी है .
महाराष्ट्र में अब क्या होगा ये सोचने की जरूरत नहीं है. क्योंकि जो होना है वो सब भाजपा की विवशताओं के चलते होगा .अब जैसे भाजपा ने मजबूरी में शिवसेना के एकनाथ को अपना नाथ माना है वैसा क्या उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना भी एकनाथ की शिवसेना को अपना मान लेगी ? शायद नहीं एकनाथ भले ही बाला साहेब ठाकरे के जबरिया दत्तक पुत्र बन जाएँ लेकिन आम शिव सैनिकों के लिए तो बाला साहेब के उत्तराधिकारी उद्धव ठाकरे ही हैं.राज ठाकरे को भी जब शिवसैनिकों ने अपना नहीं माना तो एकनाथ किस खेत की मूली हैं. ? वे फौरी तौर पर सत्ता की खीर चाट सकते हैं लेकिन अंतत: उन्हें मैदान में अपने आपको असली शेर प्रमाणित करना होगा .
भाजपा गलत कर रही है या सही ये भाजपा जाने लेकिन उसने एक तीर से दो निशाने साधे हैं. एक तरफ महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी को सत्ताच्युत किया है वहीं शिवसेना को दो फाड़ कर दिया है .दूसरी तरफ भाजपा ने देवेंद्र फड़नबीस की फड़ पलटकर ये संकेत भी दे दिए हैं कि शाह और मोदी की जोड़ी को कोई चितपावन अपना प्रतिद्वंदी नहीं चाहिए भले वो केंद्र में नितिन गडकरी हों या महाराष्ट्र में देवेंद्र फड़नबीस .भाजपा जो गलती मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में कर चुकी है उसे अन्य किसी राज्य में दोहराएगी नहीं .महाराष्ट्र हो या राष्ट्र, सौराष्ट्र की मर्जी से चलेगा .
छाछ पर जीएसटी लगाने वाली भाजपा को छाछ के इस्तामल से कांग्रेस के साथ ही समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की जड़ें खोखली करने में भले ही मदद मिली हो लेकिन यही परिणाम शिवसेना के मामले में मिलेंगे ये कहना अभी जल्दबाजी होगी .भाजपा का क्षार न बंगाल में काम आया और न बिहार में जेडीयू और तृणमूल कांग्रेस आज भी ज़िंदा हैं. पंजाब में भी आप की सरकार है .राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा ने कांग्रेस की जड़ों में जितना छाछ डालना था डाल लिया लेकिन दोनों ही राज्यों में अभी कांग्रेस सत्ता में हैं .कहते हैं कि महाराष्ट्र के बाद भाजपा राजस्थान और छत्तीसगढ़ में खेल खेलेगी .
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पिछले आठ साल से भाजपा देश में सरकार नहीं चला रही बल्कि सत्ता का खेल ही खेल रही है. देश को कांग्रेस विहीन बनाने के महाअभियान में जुटी भाजपा को न डालर के मुकाबले गिरते हुए रूपये की सेहत की फ़िक्र है और न देश की अंदरूनी स्वास्थ्य की .दोनों भगवान के भरोसे हैं .भगवान भी भाजपा का कितने दिन साथ देगा ये भगवान जाने .भगवान और भाजपा का रिश्ता बेहद सौहार्द का है .आखिर भाजपा ने भगवान के लिए एक चौथाई हिन्दुस्तान से लड़कर अयोध्या में भव्य मंदिर बनाया है .काशी का कायाकल्प किया है .मथुरा के लिए भी उसके पास कार्य योजना है .इसलिए भगवान तो भाजपा के अहसानों से दबा हुआ है .अब देखना ये है कि भगवान जनार्दन प्रमाणित होता है या जनता .
फिलहाल मेरे पास भाजपा के लिए सहानुभूति और महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के लिए ढेर सी शुभकामनांए हैं .भगवान करे की एकनाथ की सरकार पूरे ढाई साल चले और महाराष्ट्र में भाजपा एकनाथ के नेतृत्व में ही विधानसभा का चुनाव लड़े.जीते और फिर जनादेश लेकर सत्ता में लौटे .लेकिन अकेले एक की शुभकामनाओं से एकनाथ का भला होने वाला नहीं है .एकनाथ का भला शिवसैनिक करेंगे .वे शिव सैनिक जो अभी भी बाला साहेब ठाकरे को अपना पिता मानते हैं एकनाथ शिंदे को नहीं .शिवसेना के 18 लोकसभा सदस्य,3 राज्य सभा सदस्य कहाँ जायेंगे ,ये देखना भी दिलचस्प होगा .राष्ट्रपति चुनाव में ये रहस्य भी रहस्य नहीं रहेगा .